भारतीय अर्थव्यवस्था
वेज़ और मीन्स एडवांस
- 27 Apr 2021
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
कोविड-19 की व्यापकता के कारण, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) के लिये 51,560 करोड़ रुपए के मौजूदा अंतरिम वेज़ और मीन्स एडवांस (WMA) सीमा को 30 सितंबर, 2021 तक जारी रखने का निर्णय लिया।
प्रमुख बिंदु:
वेज़ और मीन्स एडवांस के बारे में:
- लॉन्च: WMA योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी।
- उद्देश्य: सरकार की प्राप्तियों और भुगतान के नकदी प्रवाह में अस्थायी बेमेल को दूर करने के लिये।
- विशेषताएँ:
- यदि आवश्यक हो तो सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक से तत्काल नकद ले सकते हैं, लेकिन उसे 90 दिनों के अंदर यह राशि लौटानी होगी। इसमें ब्याज मौजूदा रेपो दर पर लिया जाता है ।
- भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 17 (5) केंद्रीय बैंक को केंद्र और राज्य सरकारों को उधार देने के लिये अधिकृत करता है , जो उनके देय ( अग्रिम के निर्माण की तारीख से तीन महीने बाद नहीं) के अधीन है।
- रेपो दर वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक) किसी भी तरह की धनराशि की कमी होने पर वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक धन देता है।
- यदि WMA 90 दिनों से अधिक हो जाता है , तो इसे ओवरड्राफ्ट के रूप में माना जाएगा ( ओवरड्राफ्ट पर ब्याज दर रेपो दर से 2 प्रतिशत अधिक है)।
- WMA (केंद्र के लिये) की सीमा सरकार और RBI द्वारा पारस्परिक रूप से और समय-समय पर संशोधित की जाती है।
- एक उच्च सीमा तक सरकार को RBI से (बाज़ार से उधार लिये बिना) ऋण लेने की सुविधा प्रदान करती है।
- यदि आवश्यक हो तो सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक से तत्काल नकद ले सकते हैं, लेकिन उसे 90 दिनों के अंदर यह राशि लौटानी होगी। इसमें ब्याज मौजूदा रेपो दर पर लिया जाता है ।
प्रकार:
- वेज़ और मीन्स एडवांस दो प्रकार के होते हैं- सामान्य और विशेष।
- राज्य द्वारा आयोजित सरकारी प्रतिभूतियों के संपार्श्विक के खिलाफ एक विशेष WMA या विशेष आहरण सुविधा प्रदान की जाती है।
- राज्य द्वारा SDF की सीमा समाप्त हो जाने के बाद, यह सामान्य WMA हो जाता है।
- SDF के लिये ब्याज दर रेपो दर से एक प्रतिशत कम है।
- सामान्य WMA के तहत ऋण की संख्या राज्य के वास्तविक राजस्व और पूंजीगत व्यय के तीन साल के औसत पर आधारित है।
महत्त्व:
- कोविड -19 के प्रभाव से राज्यों की नकदी प्रवाह समस्याओं में वृद्धि हुई है, इस प्रकार कई राज्यों को चुनौतियों से निपटने के लिये तत्काल और बड़े वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है, जिनमें चिकित्सा परीक्षण, स्क्रीनिंग और ज़रूरतमंदों को आय और खाद्य सुरक्षा प्रदान करना शामिल है।
- राज्य सरकार की प्रतिभूतियों (राज्य विकास ऋण) या अल्पकालिक वित्तपोषण के लिये वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने के लिये WMA बाज़ारों से अधिक समयावधि के लिये फंड जुटाने का एक विकल्प हो सकता है। WMA फंडिंग बाज़ारों से ऋण लेने की तुलना में बहुत सस्ता है।
अन्य संबंधित निर्णय:
- राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उपयोग की जाने वाली विशेष आहरण सुविधा (SDF) उनके नीलामी ट्रेज़री बिल (ATBs) समेत भारत सरकार के प्रतिभूतियों में निवेश की मात्रा से जुड़ी रहेगी।
- समेकित सिंकिंग फंड (CSF) और गारंटी रिडेंपशन फंड (GRF) में शुद्ध रूप से वार्षिक आधार पर निवेश में वृद्धि, विशेष आहरण सुविधा का लाभ लेने के लिये पात्र होगा।
नीलामी ट्रेज़री बिल (ATBs)
- ये भारत सरकार द्वारा एक दिनांकित गारंटीकृत भुगतान के साथ एक वचन पत्र के रूप में जारी किये गए मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स हैं ।
- इस तरह की प्रणाली के माध्यम से एकत्रित धन का उपयोग आमतौर पर सरकार की अल्पकालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये किया जाता है, जिससे किसी देश के समग्र राजकोषीय घाटे को कम किया जा सके।
समेकित सिंकिंग फंड (CSF)
- CSF की स्थापना 1999-2000 में RBI द्वारा राज्यों को बाज़ार ऋणों से मुक्त करने के लिये की गई थी।
- प्रारंभ में, 11 राज्यों ने सिकिंग निधि की स्थापना की गई। बाद में, 12वें वित्त आयोग (2005-10) ने सिफारिश की कि सभी राज्यों के पास सभी ऋणों के परिशोधन के लिये धनराशि होनी चाहिये, जिसमें बैंकों से ऋण, राष्ट्रीय लघु बचत निधि (NSSF) के खाते पर देयताएँ आदि शामिल हैं।
- निधि को राज्यों और सार्वजनिक खाते की समेकित निधि से बाहर रखा जाना चाहिये।
- इसका उपयोग ऋण परिशोधन के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिये नहीं किया जाना चाहिये।
- योजना के अनुसार, राज्य सरकारें प्रत्येक वर्ष कोष में बकाया बाज़ार ऋण का 1-3% योगदान कर सकती हैं।
- इस कोष का संचालन आरबीआई नागपुर के केंद्रीय लेखा अनुभाग द्वारा किया जाता है।
गारंटी रिडेंपशन फंड (GRF)
- केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE), वित्तीय संस्थानों आदि को जब भी ऐसी गारंटी दी जाती है, तो गारंटी से छुटकारा पाने के लिये 1999-2000 से भारत के सार्वजनिक खाते में एक गारंटी रिडम्पशन फंड (GRF) की स्थापना की गई है।
- बजट अनुमानों (BE) में एक वार्षिक प्रावधान के साथ बजटीय विनियोजन के माध्यम से निधि दी जाती है।
- बारहवें वित्त आयोग की सिफारिशों पर पंद्रह राज्यों ने गारंटी रिडम्पशन फंड की स्थापना की है।
- यह निधि सार्वजनिक खाते में राज्यों के समेकित कोष के बाहर रखी गई है और इसका उपयोग ऋण से छुटकारा पाने के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिये नहीं किया जाना है। यह सुव्यवस्थित राजकोषीय शासन सुनिश्चित करता है।