केरल में नौ नए पक्षी एवं जैव-विविधता क्षेत्र
चर्चा में क्यों ?
- विदित हो कि केरल में नौ नए स्थानों की पहचान महत्त्वपूर्ण पक्षी और जैव-विविधता क्षेत्रों के रूप में की गई है। हाल ही में ‘बर्डलाइफ इंटरनेशनल’ की एक सहयोगी ‘बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ ने अपने हालिया प्रकाशन में भारत के पक्षी एवं जैव-विविधता क्षेत्रों की नई सूची जारी की है।
- इन नौ स्थानों को शामिल करते हुए, केरल में पक्षी एवं जैव-विविधता के क्षेत्रों की कुल संख्या अब 33 हो गई है। केरल के पक्षी एवं जैव-विविधता क्षेत्रों में तीन गंभीर रूप से विलुप्तप्राय पक्षी पाए जाते हैं, ये पक्षी हैं: सफेद पूँछ वाले गिद्ध, लाल गर्दन वाले गिद्ध और भारतीय गिद्ध।
पक्षी एवं जैव-विविधता क्षेत्र क्या हैं ?
- बर्डलाइफ इंटरनेशनल के अनुसार ये "पक्षियों और अन्य जैव-विविधता के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के स्थान हैं"। इन क्षेत्रों में जैव-विविधता के सरंक्षण के लिये व्यावहारिक संरक्षण अभियान चलाने की आवश्यकता होती है।
- बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा किसी क्षेत्र को पक्षी और जैव-विविधता क्षेत्र घोषित किया जाना इस बात का सूचक नहीं है कि संबंधित क्षेत्र को कानूनी सरंक्षण प्राप्त हो गया है और वहाँ लोगों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया है, बल्कि बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा केंद्र एवं राज्य सरकारों को वन्यजीवों के संरक्षण से संबंधित महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करने के लिये प्रोत्साहित करना है। यह सरंक्षण की स्थानीय समुदाय आधारित पद्धतियों के महत्त्व को भी रेखांकित करता है।
क्या है बर्डलाइफ इंटरनेशनल?
- बर्डलाइफ इंटरनेशनल संरक्षण संगठनों की एक वैश्विक भागीदारी है, जो पक्षियों, उनके निवास स्थान और विश्व में जैव-विविधता के संरक्षण हेतु प्रयासरत है। यह प्राकृतिक संसाधनों के न्यायोचित इस्तेमाल करने की वकालत करता है। 120 संगठनों के साथ यह संरक्षण संगठनों की दुनिया की सबसे बड़ी भागीदारी है।
- यह ‘वर्ल्डवाच’ नामक त्रैमासिक पत्रिका प्रकशित करता है, जिसमें पक्षियों, उनके निवास स्थानों और उनके संरक्षण के उपायों से संबंधित हालिया समाचार और आधिकारिक लेख शामिल होते हैं। उल्लेखनीय है कि बर्डलाइफ इंटरनेशनल पक्षियों के लिये आधिकारिक ‘रेड लिस्ट’ जारीकर्त्ता प्राधिकरण है।
- वर्तमान में अलग-अलग कारकों की वज़ह से प्रकृति में तेज़ी से बदलाव आ रहा है। इसका खासकर पशु-पक्षियों और पौधों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में सभी देशों को आगाह करने के लिये 1963 में बना आइयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़रवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज़) रेड डाटा बुक या रेड लिस्ट जारी करता है।
- बर्डलाइफ इंटरनेशनल संस्था भी इसी तर्ज़ पर कार्य करती है। यह संस्था सभी महाद्वीपों के लिये अलग-अलग रिपोर्ट जारी करती है। संस्था की तरफ से इन पक्षियों के संरक्षण को लेकर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और इनसे लोगों को भी जोड़ा जाता है।