ईरान पर यूएन हथियार प्रतिबंध | 10 Aug 2020

प्रिलिम्स के लिये:

खाड़ी सहयोग परिषद, UNSC संकल्प-1747, संकल्प-1929, संकल्प- 2231, JCPOA 

मेन्स के लिये:

ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'खाड़ी सहयोग परिषद' (Gulf Cooperation Council-GCC) द्वारा 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद' (UNSC) को एक पत्र भेजकर ईरान पर लगाए गए हथियार प्रतिबंध अवधि का आगे विस्तार करने का समर्थन किया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर, कुवैत GCC के सदस्य देश हैं।
  • वर्ष 2015 में बहुपक्षीय ईरान परमाणु समझौता; जिसे 'संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना' (JCPOA) के रूप मे जाना जाता है, के माध्यम से जहाँ एक तरफ ईरान के 'परमाणु कार्यक्रम' पर आवश्यक सीमाएँ निर्धारित की गई थी वहीं दूसरी तरफ हथियार प्रतिबंधों में राहत प्रदान की गई थी।
  • UNSC संकल्प-2231 के तहत ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों की सीमा 18 अक्तूबर, 2020 को समाप्त हो रही है। 

अमेरिका तथा JCPOA:

  • वर्ष 2015 में ईरान एवं छह प्रमुख शक्तिशाली देशों (P5+1=अमेरिका, रूस, चीन, फ्राँस, ब्रिटेन+जर्मनी) द्वारा JCPOA समझौते को अंतिम रूप दिया गया था।
  • परंतु राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वर्ष 2018 में अमेरिका को समझौते से एकतरफा अलग कर लिया। 
  • ट्रंप प्रशासन वर्तमान में ईरान पर लगाए गए हथियार स्थानांतरण प्रतिबंधों को आगे बढ़ाने के लिये अपने समर्थक देशों सहित अन्य सुरक्षा परिषद के सदस्यों को मनाने की कोशिश कर रहा है। 

 

शस्त्र स्थानांतरण प्रतिबंध के प्रावधान:

UNSC संकल्प- 1747:

  • 24 मार्च, 2007 का यह संकल्प संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्यों पर ईरान को सभी प्रकार के हथियारों के हस्तांतरण (आयात और निर्यात दोनों) पर प्रतिबंध लगाता है।

UNSC संकल्प-1929

  • 9 जून, 2010 का यह संकल्प ईरान को युद्ध के लिये हथियारों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाता है। 

UNSC संकल्प- 2231:

  • यह संकल्प 'संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना' (JCPOA) को क्रियान्वित करने की दिशा में लाया गया था ताकि ईरान पर लगाए गए हथियार प्रतिबंधों में राहत प्रदान करता है। 
  • 17 जुलाई, 2015 का यह संकल्प 18 अक्तूबर, 2020 तक ईरान को हथियारों के हस्तांतरण (आयात व निर्यात दोनों) पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान करता है। 
  •  प्रतिबंधित हथियारों को अनुलग्नक सूची-B में शामिल किया गया जिसमें फाइटर जेट, टैंक और युद्धपोत आदि शामिल हैं। 
  • अनुलग्नक सूची में उन उपकरणों की आपूर्ति पर भी 18 अक्तूबर, 2023 तक प्रतिबंध लगाया गया है, जिनका उपयोग ईरान परमाणु हथियार बनाने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित करने के लिये कर सकता है।

GCC का पक्ष:

  • सऊदी अरब के नेतृत्त्व वाले एक गठबंधन ने वर्तमान में यमन के हाउथी (Houthi) विद्रोहियों से लड़ाई जारी रखी है। संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिका और आयुध विशेषज्ञों ने ईरान पर इन विद्रोहियों को हथियार प्रदान करने का आरोप लगाया है। हालाँकि ईरान ने इस बात का खंडन किया है।
  • GCC देशों ने ईरान पर लेबनान और सीरिया में हिज़्बुल्लाह (Hezbollah) इराक में शिया मिलिशिया और बहरीन, कुवैत और सऊदी अरब के 'आतंकवादी समूहों' को हथियार प्रदान करने का आरोप लगाया है।
  • GCC देशों द्वारा UNSC को लिखे पत्र में ईरान द्वारा यूक्रेन के यात्री विमान को मार गिराने, नौसैनिकों ने एक अभ्यास के दौरान 19 नाविकों को मिसाइल हमले में मार गिराने, सऊदी अरब के तेल उद्योग पर हमले जैसी घटनाएँ भी उल्लिखित की गई है।
  • इस्लामिक क्रांति के बाद से ईरान पर राज्य और गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं को हथियारों और सैन्य उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला को स्थानांतरित करने का आरोप है, जिसमें अनेक आतंकवादी संगठन भी शामिल हैं।

Yemen

ईरान का पक्ष:

  • ईरान ने GCC के इस कदम की निंदा करते हुए इसे 'गैर-ज़िम्मेदाराना' करार दिया है, जो अमेरिकी हितों की सेवा करता है। 
  • ईरान ने GCC देशों की यह कहते हुए आलोचना की है ये देश स्वयं दुनिया में सबसे बड़े हथियारों के आयातक देशों में शामिल हैं।  

GCC देशों के आपसी संबंध:

  • यद्यपि GCC ने UNSC को लिखे पत्र में एकीकृत बयान की पेशकश की है, परंतु यह समूह भी आंतरिक संघर्ष से प्रभावित है। 
  • वर्ष 2017 में कतर संकट के दौरान बहरीन, मिस्र, सऊदी अरब और अमीरात ने कतर के साथ राजनयिक संबंध समाप्त कर दिये थे। इन देशों ने कतर के सुन्नी इस्लामिक राजनीतिक समूह पर मुस्लिम ब्रदरहुड और ईरान को सहायता देकर आतंकवाद का समर्थन और वित्तपोषण करने का आरोप लगाया था। 
  • ओमान के ईरान के साथ भी करीबी संबंध हैं। यह तेहरान और पश्चिमी दुनिया के देशों के बीच एक वार्ताकार मध्यस्थ की भूमिका निभाता है।
  •  बहरीन, सऊदी अरब और यूएई ईरान पर क्षेत्र में शिया आबादी के बीच असंतोष फैलाने का आरोप लगाते हैं।

आगे की संभावना:

  • ईरान पर प्रतिबंध को बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक है।
  • रूस और चीन ईरान के प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्त्ता देश हैं। ये दोनों देश सुरक्षा परिषद से स्थायी सदस्य भी हैं। अत: ईरान पर प्रतिबंधों के विस्तार को रोकने के लिये इनके द्वारा वीटो शक्ति का प्रयोग किया जा  सकता है। 
  • रूस और चीन के अलावा यूरोप में भी कुछ देश प्रतिबंधों के विस्तार का विरोध कर सकते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस