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भारतीय अर्थव्यवस्था

अमेरिका द्वारा अपने सामरिक पेट्रोलियम भंडार का दोहन

  • 20 Nov 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ओपेक+, सामरिक पेट्रोलियम भंडार, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी

मेन्स के लिये:

अमेरिका द्वारा अपने सामरिक पेट्रोलियम भंडार का दोहन करने के निहितार्थ एवं भारत पर इसके प्रभाव

चर्चा में क्यों?

अमेरिका में वर्ष 2022 के मध्यावधि चुनाव के मद्देनज़र, बाइडेन प्रशासन तेल की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिये ‘यूएस स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ (SPR) का दोहन करने पर विचार कर रहा है।

  • अमेरिका में तेल की कीमतों में गिरावट पर इस तरह के कदम का दीर्घकालिक प्रभाव नहीं हो सकता है, जो 85 डॉलर प्रति बैरल के साथ सात वर्ष के उच्च स्तर पर पहुँच गया है।
  • सऊदी अरब और रूस के बाद ओपेक+ उत्पादन समूह के सदस्यों द्वारा वैश्विक बाज़ारों में अधिक तेल की आपूर्ति से इनकार करने के बाद चीन और भारत द्वारा भी ऐसा ही किये जाने की उम्मीद है।

प्रमुख बिंदु

  • सामरिक पेट्रोलियम भंडार:
    • प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या अन्य आपदाओं से आपूर्ति में व्यवधान के जोखिम जैसे किसी भी कच्चे तेल से संबंधित संकट से निपटने के लिये सामरिक पेट्रोलियम भंडार कच्चे तेल के विशाल भंडार हैं।
    • ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) तेल संकट के बाद समर्पित रणनीतिक भंडार की अवधारणा को पहली बार वर्ष 1973 में अमेरिका में लाया गया था।
    • एक अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा कार्यक्रम (I.E.P.) के समझौते के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के प्रत्येक देश के पास कम-से-कम 90 दिनों के शुद्ध तेल आयात के बराबर आपातकालीन तेल स्टॉक रखने का दायित्व है।
      • गंभीर तेल आपूर्ति व्यवधान के मामले में  IEA सदस्य सामूहिक कार्रवाई के हिस्से के रूप में इन शेयरों को बाज़ार में जारी करने का निर्णय ले सकते हैं।
      • 3 सबसे बड़े सामरिक पेट्रोलियम भंडार जापान, अमेरिका, चीन के पास हैं।

राष्ट्रीय SPRs में IEA की भूमिका

  • IEA के अनुसार, 90 दिन की आवश्यकता को पूरा करने के लिये SPR स्तरों को बनाए रखने के आमतौर पर तीन तरीके हैं।
    • रिफाइनरों के पास वाणिज्यिक स्टॉक,
    • सरकार और एजेंसी के शेयर,
    • देशों को संतुलन के अनुसार चुनना।
  • IEA सदस्य देशों को ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा ऊर्जा की कमी को खत्म करने के लिये मुक्त बाज़ारों को बढ़ावा देना।
  • IEA मांग को नियंत्रित करने या आपूर्ति में मदद के उपायों का भी सुझाव देता है।
    • इनमें स्वैच्छिक ईंधन बचत, ईंधन-स्विचिंग जैसे उत्पादन में तीव्र वृद्धि के लिये बिजली उत्पादन हेतु तेल, गैस या भूमिगत भंडार को शामिल करना हो सकता है।
  • भारत में सामरिक पेट्रोलियम भंडार:
    • भारत में सामरिक क्रूड ऑयल स्टोरेज सुविधाओं के निर्माण का प्रबंधन ‘इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड’ (ISPRL) द्वारा किया जा रहा है।
    • चरण-I के तहत सामरिक क्रूड ऑयल के भंडार मैंगलोर (कर्नाटक), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) और पादुर (कर्नाटक) में स्थित हैं। इनमें कुल 5.33 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) ईंधन मौजूद है।
    • भारत सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से दूसरे चरण के तहत चंडीखोल (ओडिशा) और उडुपी (कर्नाटक) में ऐसी दो और भंडार स्थापित करने की योजना बना रही है। इससे अतिरिक्त 6.5 मिलियन टन तेल भंडार की सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
    • नई सुविधाओं के चालू होने के बाद कुल 22 दिन (10+12) तेल की खपत उपलब्ध कराई जाएगी।
    • सामरिक सुविधाओं के साथ भारतीय रिफाइनर 65 दिनों के कच्चे तेल के भंडारण (औद्योगिक स्टॉक) को भी बनाए रखते हैं।
    • इस प्रकार ‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार’ कार्यक्रम के दूसरे चरण के पूरा होने के बाद भारत में कुल 87 दिनों (रणनीतिक भंडार द्वारा 22 +, भारतीय रिफाइनर द्वारा 65) के लिये तेल की मांग को पूरा करने में सक्षम होगा।
    • भारत वर्ष 2017 में ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ का सहयोगी सदस्य बना और हाल ही में ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ ने भारत को पूर्णकालिक सदस्य बनने के लिये आमंत्रित किया है।

Petroleum-Reserves

  • भारत में ‘सामरिक पेट्रोलियम भंडार’ की आवश्यकता:
    • पर्याप्त क्षमता का निर्माण:
      • अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के बाज़ार में होने वाली किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटने के लिये इसकी वर्तमान क्षमता पर्याप्त नहीं है।
      • एक दिन में लगभग 5 मिलियन बैरल तेल की खपत के साथ देश का 86% हिस्सा तेल पर निर्भर है।
    • ऊर्जा सुरक्षा:
      • अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव से भारत को देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और मौद्रिक नुकसान से बचने के लिये पेट्रोलियम भंडार बनाने की सख्त ज़रूरत है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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