भूगोल
असामान्य ठंड और वृष्टि-बहुल शीत ऋतु
- 28 Jan 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:पश्चिमी विक्षोभ, ला नीना। मेन्स के लिये:ला नीना मौसम पैटर्न तथा भारत के मौसम पर उनका प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
भारत, विशेष रूप से उत्तर भारत में वर्ष 2021-22 की शीत ऋतु असामान्य रूप से अत्यधिक ठंडी और लंबी अवधि की रही है एवं दिन के दौरान सामान्य से अधिक ठंड देखी गई।
प्रमुख बिंदु
- असामान्य ठंड और वृष्टि-बहुल शीतऋतु के बारे में:
- अत्यधिक ठंड:
- दिसंबर 2021 के बाद से उत्तर, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के क्षेत्रों में तापमान लगातार सामान्य से नीचे बना हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप ठंडे दिन या "कोल्ड डे" की स्थिति बन गई है। तकनीकी रूप से इसका मतलब एक दिन से अधिक की ठंड से होता है।
- एक ठंडा दिन वह होता है जिसमें अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है, ऐसी घटना जो आमतौर पर भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों में सर्दियों के महीनों के दौरान देखी जाती है।
- दिसंबर 2021 के बाद से उत्तर, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के क्षेत्रों में तापमान लगातार सामान्य से नीचे बना हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप ठंडे दिन या "कोल्ड डे" की स्थिति बन गई है। तकनीकी रूप से इसका मतलब एक दिन से अधिक की ठंड से होता है।
- वृष्टि-बहुल शीत ऋतु:
- उत्तर भारत के पड़ोसी क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान हल्की से मध्यम तीव्रता की वर्षा भी आमतौर पर देखी जाती है।
- हालाँकि इस वर्ष जनवरी माह में भारत के मध्य, उत्तर-पश्चिमी, उत्तरी, पूर्वी और उत्तरपूर्वी क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर वर्षा देखी गई है।
- इस महीने कम-से-कम 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अधिक बारिश दर्ज की गई है।
- सामान्य से कम कोहरा :
- दिसंबर एवं जनवरी माह पूरे उत्तर भारत में घने कोहरे (dense fog) के लिये जाने जाते हैं।
- जनवरी 2022 में राष्ट्रीय राजधानी सामान्य 292 घंटों के मुकाबले 252 घंटे कोहरे से प्रभावित रही है।
- आईएमडी (IMD) के अधिकारियों ने कहा है कि वर्तमान सर्दियों में दिल्ली में वर्ष 1991-92 के बाद से सबसे कम कोहरा दर्ज किया गया है।
- दिसंबर एवं जनवरी माह पूरे उत्तर भारत में घने कोहरे (dense fog) के लिये जाने जाते हैं।
- अत्यधिक ठंड:
- कारण:
- पश्चिमी विक्षोभ:
- 25 जनवरी, 2022 तक सात पश्चिमी विक्षोभ भारत के ऊपर से गुज़रे हैं, ये सभी इतने मज़बूत थे कि इसने पाकिस्तान और पूर्वोत्तर भारत के बीच बड़े भौगोलिक क्षेत्रों में व्यापक बारिश, बर्फबारी व अशांत मौसम की स्थिति पैदा हो गई थी।
- इसके कारण उत्तरी महाराष्ट्र में ओलावृष्टि और तमिलनाडु में भारी वर्षा हुई।
- ला नीना (La Niña):
- अधिक संख्या में पश्चिमी विक्षोभ ला नीना की घटना से जुड़े हुए हैं।
- वर्तमान में मध्यम तीव्रता वाली ला नीना स्थितियाँ हैं जो भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सामान्य समुद्री सतह के तापमान की तुलना में ठंडी होती हैं।
- सुदूर उत्तर से ठंडी हवाएँ:
- पश्चिमी विक्षोभ के भारत को पार करने के बाद देश के सुदूर उत्तर से ठंडी हवाएँ निचले अक्षांशों में प्रवेश कर रही हैं और तेलंगाना तथा महाराष्ट्र तक भी पहुँच सकती हैं, जिससे ठंडे मौसम व शीत लहर की स्थिति बन जाती है।
- निचले बादल और नमी:
- निचले बादलों की उपस्थिति और भारत-गंगा के मैदानी इलाकों में नमी की मौजूदगी ने इसे ठंडे दिन की स्थिति और दिन के दौरान अनुभव किये जाने वाले अतिरिक्त सर्द के कारक हेतु अनुकूल बना दिया।
- यह सीज़न का अब तक का सबसे लंबा और सबसे तीव्र चरण था।
- पश्चिमी विक्षोभ:
पश्चिमी विक्षोभ
- पश्चिमी विक्षोभ को भूमध्य सागर में उत्पन्न होने वाले एक ‘बहिरूष्ण उष्णकटिबंधीय तूफान’ के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो एक निम्न दबाव का क्षेत्र है तथा उत्तर-पश्चिम भारत में अचानक वर्षा, बर्फबारी एवं कोहरे के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह विक्षोभ ‘पश्चिम’ से ‘पूर्व’ की दिशा की ओर आता है।
- ये विक्षोभ अत्यधिक ऊँचाई पर पूर्व की ओर चलने वाली ‘वेस्टरली जेट धाराओं’ (Westerly Jet Streams) के साथ यात्रा करते हैं।
- विक्षोभ का तात्पर्य ‘विक्षुब्ध’ क्षेत्र या कम हवा वाले दबाव क्षेत्र से है।
- प्रकृति में संतुलन मौजूद है जिसके कारण एक क्षेत्र में हवा अपने दबाव को सामान्य करने की कोशिश करती है।
- "बहिरूष्ण कटिबंधीय तूफान" शब्द में तूफान कम दबाव के क्षेत्र को संदर्भित करता है तथा "अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय"का अर्थ है उष्णकटिबंधीय के अतिरिक्त। चूंँकि पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से बाहर होती है, इसलिये "बहिरूष्ण कटिबंधीय" शब्द उनके साथ जुड़ा हुआ है।
ला नीना:
- ला नीना घटनाएँ पूर्व-मध्य विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में औसत समुद्री सतही तापमान से निम्न तापमान की द्योतक हैं।
- इसे समुद्र की सतह के तापमान में कम-से-कम पाँच क्रमिक त्रैमासिक अवधि में 0.9°F से अधिक की कमी द्वारा दर्शाया जाता है।
- जब पूर्वी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में जल का तापमान सामान्य की तुलना में कम हो जाता है तो ला नीना की घटना देखी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी विषुवतीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में एक उच्च दाब की स्थिति उत्पन्न होती है।
- भारत में ला नीना आमतौर पर सामान्य सर्दियों की तुलना में ठंडा और सामान्य से अधिक वर्षा के लिये ज़िम्मेदार है।