जैव विविधता और पर्यावरण
UN हाई सी ट्रीटी
- 10 Mar 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:BBNJ, UNCLOS, UNGA, कोविड-19, 1958 जिनेवा अभिसमय, EEZ मेन्स के लिये:ट्रीटी ऑन हाई सी |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों की समुद्री जैवविविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये हाई सी ट्रीटी पर सहमति व्यक्त की।
- अमेरिका के न्यूयॉर्क में राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैवविविधता (BBNJ) पर अंतर सरकारी सम्मेलन (IGC) के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्त्व में बातचीत के दौरान इस पर सहमति बनी थी।
- संधि को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान करना अभी बाकी है क्योंकि सदस्यों को अभी इसकी पुष्टि करनी है। एक बार स्वीकृति मिल जाने के बाद यह संधि कानूनी रूप से बाध्यकारी होगी।
हाई सी क्या है?
- परिचय:
- हाई सी पर 1958 के जेनेवा अभिसमय के अनुसार, समुद्र के वे हिस्से जो प्रादेशिक जल या किसी देश के आंतरिक जल में शामिल नहीं हैं, हाई सी के रूप में जाने जाते हैं।
- यह किसी देश के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (समुद्र तट से 200 समुद्री मील यानी 370 किमी. तक फैला क्षेत्र) से परे ऐसा क्षेत्र है जहाँ के जीवित और निर्जीव संसाधनों पर एक राष्ट्र का अधिकार होता है।
- हाई सी में संसाधनों के प्रबंधन और सुरक्षा के लिये कोई भी देश ज़िम्मेदार नहीं है।
- महत्त्व:
- हाई सी विश्व के महासागरीय क्षेत्र का 60% से अधिक हिस्सा है और पृथ्वी की सतह के लगभग आधे हिस्से को आच्छादित करते हैं, जो उन्हें समुद्री जीवन का केंद्र बनाता है।
- ये लगभग 2.7 लाख ज्ञात प्रजातियों के निवास स्थान हैं, जिनमें से कई की खोज की जानी बाकी है।
- ये कार्बन के अवशोषण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में कमी, सौर विकिरण के संग्रहण तथा विश्व भर में उष्मा वितरित कर ग्रहों की स्थिरता में मौलिक भूमिका निभाते हुए जलवायु को नियंत्रित करते हैं।
- इसके अलावा महासागर संसाधनों तथा सेवाओं के स्रोत हैं, जिनमें समुद्री भोजन एवं कच्चे माल, आनुवंशिक व औषधीय संसाधन, वायु शोधन, जलवायु विनियमन और सौंदर्य, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक सेवाएँ शामिल हैं।
- ये मानव अस्तित्व और कल्याण के लिये मौलिक हैं।
- संकट:
- ये वातावरण से उष्मा को अवशोषित कर अल नीनो जैसी घटनाओं से प्रभावित हो रहे हैं, और अम्लीकरण के दुष्प्रभाव से भी गुज़र रहे हैं, जिससे सभी समुद्री वनस्पतियों तथा जीवों को संकट में डाल सकते हैं।
- यदि वर्तमान ग्लोबल वार्मिंग और अम्लीकरण की प्रवृत्ति लगातार जारी रही तो वर्ष 2100 तक कई हज़ार समुद्री प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है।
- हाई सी मानवजनित दबावों में समुद्र तल खनन, ध्वनि प्रदूषण, रासायनिक एवं तेल रिसाव और आग, अनुपचारित कचरे का निपटान (एंटीबायोटिक सहित), अत्यधिक मत्स्यन गतिविधियाँ, आक्रामक प्रजातियों का परिचय तथा तटीय प्रदूषण शामिल हैं।
- खतरनाक स्थिति के बावजूद खुले समुद्र सबसे कम संरक्षित क्षेत्रों में शमिल हैं, जिनमें से केवल 1% ही संरक्षित हैं।
- ये वातावरण से उष्मा को अवशोषित कर अल नीनो जैसी घटनाओं से प्रभावित हो रहे हैं, और अम्लीकरण के दुष्प्रभाव से भी गुज़र रहे हैं, जिससे सभी समुद्री वनस्पतियों तथा जीवों को संकट में डाल सकते हैं।
हाई सी संधि:
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1982 में समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) में महासागरों में मौजूद संसाधनों के प्रबंधन के लिये दिशा-निर्देश स्थापित किये गए।
- हालाँकि हाई सी एक पूर्ण कानूनी प्रणाली के अधीन नहीं थे।
- चूँकि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग वैश्विक चिंता के रूप में उभरी हैं, अतः महासागरों एवं समुद्री जीवन की रक्षा हेतु अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचे की आवश्यकता महसूस की गई।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) ने वर्ष 2015 में UNCLOS के ढाँचे के भीतर कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन विकसित करने का निर्णय लिया।
- इसके बाद BBNJ पर एक कानूनी दस्तावेज़ तैयार करने हेतु IGC की बैठक बुलाई गई।
- कोविड-19 महामारी के कारण कई रुकावटें आईं, जिससे समय पर वैश्विक प्रतिक्रिया प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हुई। वर्ष 2022 में यूरोपीय संघ ने तेज़ी से समझौते को अंतिम रूप देने हेतु BBNJ पर उच्च महत्त्वाकांक्षी गठबंधन लॉन्च किया।
- वर्ष 1982 में समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) में महासागरों में मौजूद संसाधनों के प्रबंधन के लिये दिशा-निर्देश स्थापित किये गए।
- मुख्य विशेषताएँ:
- पहुँच और लाभ साझाकरण समिति:
- यह दिशा-निर्देश तैयार करने के लिये पहुँच और लाभ-साझाकरण समिति की स्थापना करेगा।
- हाई सी क्षेत्रों में समुद्री आनुवंशिक संसाधनों से जुड़ी गतिविधियाँ सभी राज्यों के साथ ही मानवता के हित के लिये लाभप्रद होंगी।
- उन्हें विशेष रूप से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये किया जाना चाहिये।
- पर्यावरण प्रभाव आकलन:
- हस्ताक्षरकर्त्ताओं को समुद्री संसाधनों के दोहन से पूर्व पर्यावरण प्रभाव आकलन करना होगा।
- एक नियोजित गतिविधि से पूर्व, सदस्य को स्क्रीनिंग, स्कोपिंग, प्रभावित समुद्री पर्यावरण के मूल्यांकन, रोकथाम की पहचान और संभावित नकारात्मक प्रभावों का प्रबंधन करना आवश्यक होगा।
- स्वदेशी समुदाय की सहमति:
- राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र के बाहर केवल स्थानीय लोगों और समुदायों की "स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति या अनुमोदन एवं भागीदारी" के साथ समुद्री संसाधनों तक पहुँचा जा सकता है, जिन पर उनका नियंत्रण है।
- कोई भी राज्य राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों के समुद्री आनुवंशिक संसाधनों पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
- समाशोधन गृह/क्लियरिंग हाउस प्रणाली:
- सदस्यों को संधि के भाग के रूप में स्थापित समाशोधन-गृह प्रणाली (सीएचएम) को अनुसंधान के उद्देश्य, भौगोलिक क्षेत्र के संकलन, प्रायोजकों के नाम आदि जैसे विवरण प्रदान करने होंगे।
- निवेश:
- समझौते के भाग के रूप में एक विशेष कोष स्थापित किया जाएगा जिसे विभिन्न दलों के सम्मेलन (COP) द्वारा तय किया जाएगा। जो COP समझौते के कामकाज़ की भी देख-रेख करेगा।
- पहुँच और लाभ साझाकरण समिति:
- महत्त्व:
- यह समझौता संयुक्त राष्ट्र CBD (जैविक विविधता पर सम्मेलन) COP15 में निर्धारित 30x30 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण है, जिसके तहत देशों ने वर्ष 2030 तक 30% महासागरों की रक्षा करने हेतु सहमति व्यक्त की।
समुद्र संबंधी अन्य सम्मेलन:
- महाद्वीपीय कगार (शेल्फ) पर सम्मेलन 1964:
- यह महाद्वीपीय शेल्फ के प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने और उनका दोहन करने वाले राज्यों के अधिकारों को परिभाषित एवं सीमांकित करता है।
- मछली पकड़ने और हाई सी के जीवित संसाधनों के संरक्षण पर सम्मेलन 1966:
- यह हाई सी के जीवित संसाधनों के संरक्षण संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु डिज़ाइन किया गया था, क्योंकि इनमें से कुछ संसाधन आधुनिक तकनीकी प्रगति के कारण अतिदोहन के खतरे में हैं।
- लंदन अभिसमय 1972:
- इसका लक्ष्य सभी समुद्री प्रदूषण स्रोतों के प्रभावी नियंत्रण को प्रोत्साहित करना और कचरा एवं अन्य वस्तुओं का सुरक्षित निपटान कर समुद्र को प्रदूषित होने से बचाने के लिये सभी व्यावहारिक कदम उठाना है।
- MARPOL अभिसमय (1973):
- इसमें परिचालन या आकस्मिक कारणों से जहाज़ों द्वारा समुद्री पर्यावरण प्रदूषण को शामिल किया गया है।
- यह तेल, हानिकारक तरल पदार्थ, पैकेज़्ड के रूप में हानिकारक पदार्थ, सीवेज़ और जहाज़ों से उत्पन्न कचरा आदि के कारण होने वाले समुद्री प्रदूषण के विभिन्न रूपों को सूचीबद्ध करता है।
आगे की राह
- संधि को लागू करने हेतु राष्ट्रीय सरकारों को अभी भी औपचारिक रूप से इस समझौते को अपनाने और इसकी पुष्टि करने की आवश्यकता है।
- वैश्विक समुदाय को सभी क्षेत्रों में हमारे स्वयं के और समुद्र के जीवन की सुरक्षा हेतु नई हाई सी संधि को प्रभावी ढंग से लागू करने एवं निगरानी करने के लिये मिलकर काम करना चाहिये।
- बिना किसी संदेह के हाई सी की बेहतर रक्षा और समुद्री संसाधनों का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करने से धारणीय ब्लू अर्थव्यवस्था में शिपिंग तथा औद्योगिक मत्स्यन जैसी संभावित उच्च लागत वाली गतिविधियों के संचयी प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी जो लोगों और प्रकृति दोनों को लाभान्वित करेगा।
- यह उचित समय है कि समुद्र का संरक्षण किया जाए।