लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

जैव विविधता और पर्यावरण

उत्तराखंड में जैव विविधता उद्यान

  • 10 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विश्व पर्यावरण दिवस

मेन्स के लिये:

जैव विविधता उद्यान से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day- WED) के अवसर पर उत्तराखंड वन विभाग द्वारा हल्द्वानी (Haldwani) में उत्तराखंड का सबसे बड़ा जैव विविधता उद्यान  (Biodiversity Park) खोला गया है। 

प्रमुख बिंदु:

  •  यह ‘जैव विविधता उद्यान ’ उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़ा उद्यान है।
  • पार्क को उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग ने दो वर्षों में तैयार किया है। पार्क में एक अत्याधुनिक ‘स्वचलित मौसम स्टेशन’ (Automatic Weather Station) भी स्थापित किया गया है।
  • इस स्टेशन पर आगामी वर्षों में जलवायु परिवर्तन के बारे में अवलोकन हेतु पर्यावरण के नौ अलग-अलग मापदंडों को पर हर मिनट दर्ज किया जाएगा।
  • जैव विविधता उद्यान  में आध्यात्मिक और धार्मिक, वैज्ञानिक, मानव स्वास्थ्य और सौंदर्य संबंधी पौधों की प्रजातियों को अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है।

विशेषताएँ:

  • ‘जैव विविधता उद्यान’ लगभग 18 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें पौधों की लगभग 500 प्रजातियाँ हैं।
  • ‘जैव विविधता उद्यान’ को दस क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। जहाँ जलीय पौधों की 25, कैक्टस की 50, क्लेमर्स की 32, 80 विभिन्न प्रकार के पेड़, झाड़ियों की 43, औषधीय जड़ी-बूटियाँ की 40, ताड़ की 25, बाँस की 60, ऑर्किड की 12, और साइकस की 6 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है।
  • नीती माना घाटी (Niti Mana Valley) जैसे विभिन्न इलाके और केदारनाथ के आसपास के कुछ हिमनदों से पौधों की विभिन्न प्रजातियों को पार्क में लाया गया है।
  • उद्यान में जुरासिक युग के लाइकेन, काई, शैवाल, फ़र्न और गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े बरगद और अशोक जैसे विशाल वृक्ष को भी संरक्षित किया गया है।
  • उद्यान में उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मिट्टी (अल्पाइन, भाभर, दोमट, तराई, इत्यादि) को भी प्रदर्शित किया गया है।

उद्देश्य:

  • खनन, तस्करी, आग, सूखा, बाढ़ और निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन जैसे कारकों के कारण दुनिया भर में जैव विविधता तेजी से घट रही है। अतः विलुप्त होने के कगार पर खड़े पौधों और इनके जर्मप्लास्म को संरक्षित करना।
  • लोगों को जैव विविधता को बचाने के लिये जागरूक करना।
  • मानव जीवन में प्रत्येक पौधे के महत्त्व को बताना।

जैव विविधता (Biodiversity)

  • वर्ष 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन में जैव विविधता की मानक परिभाषा अपनाई गई। इस परिभाषा के अनुसार, जैव विविधता समस्त स्रोतों यथा-अंतक्षेत्रीय, स्थलीय, सागरीय एवं अन्य जलीय पारिस्थतिक तंत्रों के जीवों के मध्य अंतर और साथ ही उन सभी पारिस्थितिक समूह, जिनके ये भाग हैं, में पाई जाने वाली विविधताएँ हैं। इसमें एक प्रजाति के अंदर पाई जाने वाली विविधता, विभिन्न जातियों के मध्य विविधता तथा पारिस्थितिकीय विविधता सम्मिलित है।  

जैव विविधता का महत्त्व 

  • पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीव-जंतुओं में उनके आवास और गुणों के आधार पर अत्यधिक भिन्नता पाई जाती है जो मनुष्यों के लिये अपना अस्तित्व बनाए रखने में अत्यधिक सहायक।
  • जैव विविधता से मनुष्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त करता है। 
  • मनुष्य को जीव-जंतुओं, वनस्पतियों से भोजन, आवास के लिये ज़रूरी संसाधन, कपड़े, औषधियाँ, रबर, इमारती लकड़ी आदि की प्राप्ति के साथ ही वैज्ञानिक अनुसंधान एवं नवाचार के लिये आवश्यक संसाधनों की भी प्राप्ति होती है।
  • जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन का आधार है। जैव विविधता में समृद्धि पारितंत्र को स्वस्थ एवं संतुलित बनाए रखने में सहायक है।      

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2