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आपराधिक जाँच में आवाज़ के नमूने

  • 18 Apr 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आपराधिक जाँच में आवाज़ के नमूने, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, निजता का अधिकार

मेन्स के लिये:

आपराधिक जाँच में आवाज़ पहचान तकनीक की विश्वसनीयता और सटीकता, न्यायालय में सबूत के रूप में आवाज़ के नमूने के उपयोग संबंधी कानूनी और नैतिक विचार।

चर्चा में क्यों?

वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों में कथित संलिप्तता के संबंध में हाल ही में एक राजनेता को एक विशेष भाषण की पुष्टि हेतु अपनी आवाज़ के नमूने प्रस्तुत करने के लिये केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के समक्ष उपस्थित होना पड़ा।

  • आवाज़ के नमूने आपराधिक जाँच में महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गए हैं, जिससे जाँचकर्त्ताओं को सबूतों की पुष्टि करने एवं संदिग्धों की पहचान करने की अनुमति मिलती है। 

आवाज़ के नमूने प्राप्त करने की प्रक्रिया: 

  • प्रक्रिया:  
    • जाँच एजेंसियाँ किसी व्यक्ति की आवाज़ का नमूना लेने के लिये न्यायालय की अनुमति लेती हैं। आवाज़ का नमूना लेने का कार्य एक नियंत्रित और शोर-मुक्त वातावरण में किया जाता है
    • नमूना रिकॉर्ड करने के लिये वॉयस रिकॉर्डर का उपयोग किया जाता है जिसमें संबद्ध व्यक्ति से उसके बयान के हिस्से के किसी विशिष्ट शब्द को बोलने के लिये कहा जाता है जो पहले से ही साक्ष्य का हिस्सा होता है। 
  • तुलना की विधि: 
    • पाँच संदिग्ध लोगों और एक अज्ञात आवाज़ के नमूने की तुलना की जाती है; वक्ता की पहचान के साथ ही दोनों आवाज़ के नमूनों की पुष्टि हो जाती है।
    • आवाज़ रिकॉर्ड करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक अक्षरों का उपयोग किया जाता है जिसमें विषय के मूल कथन का केवल एक छोटा सा हिस्सा (विश्लेषण में आसानी हेतु) उच्चारित किया जाता है। 
    • भारत में आवाज़ का नमूना लेने की प्रक्रिया:  
      • भारतीय फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में आवाज़ के नमूने की सेमी-ऑटोमैटिक स्पेक्ट्रोग्राफिक पद्धति का उपयोग किया जाता है।
      • फोरेंसिक लैब जाँच एजेंसी को अंतिम रिपोर्ट सौंपती है, जिसमें बताया जाता है कि आवाज़ के नमूने के विश्लेषण के परिणाम सकारात्मक हैं अथवा नकारात्मक।
    • हालाँकि कुछ देशों में स्वचालित पद्धति का उपयोग किया जाता है, जिसमें आवाज़ के नमूनों को संभावित अनुपात में विकसित किया जाता है। इससे दक्षता बढ़ती है।
  • कमियाँ: 
    • यदि दवाओं के प्रभाव के कारण व्यक्ति की आवाज़ बदल जाती है या यदि व्यक्ति सर्दी से पीड़ित है तो परिणाम में अशुद्धि उत्पन्न हो सकती है।
    • इस नमूने की विश्वसनीयता विशेषज्ञ द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीक और न्यायालय द्वारा इसका विश्लेषण करने के तरीके पर निर्भर करती है।

आवाज़ के नमूने एकत्र करने की वैधता: 

  • वर्ष 2013 में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर विचार किया कि क्या आवाज़ के नमूने एकत्र करना आत्म-अभिशंसन के खिलाफ मौलिक अधिकार अथवा निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा या नहीं।
  • दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 53 (1) DNA विश्लेषण अथवा शरीर की सामान्य जाँच के लिये नमूने एकत्र करने हेतु पुलिस अधिकारी के अनुरोध पर एक चिकित्सक द्वारा आरोपी की जाँच या फिर "इस तरह के अन्य आवश्यक परीक्षण" की अनुमति देती है। 
    • धारा 53 (1) में "ऐसे अन्य परीक्षण" वाक्यांश को आवाज़ के नमूनों के संग्रह को शामिल करने के समान है। हालाँकि आपराधिक प्रक्रिया कानूनों के तहत आवाज़ के नमूनों के परीक्षण के लिये कोई विशेष प्रावधान नहीं है क्योंकि यह एक अपेक्षाकृत नया तकनीकी साधन है।
    • वर्ष 2013 के मामले में एक खंडित फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया कि इस उद्देश्य के लिये एक विशिष्ट कानून उपलब्ध नहीं है।
  • तीन न्यायाधीशों की बेंच की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाँच के लिये आवाज़ का नमूना एकत्र करने से अभियुक्त के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा। 
    • इसने माना कि निजता के अधिकार को पूर्ण नहीं माना जा सकता है और इसे सार्वजनिक हित में बदला जाना चाहिये।
    • हाल ही में वर्ष 2022 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक फैसले में यह भी पाया गया कि आवाज़ के नमूने उंगलियों के निशान एवं लिखावट से मिलते-जुलते हैं तथा कानून के अनुसार अनुमति के साथ एकत्र किये जाते हैं और पहले से एकत्र किये गए सबूतों की तुलना करने के लिये उपयोग किये जाते हैं।

निजता का अधिकार:

  • निजता के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के आंतरिक भाग के रूप में और संविधान के भाग III द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रता के एक भाग के रूप में संरक्षित किया गया है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ 2017 के एक ऐतिहासिक फैसले में निजता और उसके महत्त्व को बताया था कि निजता का अधिकार एक मौलिक एवं अविच्छेद्य अधिकार है तथा उस व्यक्ति के बारे में सभी जानकारी और उसके द्वारा चुने गए विकल्पों को कवर करने वाले व्यक्ति को जोड़ता है।

पिछले मामले जहाँ आवाज़ के नमूने एकत्र किये गए:

  • भारत: 
    • आवश्यक वस्तु और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS) के तहत एक विशेष अदालत ने फरवरी 2021 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा दायर एक याचिका को अनुमति दी थी जिसमें अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ड्रग्स मामले में 33 अभियुक्तों की आवाज़ के नमूने एकत्र करने की मांग की गई थी। 
  • अन्य देश: 
    • यूएस फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) ने पहली बार 1950 के दशक में वॉयस आइडेंटिफिकेशन एनालिसिस की तकनीक का इस्तेमाल किया था। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. फिंगरप्रिंट स्कैनिंग के अलावा किसी व्यक्ति की बायोमेट्रिक पहचान में निम्नलिखित में से किसका उपयोग किया जा सकता है? (2014)

  1. आईरिस स्कैनिंग 
  2. रेटिनल स्कैनिंग 
  3. आवाज़ पहचान

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :  

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)   

व्याख्या:

  • बॉयोमीट्रिक सत्यापन कोई भी माध्यम हो सकता है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को एक या अधिक विशिष्ट जैविक लक्षणों का मूल्यांकन करके विशिष्ट रूप से पहचाना जा सकता है।
  • विशिष्ट पहचानों में उंँगलियों के निशान, हाथ की ज्यामिति, ईयरलोब ज्यामिति, रेटिना और आईरिस पैटर्न, आवाज़ तरंगें, डीएनए तथा हस्ताक्षर शामिल हैं। बॉयोमीट्रिक सत्यापन का सबसे पुराना रूप फिंगरप्रिंटिंग है।
  • बॉयोमीट्रिक पहचान के लिये दी गई सभी प्रक्रियाओं, अर्थात् आइरिस स्कैन, वॉयस रिकग्निशन और रेटिनल स्कैनिंग का उपयोग किया जा सकता है। अत: 1, 2 और 3 सही हैं।
  • अतः विकल्प (d) सही उत्तर है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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