भूगोल
पश्चिमी विक्षोभ
- 23 Apr 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:पश्चिमी विक्षोभ, कैस्पियन सागर, भूमध्य सागर, भारत मौसम विज्ञान विभाग, फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, शीत लहर। मेन्स के लिये:भौतिक भूगोल, पश्चिमी विक्षोभ और उसका असामान्य व्यवहार। |
चर्चा में क्यों?
पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances-WD) की तीव्रता और स्थानों में बदलाव के कारण कुछ महीनों के दौरान दिल्ली में भारी वर्षा हुई तथा कभी-कभी लू की चपेट में आने के कारण शहर शुष्क भी रहा।
पश्चिमी विक्षोभ:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ ऐसे तूफान हैं जो कैस्पियन या भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं तथा उत्तर-पश्चिम भारत में गैर-मानसूनी वर्षा के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- इन्हें भूमध्य सागर में उत्पन्न होने वाले एक ‘बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय तूफान’ के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो एक निम्न दबाव का क्षेत्र है तथा उत्तर-पश्चिम भारत में अचानक वर्षा, बर्फबारी एवं कोहरे के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- पश्चिमी विक्षोभ का अर्थ इसके नाम में निहित है।
- यह विक्षोभ ‘पश्चिम’ से ‘पूर्व’ दिशा की ओर आता है।
- ये विक्षोभ अत्यधिक ऊँचाई पर पूर्व की ओर चलने वाली ‘वेस्टरली जेट धाराओं’ (Westerly Jet Streams) के साथ यात्रा करते हैं।
- विक्षोभ का तात्पर्य ‘विक्षुब्ध’ क्षेत्र या कम हवा वाले दबाव क्षेत्र से है।
- प्रकृति में संतुलन मौजूद है जिसके कारण एक क्षेत्र में हवा अपने दबाव को सामान्य करने की कोशिश करती है।
- यह विक्षोभ ‘पश्चिम’ से ‘पूर्व’ दिशा की ओर आता है।
- "बहिरूष्ण कटिबंधीय तूफान" शब्द तूफान, कम दबाव के क्षेत्र को संदर्भित करता है तथा "अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय" का अर्थ है उष्णकटिबंधीय के अतिरिक्त। चूंँकि पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से बाहर होती है, इसलिये "बहिरूष्ण कटिबंधीय" शब्द उनके साथ जुड़ा हुआ है।
- पश्चिमी विक्षोभ का संबंध उत्तरी भारत में वर्षा, हिमपात और कोहरे से जुड़ा है। यह पाकिस्तान व उत्तरी भारत में वर्षा एवं हिमपात के साथ आता है। पश्चिमी विक्षोभ अपने साथ जो नमी ले जाते हैं वह भूमध्य सागर और/या अटलांटिक महासागर से आती है।
- पश्चिमी विक्षोभ सर्दी और मानसून पूर्व बारिश करते हैं तथा उत्तरी उपमहाद्वीप में रबी की फसल के विकास में महत्त्वपूर्ण है।
- पश्चिमी विक्षोभ हमेशा अच्छे मौसम के अग्रदूत नहीं होते हैं। कभी-कभी ये अचानक बाढ़, भूस्खलन, धूल भरी आंँधी, ओलावृष्टि और शीत लहर जैसी चरम मौसम की घटनाओं का कारण बन सकते हैं, लोगों की जान ले सकते हैं, बुनियादी ढांँचे को नष्ट कर सकते हैं तथा लोगों की आजीविका को प्रभावित कर सकते हैं।
पश्चिमी विक्षोभ में बदलाव:
- वर्ष 2021 के अक्तूबर माह में दिल्ली में 65 वर्षों में सबसे अधिक बारिश देखी गई, जिसे सफदरजंग मौसम वेधशाला ने सामान्य बारिश 28 मिमी के मुकाबले पश्चिमी विक्षोभ के कारण 122.5 मिमी बारिश दर्ज की।
- फरवरी 2022 में कई पश्चिमी विक्षोभों के आने के कारण आसमान में बादल छाए रहे जिससे तापमान में कमी दर्ज की गई। तापमान में यह कमी पिछले 19 वर्षों में सबसे निम्नतम थी।
- इस वर्ष जनवरी और फरवरी माह में भी अधिक बारिश दर्ज की गई थी। इसके विपरीत नवंबर 2021 और मार्च 2022 में वर्षा नहीं हुई थी तथा गर्मियों में मार्च 2022 के अंत में गर्म लहरों के साथ असामान्य रूप से वर्षा की शुरुआत देखी गई।
- बादल छाए रहने से कई पश्चिमी विक्षोभों के कारण फरवरी 2022 में तापमान कम रहा था तथा 19 वर्षों में सबसे कम अधिकतम तापमान दर्ज किया गया था।
- मार्च 2022 में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिम भारत से दूर हो गया तथा बादल छाए रहने और बारिश के अभाव के कारण तापमान अधिक बना रहा।
पश्चिमी विक्षोभ में बदलाव के संभावित कारण:
- पश्चिमी विक्षोभ की आवृत्ति में वृद्धि हुई है लेकिन आंशिक रूप से गर्म वातावरण (ग्लोबल वार्मिंग) के चलते उनके कारण होने वाली वर्षा की स्थिति नहीं देखी गई।
- पश्चिमी विक्षोभ कम दबाव वाले क्षेत्र होते हैं। कमज़ोर पश्चिमी विक्षोभ में वर्षण हेतु पर्याप्त नमी नहीं होती है।
- वर्षण के लिये नमी की आवश्यकता होती है तथा गर्म वातावरण के कारण वर्षण हेतु नमी की मात्रा कम उपलब्ध होती है।
- साथ ही वातावरण में गर्माहट की वजह से पश्चिमी विक्षोभ की ऊँचाई बढ़ रही है। सामान्य तौर पर वे उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट में प्रवाहित होते हैं तथा भार में कमी के कारण उनका दवाब 200 हेक्टोपास्कल से भी ऊपर बढ़ रहा है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव क्या हो सकते हैं, यह निर्धारित करने के लिये अगले कुछ वर्षों में विविधताओं की निगरानी करनी होगी।