प्रमुख जैवविविधता क्षेत्रों (KBA) के तापमान में वृद्धि | 19 Oct 2024
प्रिलिम्स के लिये:प्रमुख जैव विविधता क्षेत्र (KBA), कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढाँचा, एंडीज पर्वत, उष्णकटिबंधीय वन, बर्डलाइफ इंटरनेशनल, महत्त्वपूर्ण पक्षी और जैवविविधता क्षेत्र (IBA), वर्ल्ड कंज़र्वेशन काॅन्ग्रेस, प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN), प्रमुख जैव विविधता क्षेत्र साझेदारी, वर्षावन, मैंग्रोव, कार्बन पृथक्करण, पोषक चक्रण। मेन्स के लिये:उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्र में प्रमुख जैव विविधता क्षेत्रों (KBA) पर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण को रोकने के लिये आवश्यक उपाय। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण उष्णकटिबंधीय वनों में प्रमुख जैव विविधता वाले क्षेत्र (key biodiversity areas- KBA) नई तापमान व्यवस्था/न्यू टेम्प्रेचर रैशिम (उच्च तापमान) में परिवर्तित हो गए हैं।
- कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क का लक्ष्य वर्ष 2030 तक विश्व की कम-से-कम 30% भूमि का संरक्षण करना है, जिसमें प्रमुख जैवविविधता क्षेत्रों (KBA) को मुख्य प्राथमिकता दी जाएगी।
नोट:
उष्णकटिबंधीय वर्षावन घने और उष्ण वन हैं जो आमतौर पर भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण में 23.5 डिग्री के बीच पाए जाते हैं।
कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) क्या है?
- परिचय: यह एक बहुपक्षीय संधि है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर जैव विविधता के नुकसान को रोकना और कम करना है। इसे दिसंबर, 2022 में UNCBD के पार्टियों के सम्मेलन (CoP) की 15वीं बैठक के दौरान अपनाया गया था।
- उद्देश्य और लक्ष्य: यह सुनिश्चित करता है कि वर्ष 2030 तक क्षीण हो चुके स्थलीय, अंतर्देशीय जल, तथा समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के कम-से-कम 30% क्षेत्रों का प्रभावी पुनर्स्थापन हो जाए।
- इसमें वर्ष 2030 तक के दशक में तत्काल कार्रवाई के लिये 23 कार्य-उन्मुख वैश्विक लक्ष्य हैं, जिनमें प्रमुख जैव विविधता क्षेत्र (KBA) मुख्य प्राथमिकता के रूप में हैं।
- दीर्घकालिक दृष्टिकोण: इस रूपरेखा में यह परिकल्पना की गई है कि वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिये सामूहिक प्रतिबद्धता होगी, जो जैव विविधता संरक्षण और सतत् उपयोग पर वर्तमान कार्यों एवं नीतियों के लिये एक आधारभूत मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगी।
अध्ययन की मुख्य बातें क्या हैं?
- KBA में तापमान परिवर्तन: उष्णकटिबंधीय वन KBA का 66% हिस्सा एक नए चरण में प्रवेश कर चुका है, जिसकी विशेषता नई औसत वार्षिक तापमान व्यवस्था है।
- क्षेत्रीय तापमान परिवर्तन: तापमान परिवर्तन का अनुभव करने वाले प्रमुख जैव विविधता क्षेत्रों (KBA) का प्रतिशत अफ्रीका में 72%, लैटिन अमेरिका में 59% और एशिया तथा ओशिनिया में 49% था।
- हालाँकि, एशिया और ओशिनिया में, 12% KBA ने नए तापमान परिदृश्य में परिवर्तन नहीं किया है, हालांकि इनमें से 23% असुरक्षित हैं।
- यद्यपि एशिया और ओशिनिया में 23% KBA असुरक्षित हैं, तथापि उनमें से 12% ने नए तापमान परिदृश्य को नहीं दर्शाया है।
- ऊर्ध्वाधर तापमान परिवर्तन: खुले वातावरण की तुलना में वनाच्छादन के नीचे की जलवायु अधिक स्थिर होती है तथा यहां तापमान में कम परिवर्तन होता है।
- असंगत प्रभाव: लैटिन अमेरिका (2.9%) तथा एशिया और ओशिनिया (0.4%) में कुछ KBA लगभग पूरी तरह से नई तापमान स्थितियों में स्थानांतरित हो गए हैं, जिसमें 80% से अधिक माप उनकी पिछली सीमाओं के बाहर हैं।
- इनमें इक्वाडोर, कोलंबिया, वेनेजुएला और पनामा के उष्णकटिबंधीय एंडीज पर्वतमाला के क्षेत्र शामिल हैं।
- स्थिर KBA: उष्णकटिबंधीय वन KBA का लगभग 34% हिस्सा अभी तक नए तापमान प्रारूप का अनुभव नहीं कर पाया है, तथा इनमें से आधे से अधिक किसी न किसी प्रकार के संरक्षण में हैं।
- उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंधीय वन, नवीन तापमान स्थितियों से सबसे कम प्रभावित होने वाले वनों में से हैं।
प्रमुख जैवविविधता क्षेत्र (KBA) क्या हैं?
- अवधारणा की उत्पत्ति: बर्डलाइफ इंटरनेशनल ने महत्वपूर्ण पक्षी और जैवविविधता क्षेत्रों (IBA) की पहचान कर इस मॉडल की शुरुआत की। इस मॉडल की सफलता ने अन्य टैक्सोनोमिक समूहों, जैसे पौधों, तितलियों और मीठे पानी तथा समुद्री जैवविविधता को शामिल किया।
- वर्ष 2004 में बैंकॉक में वर्ल्ड कंज़र्वेशन काॅन्ग्रेस में, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने एक एकीकृत ढाँचे की आवश्यकता को पहचाना, जिसकी परिणति वर्ष 2016 के वैश्विक KBA मानक के रूप में हुई।
- KBA के बारे में: KBA वे स्थल हैं जो जैवविविधता की वैश्विक स्थिरता में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
- इनमें विशिष्ट प्रजातियाँ या केवल सीमित क्षेत्रों में पाई जाने वाली प्रजातियाँ हो सकती हैं, और ये ग्रह के स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- मान्यता के लिये मानदंड: पाँच श्रेणियों के अंतर्गत 11 मानदंड हैं जिन्हें किसी साइट को KBA के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये पूरा करना होगा। ये श्रेणियाँ हैं:
- संकटग्रस्त जैवविविधता
- भौगोलिक दृष्टि से प्रतिबंधित जैवविविधता
- पारिस्थितिक अखंडता
- जैविक प्रक्रियाएँ
- स्थिरता
- वैश्विक KBA उपस्थिति: वर्तमान तक, विश्व में 16,000 से अधिक KBA का मानचित्रण किया जा चुका है।
- प्रमुख जैवविविधता क्षेत्र साझेदारी, जिसमें 13 वैश्विक संरक्षण संगठन शामिल हैं , विश्व में KBA की पहचान, मानचित्रण और संरक्षण के लिये कार्य कर रही है।
- भारत में 862 प्रमुख जैवविविधता क्षेत्र (KBA) हैं, जो जैवविविधता के संरक्षण के लिये महत्वपूर्ण हैं, जैसे पश्चिमी घाट।
- प्रमुख जैवविविधता क्षेत्र साझेदारी, जिसमें 13 वैश्विक संरक्षण संगठन शामिल हैं , विश्व में KBA की पहचान, मानचित्रण और संरक्षण के लिये कार्य कर रही है।
उष्णकटिबंधीय वनों और KBA पर बढ़ते तापमान का क्या प्रभाव है?
- स्थिर सूक्ष्म जलवायु (माइक्रो-क्लाइमेट) में व्यवधान: अचानक होने वाले परिवर्तन उनकी तापीय सहनशीलता को पार कर सकते हैं, जिससे नुकसान हो सकता है। स्थिर सूक्ष्म जलवायु के भीतर विशिष्ट स्थानों पर रहने वाली प्रजातियों को आवासों के नुकसान सामना करना पड़ सकता है।
- जैवविविधता के लिये खतरा: तापमान में वृद्धि से आवासों का नुकसान हो सकता है, विशेष रूप से वर्षा वनों, मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों जैसे संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्रों में।
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में परिवर्तन: बढ़ते तापमान से पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ जैसे कार्बन पृथक्करण, जल विनियमन और पोषक चक्रण प्रभावित हो सकता है।
- आक्रामक प्रजातियों का खतरा: अधिक तापमान के कारण आक्रामक प्रजातियाँ में वृद्धि हो सकती हैं तथा देशी प्रजातियों से प्रतिस्पर्द्धा में आगे निकल सकती हैं।
- वनों की कटाई और क्षरण: उच्च तापमान के कारण वनों की कटाई और क्षरण में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि इससे पारिस्थितिकी तंत्र वनाग्नि, कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है।
- प्रजातियों की संरचना में बदलाव: कई प्रजातियाँ ठंडी परिस्थितियों की तलाश में अधिक ऊँचाई या अक्षांशों की ओर पलायन कर सकती हैं, जिससे प्रजातियों का स्थानीय स्तर पर विलुप्त होना संभव है।
- मानव समुदायों पर प्रभाव: बढ़ते तापमान से वन उत्पादकता प्रभावित हो सकती है, जिससे भोजन, दवा और आश्रय के लिये उष्णकटिबंधीय वनों पर निर्भर स्थानीय एवं स्वदेशी समुदायों की आजीविका को खतरा हो सकता है।
बढ़ते तापमान से प्रमुख जैवविविधता क्षेत्रों की सुरक्षा किस प्रकार की जा सकती है?
प्रकृति-आधारित समाधान विकसित करना और उनका विस्तार करना |
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाना, एकल-फसल वृक्षारोपण जैसी अनुपयुक्त प्रथाओं से बचना तथा विविध, अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्रों पर ध्यान केंद्रित करना। |
पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करना |
कार्बन अवशोषण और जैवविविधता को बढ़ाने के लिये वनों, आर्द्रभूमि, पीटलैंड और मैंग्रोव के संरक्षण एवं पुनर्स्थापन को प्राथमिकता दीजिये। |
पुनःवन्यीकरण पहल |
पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के लिये देशी प्रजातियों के पुन:प्रवेश सहित पुनःवनीकरण रणनीतियों का अन्वेषण करना। |
आवास संपर्क पहल |
खंडित आवासों को जोड़ने के लिये गलियारों का निर्माण करना, जिससे प्रजातियों को प्रवास करने तथा बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल अवसर प्राप्त हों। |
आक्रामक प्रजाति प्रबंधन |
आक्रामक प्रजातियों के प्रसार तथा विशेष रूप से आक्रामक प्रजातियों को निशाना बनाने वाले प्राकृतिक शिकारियों को रोकने के लिये, सीमाओं पर उत्पादों (पौधों, जानवरों और मिट्टी) की निगरानी और निरीक्षण किया जाना चाहिये। |
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: प्रमुख जैवविविधता क्षेत्र (KBA) क्या हैं? यह ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से किस प्रकार प्रभावित होते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. “मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” यह पहल किसके द्वारा शुरू की गई थी? (2018) (a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल उत्तर: (c) मेन्सभारत सरकार दवा कंपनियों द्वारा दवा के पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट कराने से कैसे बचाव कर रही है? (वर्ष 2019) |