यूएस ग्लोबल एंट्री प्रोग्राम | 20 May 2021
चर्चा में क्यों?
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले दो वर्षों में 9,000 से अधिक भारतीयों के पूर्वर्ती स्थितियों (Antecedent) की जाँच की, जो यूएस के ग्लोबल एंट्री प्रोग्राम (Global Entry Programme) के लिये नामांकन करना चाहते थे।
- पूर्ववृत्त सत्यापन के लिये क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (Crime and Criminal Tracking Network and System- CCTNS) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
यूएस ग्लोबल एंट्री प्रोग्राम के विषय में:
- यह प्रोग्राम अमेरिका का एक सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (Customs and Border Protection- CBP) कार्यक्रम है जो कम जोखिम वाले यात्रियों को अपने देश में आने पर एयरपोर्ट से त्वरित निकासी की सुविधा देता है।
- हालाँकि यह पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वर्ष 2008 में शुरू किया गया था, लेकिन भारत वर्ष 2017 में इसका सदस्य बना।
- यात्रियों की संदिग्ध पृष्ठभूमि की जाँच के बाद इस कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्व-अनुमोदन प्रदान किया जाता है।
- यात्रियों का अनुरोध प्राप्त होने के बाद अमेरिकी अधिकारी इसे विदेश मंत्रालय (MEA) के पास भेजता है। विदेश मंत्रालय इसे गृह मंत्रालय को भेजता है, जो पृष्ठभूमि की जाँच करने के लिये अन्य मंत्रालयों, राज्य पुलिस और अन्य डेटाबेस को टैप करता है।
- सीबीपी प्राप्त आवेदन को उस स्थिति में आगे नहीं बढ़ाता है यदि किसी व्यक्ति को “किसी भी अपराध का दोषी ठहराया गया है या आपराधिक आरोप न्यायालय में लंबित है, साथ ही यदि उसे किसी भी देश में सीमा शुल्क, आप्रवास, कृषि नियमों या कानूनों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है।”
अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम:
- यह एक केंद्रीय वित्तपोषित योजना है, जिसे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) द्वारा विकसित किया गया है।
- यह गृह मंत्रालय के नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान (National e-Governance Plan) के तहत स्थापित एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है।
- इसे वर्ष 2009 में मंज़ूरी दी गई थी।
- यह एक सुरक्षित एप्लीकेशन है जो देश के 97% से अधिक पुलिस स्टेशनों को जोड़ता है।
- उद्देश्य:
- पुलिस थानों के कामकाज को पारदर्शी करके पुलिस के कामकाज को नागरिक हितैषी और अधिक पारदर्शी बनाना।
- आईसीटी के प्रभावी उपयोग के माध्यम से नागरिक केंद्रित सेवाओं के वितरण में सुधार लाना।
- अपराध और अपराधियों की सटीक एवं तीव्र जाँच के लिये जाँच अधिकारियों को अद्यतित उपकरण, तकनीक और जानकारियाँ प्रदान करना।