वियतनाम गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था स्थिति के लिये प्रयासरत | 14 May 2024
प्रिलिम्स के लिये:आर्थिक और सामाजिक विकास, एंटी-डंपिंग ड्यूटी, अर्थव्यवस्थाओं के प्रकार, विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) मेन्स के लिये:भारत-अमेरिका संबंधों में हालिया विकास, भू-राजनीतिक चुनौतियाँ और आगे की राह, भारत-वियतनाम संबंध। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
वियतनाम ने संयुक्त राज्य अमेरिका प्रशासन से तुरंत अपनी स्थिति को "गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था" (Non-Market Economy- NME) से "बाज़ार अर्थव्यवस्था" (Market Economy- ME) में पुनर्वर्गीकृत करने का आग्रह किया है।
- इससे वियतनाम को राहत मिलेगी, क्योंकि वर्तमान में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों द्वारा आयातित वस्तुओं को आयात पर उच्च करों का सामना करना पड़ रहा है।
गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्थाएँ क्या हैं?
- परिचय:
- अमेरिका में गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था ऐसे किसी देश को संदर्भित करती है जिसके विषय में अमेरिकी वाणिज्य विभाग निर्धारित करता है कि वह बाज़ार-आधारित लागत या मूल्य निर्धारण संरचनाओं का पालन नहीं करता है। फलस्वरूप, ऐसे देशों में वस्तुओं की बिक्री उनके उचित मूल्य को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर सकती है।
- इस सूची में आर्मेनिया, अज़रबैजान, बेलारूस, चीन, जॉर्जिया, किर्गिज़ गणराज्य, मोल्दोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़बेकिस्तान और वियतनाम देश शामिल हैं।
- मानदंड:
- संयुक्त राज्य अमेरिका कई कारकों के आधार पर किसी देश को गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था के रूप में नामित करता है:
- यदि देश की मुद्रा परिवर्तनीय है।
- यदि मज़दूरी दरें श्रम और प्रबंधन के मध्य मुक्त सौदेबाज़ी द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
- यदि संयुक्त उद्यमों या अन्य विदेशी निवेश की अनुमति है।
- क्या उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व है?
- यदि राज्य संसाधनों के आवंटन और मूल्य और उत्पादन निर्णयों को नियंत्रित करता है।
- अन्य कारक जैसे मानवाधिकार।
- संयुक्त राज्य अमेरिका कई कारकों के आधार पर किसी देश को गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था के रूप में नामित करता है:
- गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी:
- 'गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था' का पदनाम अमेरिका को नामित देशों से आयातित उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी निर्धारित करने की अनुमति देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में डंपिंग तब होती है जब कोई देश जानबूझकर अपने निर्यात मूल्यों को अपनी घरेलू कीमतों से कम निर्धारित करता है, जिससे आयात करने वाले देश में उद्योगों को हानि होती है।
- एंटी-डंपिंग ड्यूटी किसी देश की सरकार द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाए गए शुल्क हैं जो अनुचित रूप से कम कीमतों पर बेचे जाते हैं, आमतौर पर उनके बाज़ार मूल्य या उत्पादन लागत से कम हो।
- इन शुल्कों का उद्देश्य घरेलू उद्योगों को डंपिंग के हानिकारक प्रभावों से बचाना है, जिसमें कीमतों में कटौती, घरेलू उत्पादकों को हानि पहुँचाना तथा प्रतिस्पर्धा में अवरोध उत्पन्न करना शामिल हो सकता है।
- 'गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था' का पदनाम अमेरिका को नामित देशों से आयातित उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी निर्धारित करने की अनुमति देता है।
- एंटी-डंपिंग ड्यूटी के स्तर का निर्धारण:
- अमेरिका वियतनाम जैसी गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के लिये उत्पाद के मूल्य की तुलना बांग्लादेश जैसे तीसरे देश से करके डंपिंग रोधी शुल्क निर्धारित करता है, जिसे बाज़ार अर्थव्यवस्था माना जाता है और उस मूल्य को तब गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था में कंपनी के लिये उत्पादन लागत माना जाता है।
- इस दृष्टिकोण को इस संभावना के कारण नियोजित किया जाता है कि गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं में पारदर्शी मूल्य निर्धारण प्रणालियों का अभाव है, जिससे तुलना के लिये प्रॉक्सी देशों (proxy nations) पर निर्भरता हो सकती है।
- अमेरिका वियतनाम जैसी गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के लिये उत्पाद के मूल्य की तुलना बांग्लादेश जैसे तीसरे देश से करके डंपिंग रोधी शुल्क निर्धारित करता है, जिसे बाज़ार अर्थव्यवस्था माना जाता है और उस मूल्य को तब गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था में कंपनी के लिये उत्पादन लागत माना जाता है।
- NME और विश्व व्यापार संगठन (WTO):
- WTO NME की स्थिति को स्पष्ट रूप से मान्यता या समर्थन नहीं देता है। हालाँकि, यह सदस्यों को डंपिंग रोधी जाँच में सामान्य मूल्यों की गणना करने के लिये वैकल्पिक विधियों का उपयोग करने की अनुमति देता है।
- WTO एंटी डंपिंग समझौता सदस्यों को NME के लिये उचित कार्यप्रणाली चुनने की सुविधा प्रदान करता है। यह कोई विशिष्ट दृष्टिकोण निर्धारित नहीं करता है।
बाज़ार अर्थव्यवस्था क्या है?
- यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें माँग व आपूर्ति का नियम यह परिभाषित करता है कि क्या उपलब्ध है और किस कीमत पर, तथा उत्पादन निर्णय एवं वस्तुओं व सेवाओं की कीमतें ज्यादातर उपभोक्ताओं एवं उद्यमों की बातचीत के आधार पर निर्धारित होती हैं।
- एक बाज़ार अर्थव्यवस्था उद्यमियों को नए उत्पादों का निर्माण करके लाभ प्राप्त करने और यदि बाज़ार को गलत तरीके से समझतें हैं तो असफल होने की स्वतंत्रता देती है।
वियतनाम की गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था (NME) की स्थिति के बारे में क्या तर्क हैं?
- वियतनाम के तर्क:
- मुद्रा परिवर्तनीयता: वियतनाम की मुद्रा बाज़ार के सिद्धांतों के आधार पर पारदर्शी रूप से अन्य मुद्राओं में परिवर्तनीय है।
- मज़दूरी निर्धारण: मज़दूरी दरें श्रम और प्रबंधन के बीच मुक्त सौदेबाज़ी से उत्पन्न होती हैं।
- विदेशी निवेश: इसमें विदेशी निवेश की अनुमति है और वियतनाम इसके लिये एक आकर्षक गंतव्य बन गया है।
- उत्पादन के साधन: सरकार के पास उत्पादन के साधनों पर महत्त्वपूर्ण स्वामित्व अथवा नियंत्रण नहीं है।
- संसाधनों का आवंटन: सरकार का संसाधन आवंटन अथवा मूल्य/उत्पादन निर्णयों पर महत्त्वपूर्ण नियंत्रण नहीं है।
- बाज़ार सिद्धांत: वियतनाम की अर्थव्यवस्था बाज़ार सिद्धांतों पर संचालित होती है, जिसमें कानूनी ढाँचे, कॉर्पोरेट प्रशासन और विविध विदेशी संबंध शामिल हैं।
- गणना में त्रुटियाँ: वियतनाम के WTO और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र के अनुसार, एंटी-डंपिंग ड्यूटी गणना प्रक्रिया दोषपूर्ण है क्योंकि यह डंपिंग मार्जिन उत्पन्न करती है जो अस्वाभाविक रूप से उच्च है तथा वियतनामी उद्यमों की वास्तविक प्रथाओं को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं करती है।
- अमेरिकी आशंकाएँ:
- अमेरिकी वाणिज्य विभाग वर्तमान में वियतनाम की स्थिति की समीक्षा कर रहा है।
- अमेरिकी इस्पात निर्माताओं एवं अमेरिकी झींगा प्रसंस्करण एसोसिएशन ने अमेरिकी प्रशासन से आग्रह किया है कि वियतनाम को बाज़ार अर्थव्यवस्था के रूप में नहीं स्वीकारा जाए।
- इन संगठनों ने इस आग्रह का कारण भूमि स्वामित्व पर वियतनाम के प्रतिबंधों, अप्रभावी श्रम कानूनों एवं झींगे पर लगने वाले निम्न शुल्क का हवाला दिया जो उनके अन्य सदस्यों को आर्थिक हानि पहुँचाएगा।
- इस बदलाव से वियतनाम में निवेश करने वाली चीनी कंपनियों को लाभ हो सकता है, जिससे वे सरलता से अमेरिकी टैरिफ ड्यूटी से छूट प्राप्त कर सकते हैं।
भारत और वियतनाम के द्विपक्षीय व्यापार की स्थिति क्या है?
- भारत और वियतनाम के मध्य पारंपरिक, घनिष्ठ एवं सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंध हैं। विगत वर्षों में भारत और वियतनाम के आर्थिक संबंध काफी मज़बूत हुए हैं।
- वित्तीय वर्ष (FY) अप्रैल 2020-मार्च 2021:
- भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार 11.12 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- इस वर्ष वियतनाम को भारतीय ने 4.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया।
- वियतनाम से भारत को 6.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात हुआ।
- हालिया प्रवृत्ति:
- 2022 में द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- वियतनाम भारत का 15वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और वैश्विक स्तर पर भारत वियतनाम का 8वाँ व्यापारिक भागीदार है।
और पढ़ें: भारत और वियतनाम संबंध
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. मेकांग-गंगा सहयोग जो कि छह देशों की एक पहल है, निम्नलिखित में से कौन-सा/से देश प्रतिभागी नहीं है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये- (2020)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (C) मेन्स:प्रश्न. 'भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच संबंधों में खटास के प्रवेश का कारण वाशिंगटन का अपनी वैश्विक रणनीति में अभी तक भी भारत के लिये किसी ऐसे स्थान की खोज़ करने में विफलता है, जो भारत के आत्म-समादर और महत्त्वाकांक्षा को संतुष्ट कर सके।' उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2019) |