सामाजिक न्याय
महिलाओं के प्रति हिंसा में वृद्धि
- 09 Apr 2020
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प्रीलिम्स के लिये:यूनाइटेड नेशंस वुमन संगठन, COVID-19, मेन्स के लिये:महिला सशक्तीकरण एवं महिलाओं से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
यूनाइटेड नेशंस वुमन (United Nations Women) संगठन के अनुसार, संपूर्ण विश्व में COVID-19 के कारण महिलाओं के प्रति हिंसा में वृद्धि हुई है।
प्रमुख बिंदु:
- अर्जेंटीना, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, साइप्रस, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में महिलाओं के प्रति हिंसा में वृद्धि हुई है।
- लगभग 90 देशों में लॉकडाउन के कारण सुरक्षा, स्वास्थ्य, और धन की कमी से उत्पन्न तनाव हिंसा को बढ़ावा दे रहा है।
- भारत के संदर्भ में:
- भारत में राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women- NCW) ने लिंग आधारित हिंसा में दो गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की है।
- NCW द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, जहाँ एक ओर मार्च के पहले सप्ताह (2-8 मार्च) में महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा के 116 मामले सामने आए वहीं मार्च के अंतिम सप्ताह (23 मार्च - 1 अप्रैल) में ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 257 हो गई।
- इस अवधि के दौरान बलात्कार अथवा बलात्कार के प्रयास के मामले में तेज़ी से वृद्धि देखी गई और ये 2 से बढ़कर 13 पर पहुँच गए हैं।
COVID-19 से उत्पन्न चुनौतियाँ:
- COVID-19 से पहले भी घरेलू हिंसा मानवाधिकार के उल्लंघनों में से एक था।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2019-20 के दौरान विश्व में 243 मिलियन महिलाओं और लड़कियों (15-49 वर्ष की आयु) के साथियों द्वारा यौन या शारीरिक हिंसा की गई। इसी तरह COVID-19 का प्रकोप जारी रहा तो हिंसा में वृद्धि होने की संभावना है।
- घरेलू हिंसा के व्यापक विश्लेषण ने पहले से मौजूद आँकड़ों पर प्रश्न चिह्न लगाया है।
- 40% से भी कम ऐसी महिलाएँ हैं जो हिंसा का शिकार होने पर मदद मांगती हैं या अपराध की शिकायत करती हैं। मदद मांगने वाली इन महिलाओं में से 10% से भी कम पुलिस के पास जाती हैं।
- कई देशों में महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने के लिये कोई कानून नही है।
- वर्तमान समय में प्रत्येक 4 में से 1 देश में महिलाओं के प्रति हिंसा को रोकने हेतु कोई कानून नहीं है।
आगे की राह:
- हिंसा की शिकार महिलाओं हेतु हेल्पलाइन तैयार करना, मनोसामाजिक (Psycho-social) मदद प्रदान करना और ऑनलाइन काउंसलिंग जैसे कदम सहायक साबित हो सकते है।
- प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान जैसे एसएमएस, ऑनलाइन उपकरण और नेटवर्क का उपयोग समाज के उत्थान के लिए किया जाना चाहिये।
- महिलाओं और ज़मीनी स्तर के कार्यकर्त्ताओं के संगठन और समुदायों को आर्थिक रूप से मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- पुलिस और न्याय प्रणाली में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिये साथ ही विशेष परिस्थितियों के अलावा अपराधियों हेतु दंड-मुक्ती का कोई प्रावधान नहीं होना चाहिये।
यूनाइटेड नेशंस वुमन(United Nations Women):
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