अपशिष्ट से ऊर्जा | 23 Mar 2023
प्रिलिम्स के लिये:अपशिष्ट से ऊर्जा/ वेस्ट टू एनर्जी, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, बायोडिग्रेडेबल एवं गैर-बायोडिग्रेडेबल जैविक अपशिष्ट। मेन्स के लिये:अपशिष्ट से ऊर्जा |
चर्चा में क्यों?
केरल सरकार ने हाल ही में कोझीकोड में राज्य की पहली अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजना की घोषणा की। योजना के पूर्ण होने में लगभग 2 वर्ष लगेंगे एवं इससे लगभग 6 मेगावाट विद्युत उत्पादन होने की संभावना है।
- कोझिकोड की आबादी लगभग 6.3 लाख है और यह लगभग 300 TPD अपशिष्ट उत्पन्न करता है। इसमें से लगभग 205 TPD बायोडिग्रेडेबल है और 95 TPD नॉन-बायोडिग्रेडेबल है।
- देश भर में लगभग 100 अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाएँ हैं, किंतु विभिन्न उत्पादन और संचालन चुनौतियों के कारण उनमें से केवल कुछ ही कार्यशील हैं।
अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं के कार्य:
- अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाएँ विद्युत उत्पन्न करने और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management- SWM) के बोझ को कम करने के लिये गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य सूखे अपशिष्ट का उपयोग करती हैं।
- भारत में 55-60% ठोस अपशिष्ट बायोडिग्रेडेबल जैविक अपशिष्ट है, जिसे जैविक खाद या बायोगैस में परिवर्तित किया जा सकता है; 25-30% गैर-बायोडिग्रेडेबल सूखा अपशिष्ट एवं लगभग 15% अपशिष्ट गाद, पत्थर और नाली के रूप में है।
- गैर-बायोडिग्रेडेबल सूखे अपशिष्ट में से केवल 2-3% (कठोर प्लास्टिक, धातु और ई-अपशिष्ट सहित) रिसाइकिल करने योग्य है।
- शेष में निम्न श्रेणी के प्लास्टिक, चिथड़े एवं वस्त्र शामिल हैं जिनका पुनर्नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है।
- गैर-पुनर्नवीनीकरण सूखे अपशिष्ट का यह अंश वर्तमान SWM प्रणाली का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है; इन सामग्रियों की उपस्थिति अन्य सूखे और गीले अपशिष्ट के पुनर्चक्रण की क्षमता को भी कम करती है।
- अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र विद्युत उत्पन्न करने हेतु इस हिस्से का उपयोग करते हैं। ऊष्मा उत्पन्न करने के लिये अपशिष्ट को जलाया जाता है, जिससे विद्युत उत्पन्न होती है।
अपशिष्ट से ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ:
- जैविक उपचार प्रौद्योगिकी (Biological Treatment Technologies- BTT):
- BTT को नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट के कार्बनिक समृद्ध अंश के साथ काम करने वाली प्राकृतिक जैविक प्रक्रियाओं हेतु बनाया गया है। इन उपचारों को दो अलग-अलग प्रक्रियाओं में विभाजित गया है:
- वायुजीवी/एरोबिक प्रक्रिया या खाद (ऑक्सीजन की उपस्थिति में) और अवायवीय/एनारोबिक प्रक्रिया (ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में)।
- BTT को नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट के कार्बनिक समृद्ध अंश के साथ काम करने वाली प्राकृतिक जैविक प्रक्रियाओं हेतु बनाया गया है। इन उपचारों को दो अलग-अलग प्रक्रियाओं में विभाजित गया है:
- तापीय उपचारात्मक प्रौद्योगिकियाँ:
- खतरनाक अपशिष्ट के तापीय उपचार में तापीय विघटन, गैसीकरण और भस्मीकरण तकनीक शामिल है, जो अपशिष्ट की प्रकृति एवं अंतिम उत्पाद के उपयोग पर निर्भर करती है।
- तापीय विघटन/पायरोलिसिस ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में बायोमास जैसे कार्बनिक पदार्थ का ऊष्मण है। बायोमास पाइरोलिसिस सामान्यतः 500 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान पर किया जाता है, जिससे मज़बूत बायोपॉलिमर्स को विखंडित करने हेतु पर्याप्त ऊष्मा मिलती है।
- गैसीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो उच्च तापमान (>700°C) पर ऑक्सीजन और/या भाप की नियंत्रित मात्रा के साथ कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड में कार्बनिक या जीवाश्म-आधारित कार्बोनेस सामग्री को बिना दहन किये परिवर्तित कर सकती है।
- भस्मीकरण एक तीव्र ऑक्सीकरण प्रक्रिया है, जिसका उपयोग वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (Volatile Organic Compounds- VOC) और अन्य गैसीय हाइड्रोकार्बन प्रदूषकों को कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल में परिवर्तित करने हेतु किया जाता है।
- टोरेफेक्शन, बायोमास को 200-300 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में परिवर्तित सामग्री, जैव-तेल, बायोचार जैसे अन्य उत्पादों का उत्पादन करने की प्रक्रिया है।
- खतरनाक अपशिष्ट के तापीय उपचार में तापीय विघटन, गैसीकरण और भस्मीकरण तकनीक शामिल है, जो अपशिष्ट की प्रकृति एवं अंतिम उत्पाद के उपयोग पर निर्भर करती है।
इस प्रकार के संयंत्रों से संबंधित चुनौतियाँ:
- कम कैलोरी मान:
- अनुचित पृथक्करण के कारण भारत में ठोस अपशिष्ट का कैलोरी मान निम्न है, मिश्रित भारतीय अपशिष्ट का कैलोरी मान लगभग 1,500 किलो कैलोरी/किग्रा है, जो विद्युत उत्पादन के लिये उपयुक्त नहीं है।
- अलग-अलग प्रकार के और सूखे गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य सूखे अपशिष्ट का कैलोरी मान 2,800-3,000 किलो कैलोरी/किग्रा. है, जो विद्युत उत्पादन करने के लिये पर्याप्त है। हालाँकि यह सुनिश्चित करने के लिये पृथक्करण को सुव्यवस्थित किये जाने की आवश्यकता है और साथ ही यह भी कि संयंत्र में आने वाले अपशिष्ट का मान उपरोक्त निर्दिष्ट कैलोरी हो।
- ऊर्जा उत्पादन की उच्च लागत:
- अपशिष्ट से विद्युत उत्पादन की लागत लगभग 7-8 रुपए/यूनिट है, जबकि राज्यों के विद्युत बोर्ड कोयले, पनबिजली और सौर ऊर्जा संयंत्रों से विद्युत खरीदने की लागत लगभग 3-4 रुपए/यूनिट है।
- अनुचित आकलन:
- कई अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाएँ अनुचित मूल्यांकन, बड़ी उम्मीदों, लक्षण संबंधी वर्णन का अनुचित अध्ययन और अन्य ज़मीनी तथा मूलभूत स्थितियों के कारण विफल रही हैं।
संबंधित पहलें:
संभावित उपाय:
- राज्य विद्युत बोर्ड नए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे कि अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजना के तहत विद्युत उत्पादन करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि उत्पादित विद्युत की कीमत को आधा किया जा सके।
- अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना जटिल है, इसके लिये नगरपालिका, राज्य और लोगों के पूर्ण समर्थन की आवश्यकता होती है। इसकी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिये नगरपालिका को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि संयंत्रों में केवल गैर-बायोडिग्रेडेबल सूखा कचरा ही भेजा जाए और अन्य प्रकार के कचरे का प्रबंधन अलग से किया जाए।
- महत्त्वपूर्ण रूप से नगर पालिका या ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार विभाग को विद्युत् उत्पादन की उच्च लागत के बारे में व्यावहारिक होना चाहिये और राज्य द्वारा विद्युत विभाग को नगर पालिका, संयंत्र संचालक एवं विद्युत वितरण एजेंसी के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते के रूप में शामिल करना चाहिये।
- क्षेत्र अध्ययन करना और अन्य परियोजनाओं के अनुभव से सीखना भी महत्त्वपूर्ण है।
- इन सभी प्रयासों के बिना परियोजना सफल नहीं हो सकती है, जो बदले में राज्य सरकार पर सभी संचित अपशिष्ट का प्रबंधन करने का दबाव डालेगी, जो एक महँगी प्रक्रिया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में ‘ताप-अपघटन और प्लाज़्मा गैसीकरण’ शब्दों का उल्लेख किया गया है? (2019) (a) दुर्लभ (रेयर) भू-तत्त्वों का निष्कर्षण उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं के निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018) |