कज़ाखस्तान के रक्षा मंत्री की यात्रा | 14 Apr 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और कज़ाखस्तान गणराज्य (Republic of Kazakhstan) के रक्षा मंत्रियों के बीच नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता आयोजित की गई ।

  • इससे पहले सितंबर 2020 में मॉस्को (रूस) में शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान इनके बीच वार्ता हुई थी।

प्रमुख बिंदु

वार्ता के मुख्य बिंदु

  • दोनों पक्षों ने रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में सहयोग की संभावना पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की।
    • प्रशिक्षण, रक्षा अभ्यास और क्षमता निर्माण समेत विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और अधिक मज़बूत करने पर भी विमर्श किया गया।
  • लेबनान में तैनात संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल (UNIFIL) में कज़ाखस्तानी सैनिकों को भारतीय बटालियन के साथ तैनात करने के लिये दिये गए अवसर हेतु कज़ाखस्तान ने भारत को धन्यवाद दिया।
    • UNIFIL की स्थापना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने वर्ष 1978 में लेबनान से इज़रायल की वापसी की पुष्टि करने, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बहाल करने तथा लेबनान सरकार की इस क्षेत्र पर नियंत्रण करने में सहायता के उद्देश्य से की थी।
  • वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास काज़िंद (KAZIND) का मूल्यांकन किया गया।

भारत-कज़ाखस्तान के बीच रक्षा सहयोग:

  • भारत-कज़ाखस्तान के बीच रक्षा सहयोग  की शुरुआत जुलाई 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री की कज़ाखस्तान यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग पर एक समझौते के तहत हुई है।
    • इस समझौते में संयुक्त प्रशिक्षण, सैन्य अभ्यास, सैन्य-तकनीकी सहयोग, संयुक्त राष्ट्र शांति व्यवस्था और खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान करना शामिल है।
      • UNIFIL, लेबनान में भारतीय बटालियन के एक हिस्से के रूप में तैनाती हेतु कज़ाख सशस्त्र बल यूनिट ने अप्रैल-मई 2018 में भारत में प्रशिक्षण लिया।

भारत के लिये कज़ाखस्तान का महत्त्व:

  • कज़ाखस्तान भारत के लिये अपनी भू-रणनीतिक अवस्थिति, आर्थिक क्षमता (विशेष रूप से ऊर्जा संसाधनों के संदर्भ में) और बहु-जातीय तथा धर्मनिरपेक्ष संरचना के कारण विशेष महत्त्व रखता है।
  • चीन के साथ लंबी सीमाओं के साथ-साथ रूस और एशिया के बीच भू-राजनीतिक अवस्थिति कज़ाखस्तान को प्रमुख रणनीतिक महत्त्व प्रदान करती है।
    • कज़ाखस्तान पश्चिम में कैस्पियन सागर, उत्तर में रूस, पूर्व में चीन और दक्षिण में किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान तथा उज़्बेकिस्तान से घिरा हुआ है।
  • कज़ाखस्तान भारत को चीन के साथ भू-रणनीतिक संतुलन हासिल करने में मदद कर सकता है। भारत का प्रमुख उद्देश्य इस क्षेत्र में चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) पहल के आर्थिक प्रभाव को कम करना है।
  • NSTC सेंट पीटर्सबर्ग में 12 सितंबर 2000 को सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईरान, रूस और भारत द्वारा स्थापित एक बहु उद्देशीय परिवहन समझौता है, जिसे बाद में ग्यारह नए सदस्यों को शामिल करने के लिये संशोधित किया गया।
  • कज़ाखस्तान वैश्विक परमाणु सुरक्षा के संदर्भ में प्रमुख देश बन चुका है और इसने नागोर्नो-काराबाख, ईरान, यूक्रेन और सीरिया के संघर्ष में शांति व्यवस्था बहाली के दिशा में अपेक्षित परिणाम प्राप्त किये हैं।

Kazakhstan

भारत-कज़ाखस्तान संबंध 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 

  • भारत और कज़ाखस्तान के संबंध अत्यधिक प्राचीन और ऐतिहासिक हैं जो 2000 वर्षों से अधिक समय से चले आ रहे हैं। 
  • दोनों देशों के मध्य व्यापार का एक निरंतर और नियमित प्रवाह रहा है तथा सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण,  विचारों और संस्कृति के आदान-प्रदान की निरंतरता है।
    • भारत से मध्य एशिया में बौद्ध धर्म का प्रसार तथा  मध्य एशिया से भारत में सूफी विचारों का प्रसार ऐसे ही दो उदाहरण हैं।

राजनीतिक संबंध:

  • भारत,  कज़ाखस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले शुरूआती देशों में से एक था।
  • दोनों देशों के मध्य फरवरी 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित किये गए थे।
  • वर्ष 2009 से भारत और कज़ाखस्तान दोनों एक-दूसरे के रणनीतिक साझेदार हैं।

बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग:

  • दोनों ही देश एक दूसरे को विभिन्न बहुपक्षीय मंचों जैसे- CICA, SCO और संयुक्त राष्ट्र के संगठनों  में सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।
  • भारत ने कज़ाखस्तान की पहल ‘एशिया में सहभागिता और विश्वास निर्माण उपायों’ (Conference on Interaction and Confidence-Building Measures in Asia- CICA) का समय-समय पर समर्थन किया गया है और CICA की  निर्माण  प्रक्रिया सक्रिय रूप से भाग लिया है।
  • कज़ाखस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है और वर्ष 2021-22 में भारत की अस्थायी सदस्यता हेतु अपने समर्थन को आगे बढ़ाता है। 

व्यापार और अर्थव्यवस्था:

  • वर्ष 1993 में स्थापित भारत-कज़ाखस्तान अंतर-सरकारी आयोग (India-Kazakhstan Inter-Governmental Commission- IGC) दोनों देशों के मध्य व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग विकसित करने हेतु एक  सर्वोच्च द्विपक्षीय संस्थागत तंत्र है। 
    • संबंधित मंत्रियों की सह-अध्यक्षता में भारत की ओर से  पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा कज़ाखस्तान की और से ऊर्जा मंत्रालय इस आयोग  हेतु  नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करते हैं।
  • दोनों देशों के मध्य काउंटर टेररिज़्म, व्यापार और आर्थिक सहयोग, रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग, सूचना प्रौद्योगिकी, हाइड्रोकार्बन, कपड़ा, चाय ऋण एवं अंतरिक्ष सहयोग, स्वास्थ्य एवं परिवहन, कनेतर-सरकारी आयोग, India-Kazakhstan Inter-Governmental Commission 
  • कज़ाखस्तान, मध्य एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार और निवेश भागीदार है। 

अंतरिक्ष सहयोग:

  • वर्ष 2017 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) ने 103 अन्य उपग्रहों के साथ अल-फराबी कज़ाख नेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा निर्मित 1.7 किलोग्राम वज़न का  नैनो सैटेलाइट "अल -फराबी -1" (Al-Farabi-1) को लॉन्च किया गया।
  • मई 2018 में इसरो के एक प्रतिनिधिमंडल ने कज़ाख रक्षा एक्सपो ’KADEX’ (Kazakh Defence Expo ‘KADEX) में हिस्सा लिया था। 

नागरिक परमाणु सहयोग:

  • वर्ष 2008 में भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (Nuclear Suppliers Group- NSG) देशों के साथ असैन्य परमाणु सहयोग की अनुमति देने तथा  भारत को विशिष्ट छूट प्राप्त करने में कज़ाखस्तान द्वारा भारत का समर्थन किया गया।  

भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC):

  • भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा प्रायोजित आईटीईसी कार्यक्रम के तहत विभिन्न विशेष क्षेत्रों में कज़ाखस्तान को क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान करता है।

दूतावास संबंधी सहयोग: 

  • भारत और कज़ाखस्तान के मध्य राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट धारकों हेतु वीजा मुक्त प्रवेश (Visa Free Entry) पर एक समझौता हुआ है।
  • भारत सरकार द्वारा फरवरी 2018 से कज़ाखस्तान नागरिकों हेतु ई-वीजा सुविधा (E-Visa Facility) का विस्तार किया गया है।
  • 1 जनवरी, 2019 से कज़ाखस्तान द्वारा भारत के यात्रियों हेतु इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा (Electronic Visa) सुविधा भी शुरू की गई है।

आगे की राह: 

  • मध्य एशिया का हिस्सा होने के कारण,कज़ाखस्तान भारत के लिये  रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण  है। भारत को मध्य एशिया के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने हेतु  अपने आर्थिक संसाधनों का अधिक कुशलता के साथ उपयोग करने की आवश्यकता है।
  • भारत-कज़ाखस्तान के मध्य स्थापित मज़बूत संबंध नई दिल्ली (भारत ) को पाकिस्तान को दरकिनार कर संसाधन संपन्न क्षेत्र नूर-सुल्तान (कज़ाखस्तान) तक पहुँच प्रदान करता है, जो भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण पूरक भूमिका निभा सकता है। 

स्रोत: पी आई बी