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‘राज्य महिला आयोग’ : एक आवश्यकता

  • 23 Oct 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वृंदावन और देश के अन्य स्थानों के विधवा आश्रमों में रह रही बेसहारा विधवा महिलाओं की दयनीय स्थिति की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को सभी राज्यों में ‘राज्य महिला आयोग’ (state commissions for women-SCW) की मौजूदगी को सुनिश्चित कराने का आदेश जारी किया है। 

प्रमुख बिंदु

  • दरअसल, बेसहारा विधवाओं की स्थिति से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए न्यायालय का कहना था कि यदि इन राज्यों में महिला राज्य महिला आयोग मौजूद नहीं थे तो राज्य सरकारों का ध्यान ऐसे पैनलों के गठन पर केन्द्रित होना चाहिये था। 
  • न्यायाधीश एम.बी लोकुर की अध्यक्षता में गठित एक खंडपीठ का यह कहना था कि महान्यायाभिकर्ता को भी न्यायालय को इस विषय में अवगत कराना चाहिए था कि सभी राज्यों में महिलाओं के लिये राज्य आयोग मौजूद हैं, अथवा नहीं। 
  • हालाँकि केंद्र सरकार ने खंडपीठ को यह आश्वासन दिया है कि इसके द्वारा कार्य योजना पर एक हलफनामा तैयार किया जाएगा जिसमें बेसहारा विधवाओं की स्थिति में सुधार करने के लिये किये जाने वाले कार्यों की सूची को शामिल किया जाएगा।
  • न्यायालय ने केंद्र सरकार को छह सप्ताह के भीतर यह कार्य करने का आदेश दिया है।  इस मामले पर अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी। 
  • अगस्त माह में ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि बहिष्कृत विधवा महिलाएँ समाज के सामाजिक दृष्टि से वंचित वर्ग में आती हैं और वृंदावन और देश के किसी भी राज्य के विधवा आश्रमों में उनके आत्म-सम्मान के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिये। यह समाज कका एक अति संवेदनशील वर्ग है जिसकी न्याय तक पहुँच नहीं होती है। अतः उन्हें  शीघ्रातिशीघ्र सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय महिला आयोग

  • राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था। इसका उद्देश्य महिलाओं की संवैधानिक और क़ानूनी सुरक्षा को सुनिश्चित करना, उनके लिये विधायी सुझावों की सिफारिश करना, उनकी शिकायतों का निवारण करना तथा महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों में सरकार को सलाह देना है।
  • भारत में महिलाओं की स्थिति पर बनी एक समिति ने तक़रीबन दो दशक पहले राष्ट्रीय महिला आयोग के गठन की सिफारिश की थी, ताकि इसके माध्यम से महिलाओं की शिकायतों का निवारण कर उनके सामाजिक व आर्थिक विकास को गति दी जा सके।
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