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जैव विविधता और पर्यावरण

राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैवविविधता

  • 23 Feb 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

UNCLOS, BBNJ, IUCN, ट्रीटी ऑफ द हाई सी।

मेन्स के लिये:

BBNJ संधि, संरक्षण।

चर्चा में क्यों?

अंतर-सरकारी सम्मेलन (Intergovernmental Conference- IGC) के वर्तमान सत्र (फरवरी-मार्च 2023) के दौरान यानी राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैव विविधता (Biodiversity Beyond National Jurisdiction- BBNJ) के IGC-5 में भारत ने सदस्य देशों से महासागरों और उनकी जैवविविधता के संरक्षण एवं बचाव के लिये प्रतिबद्ध रहने का आग्रह किया है।

  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) के तहत BBNJ को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत बाध्यकारी साधन के रूप में शीघ्रता से पूरा करने हेतु उच्च महत्त्वाकांक्षी गठबंधन का समर्थन किया।

प्रमुख बिंदु 

  • वर्ष 2014 के बाद से कई दौर की अंतर-सरकारी वार्ताएँ चल रही हैं, जिनमें से सबसे हालिया फरवरी-मार्च 2023 में हुई।
  • कई प्रमुख मुद्दों पर महत्त्वपूर्ण प्रगति के बावजूद वार्ता अभी भी चल रही है और फंडिंग, बौद्धिक संपदा अधिकार तथा संस्थागत तंत्र जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है।
  • जैवविविधता प्रबंधन हेतु भारत का दृष्टिकोण विश्व स्तर पर स्वीकृत तीन सिद्धांतों के अनुरूप है: संरक्षण, सतत् उपयोग और समान लाभ साझा करना।  

राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैवविविधता संधि (BBNJ):

  • "BBNJ संधि" जिसे "ट्रीटी ऑफ द हाई सी" के रूप में भी जाना जाता है, UNCLOS के ढाँचे के तहत राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों की समुद्री जैवविविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
  • BBNJ अनन्य आर्थिक क्षेत्रों या देशों के राष्ट्रीय जल से परे खुले समुद्र को शामिल करता है।
    • इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार, ये क्षेत्र "पृथ्वी की सतह का लगभग आधा" हैं।
    • इन क्षेत्रों को शायद ही विनियमित किया जाता है और इनकी जैवविविधता हेतु कम-से- कम जानकारी प्राप्त या खोज की जाती है, विदित है कि इनमें से केवल 1% क्षेत्र ही संरक्षण का अधीन हैं।
  • फरवरी 2022 में वन ओशन समिट में लॉन्च किया गया, राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैवविविधता को लेकर उच्च महत्त्वाकांक्षी गठबंधन उच्चतम राजनीतिक स्तर पर एक आम और महत्त्वाकांक्षी परिणाम हेतु BBNJ वार्ता में शामिल कई प्रतिनिधिमंडलों को एक साथ लाता है। 
  • वार्ता वर्ष 2015 में सहमत तत्त्वों के एक पैकेज के आसपास केंद्रित है, अर्थात्: 
    • राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैवविविधता का संरक्षण एवं सतत् उपयोग, विशेष रूप से एक साथ और समग्र रूप से समुद्री आनुवंशिक संसाधन, जिसमें लाभों के बँटवारे को लेकर प्रश्न शामिल हैं।
    • समुद्री संरक्षित क्षेत्रों सहित क्षेत्र-आधारित प्रबंधन उपकरण।
    • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन।
    • क्षमता निर्माण और समुद्री प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण।

BBNJ के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन की आवश्यकता: 

  • राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में जैवविविधता महासागर के स्वास्थ्य, तटीय लोगों की भलाई एवं ग्रह की समग्र स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
  • राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में समुद्र का 95% हिस्सा शामिल है और मानवता को अमूल्य पारिस्थितिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक एवं खाद्य-सुरक्षा लाभ प्रदान करता है। 
    • हालाँकि ये क्षेत्र अब प्रदूषण, अतिदोहन, और जलवायु परिवर्तन के पूर्व से ही दिखाई देने वाले प्रभावों सहित बढ़ते खतरों के प्रति संवेदनशील हैं।
    • आने वाले दशकों में भोजन, खनिज या जैव प्रौद्योगिकी के लिये समुद्री संसाधनों की बढ़ती मांग इस समस्या को और बढ़ा सकती है।
  • गहरे समुद्री तल, जिसे सबसे कठिन निवास स्थान माना जाता है, में विलुप्त होने की प्रक्रिया शुरू हो रही है।
    • 184 प्रजातियों (मोलस्क की) का मूल्यांकन किया गया है, 62% को खतरे के रूप में सूचीबद्ध किया गया है: 39 गंभीर रूप से लुप्तप्राय हैं, 32 लुप्तप्राय हैं और 43 कमज़ोर हैं। फिर भी जमैका स्थित अंतर-सरकारी निकाय इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी, गहरे समुद्र में खनन अनुबंधों की अनुमति दे रही है। 
  • राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों में होने वाली जैवविविधता वैश्विक समुद्रों में एक महत्त्वपूर्ण संसाधन बनी हुई है, इसके 60% से अधिक हिस्से को अभी भी प्रबंधित किया जाना है और संरक्षण के उद्देश्य से एक कानूनी ढाँचे के साथ विनियमित किया जाना है।

निष्कर्ष:

BBNJ जैसे कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन को अपनाने से राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों में समुद्री जैवविविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मज़बूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित होगी, साथ ही या समझौते के कार्यान्वयन के लिये स्पष्ट जनादेश प्रदान करेगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. किसी तटीय राज्य को अपने प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई को आधार-रेखा से मापित, 12 समुद्री मील से अनाधिक सीमा तक अभिसमय के अनुरूप सुस्थापित करने का अधिकार है।
  2. सभी राज्यों, चाहे वे तटीय हों अथवा भूमि-बद्ध भाग हों, के जहाज़ों को प्रादेशिक समुद्र से होकर बिना किसी रोकटोक यात्रा का अधिकार होता है।
  3. अनन्य आर्थिक क्षेत्र का विस्तार उस आधार रेखा से से 200 समुद्री मील से अधिक नहीं होगा, जहाँ से प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई मापी जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या: 

  • किसी तटीय राज्य को अपने प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई को आधार-रेखा से मापित, 12 समुद्री मील से अनाधिक सीमा तक अभिसमय के अनुरूप सुस्थापित करने का अधिकार है। अतः कथन 1 सही है।
  • इस अभिसमय के इनोसेंट पैसेज इन द टेरीटोरियल सी (INNOCENT PASSAGE IN THE TERRITORIAL SEA) के तहत सभी राज्यों के जहाज़ों को प्रादेशिक समुद्र से होकर बिना किसी रोकटोक यात्रा का अधिकार होता है। अतः कथन 2 सही है।
  • अनन्य आर्थिक क्षेत्र विशिष्ट कानूनी शासन के अधीन प्रादेशिक समुद्र से परे के क्षेत्र है, अनन्य आर्थिक क्षेत्र का विस्तार उस आधार रेखा से 200 समुद्री मील से अधिक नहीं होगा, जहाँ से प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई मापी जाती है। अतः कथन 3 सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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