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आंतरिक सुरक्षा

अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (CCTNS)

  • 24 Jul 2019
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (Crime & Criminals Tracking Network and Systems-CCTNS) की सुविधा को देश के सभी थानों में लागू किया है। इस प्रकार के तंत्र के तहत सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस थानें; अपराध और अपराधियों से संबंधित सूचनाओं के एकत्रीकरण, सूचना साझाकरण एवं रिपोर्ट दर्ज करने हेतु एक राष्ट्रीय स्तर के पोर्टल का प्रयोग करेंगे।

CCTNS क्या है?

  • अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (Crime & Criminals Tracking Network and Systems-CCTNS) वर्ष 2009 मे राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्लान के तहत स्थापित एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है।
  • CCTNS प्रोजेक्ट के तहत नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये वर्ष 2011 में NCRB और BSNL के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।

CCTNS का उद्देश्य:

  • CCTNS का उद्देश्य ई-गवर्नेंस के सिद्धांतों को अपनाते हुए एक व्यापक और एकीकृत प्रणाली का निर्माण करना है। इसके माध्यम से पुलिस सेवाओं की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये अपराधियों एवं अपराधों की एक राष्ट्रव्यापी आधारभूत नेटवर्क संरचना तैयार की जाएगी।

CCTNS द्वारा निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान की जाएंगी:

  • पुलिस स्टेशनों और अन्य पुलिस कार्यालयों की कार्यवाहियों को नागरिक अनुकूल, पारदर्शी, जवाबदेह, कुशल और प्रभावी बनाया जाएगा।
  • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिक केंद्रित सेवाओं के वितरण में सुधार किया जाएगा।
  • अपराध और अपराधियों की सटीक एवं तीव्र जाँच के लिये जाँच अधिकारियों को अद्यतित उपकरण, तकनीक और जानकारियाँ प्रदान की जाएगी।
  • कानून और व्यवस्था, यातायात प्रबंधन एवं संसाधन प्रबंधन जैसे अन्य क्षेत्रों में पुलिस कार्यप्रणाली में सुधार किया जाएगा।
  • विभिन्न पुलिस थानों, ज़िला तथा राज्य मुख्यालयों और अन्य एजेंसियों को राष्ट्रीय स्तर पर सूचना के संग्रहण, भंडारण, पुनर्प्राप्ति, विश्लेषण, हस्तांतरण एवं साझाकरण की सुविधा प्रदान की जाएगी। इससे अपराधियों से संबंधित सूचनाओं के एकत्रीकरण और उनको ट्रैक करने में आसानी होगी।
  • वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पुलिस बलों के बेहतर प्रयोग और प्रबंधन में सहायता मिलेगी।
  • न्यायालयों में अपराधों की जाँच और अभियोजन मामलों की प्रगति को भी ट्रैक किया जा सकेगा।
  • इससे कागज़ी कार्यवाहियों में कमी आएगी और डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

CCTNS काम कैसे करेगा?

  • राज्य के किसी थानें में यदि कोई भी मामला दर्ज किया जाएगा तो उससे संबंधित सूचनाएँ राष्ट्रीय स्तर के तंत्र पर भी अपडेट हो जायेंगी। राष्ट्रीय स्तर पर सूचना के अपडेट होने से यह सूचनाएँ संबंधित राज्य के अन्य थानों के साथ दूसरे राज्यों में भी अपडेट होंगी; इससे उस मामले के समाधान में आसानी होगी।
  • उदाहरणस्वरुप, यदि दिल्ली का कोई 10 वर्ष का बच्चा भटककर राजस्थान पहुँच जाता है, तो उस बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दिल्ली के किसी थानें में दर्ज कराई जाएगी। यदि यह बच्चा राजस्थान पुलिस को मिलता है तो पुलिस उस बच्चे के नाम को CCTNS पोर्टल पर सर्च कर उसके विषय में जानकारी प्राप्त कर सकती है (इसके लिये ज़रुरी है कि दिल्ली पुलिस द्वारा संबंधित जानकारी को पोर्टल पर अपडेट किया गया हो)।

CCTNS और नागरिक केंद्रित सेवाएँ:

  • CCTNS के तहत डिजिटल पुलिस पोर्टल की सुविधा प्रदान की जा रही है।
  • इस पोर्टल के माध्यम से नागरिक अपराध से संबंधित शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करा सकेंगे। साथ ही घरेलू कर्मचारियों (ड्राइवर, माली, गार्ड) और किरायेदारों का पुलिस सत्यापन भी करा सकेंगे।
  • नागरिक अपने पूर्वजों के प्रमाणीकरण से संबंधित पहले से दर्ज किसी डेटा की भी मांग भी कर सकेंगे।
  • इसके तहत एक मोटर वाहन समन्वय प्रणाली स्थापित की जाएगी जिसमें वाहनों की खरीद, पुनः पंजीकरण आदि की सूचनाएँ निहित होंगी। यह प्रणाली सार्वजनिक इकाइयों, आरटीओ, बीमा एजेंसियों और आम लोगों के लिये मददगार साबित होगी।
  • कुछ क्षेत्रों में इस प्रणाली के तहत आवासीय सोसाएटी की सुरक्षा भी CCTV कैमरों के माध्यम से की जा रही है।

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड)

(National Intelligence Grid-NATGRID)

  • NATGRID आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिये एक कार्यक्रम है।
  • भारत में 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान सूचनाओं के संग्रहण के अभाव की बात सामने आई। इस हमले का मास्टरमाइंड डेविड हेडली वर्ष 2006 से 2009 के बीच हमले की योजनाओं को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु कई बार भारत आया लेकिन उसके आवागमन की किसी भी सूचना का विश्लेषण नहीं किया जा सका और परिणामस्वरूप 26/11 जैसा वीभत्स आतंकवादी हमला हुआ।
  • 26/11 के बाद इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर NATGRID की स्थापना की गई।
  • यह संदिग्ध आतंकवादियों को ट्रैक करने और आतंकवादी हमलों को रोकने में विभिन्न खुफिया एवं प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता करता है।
  • NATGRID बिग डेटा और एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग करते हुए डेटा की बड़ी मात्रा का अध्ययन एवं विश्लेषण करता है।

यह विभिन्न चरणों में डेटा प्रदान करने वाले संगठनों और उपयोगकर्त्ताओं के समन्वय के साथ ही एक कानूनी संरचना विकसित करता है, इन सूचनाओं के माध्यम से कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ संदिग्ध गतिविधियों की जाँच करती हैं।

स्रोत: PIB

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