यूनाइटेड किंगडम में शरण चाहने वालों को रवांडा निर्वासित करने का विधेयक पारित | 26 Apr 2024
प्रिलिम्स के लिये:यूनाइटेड किंगडम, रवांडा, शरण चाहने वाला (Asylum-Seeker), संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त, शरणार्थी, शरणार्थी सम्मेलन, 1951, अवैध प्रवासी मेन्स के लिये:शरण चाहने वालों पर ब्रिटेन की नीति के निहितार्थ, प्रवासन का मुद्दा |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूनाइटेड किंगडम सरकार ने इंग्लिश चैनल पार करके शरण चाहने वालों (Asylum-Seeker) की संख्या पर अंकुश लगाने के प्रयास में उन्हें रवांडा भेजने के लिये एक विवादास्पद विधेयक को मंज़ूरी दी है।
रवांडा विधेयक क्या है?
- परिचय: यूनाइटेड किंगडम में रवांडा की सुरक्षा (शरण और आप्रवासन) विधेयक 2022 में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई नीति से प्रस्तावित हुआ।
- इसका मुख्य उद्देश्य रवांडा को एक सुरक्षित तीसरे देश के रूप में नामित करके अनिर्दिष्ट आप्रवासियों के निर्वासन को सक्षम करना है।
- सुरक्षित तीसरे देश का तात्पर्य यह है कि शरण चाहने वालों को जहाँ वे शरण चाहते हैं या जहाँ वे हैं, उसके अलावा किसी अन्य देश में भेजा जा सकता है, अगर इसे सुरक्षित माना जाता है।
- हालाँकि, इस अवधारणा पर वैश्विक सहमति का अभाव है जिसके कारण इसके कार्यान्वयन को लेकर आशंकाएँ हैं।
- इसका मुख्य उद्देश्य रवांडा को एक सुरक्षित तीसरे देश के रूप में नामित करके अनिर्दिष्ट आप्रवासियों के निर्वासन को सक्षम करना है।
- शरणार्थियों पर यू.के.-रवांडा समझौता: अप्रैल 2022 में यूनाइटेड किंगडम के पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रवासन और आर्थिक विकास साझेदारी (Migration and Economic Development Partnership - MEDP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य यूनाइटेड किंगडम द्वारा गैर-मान्यता प्राप्त शरण चाहने वालों को रवांडा में स्थानांतरित करना था।
- दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत यू.के. शरण आवेदनों का आकलन करता है और रवांडा तक परिवहन की व्यवस्था करता है।
- इसके बाद रवांडा ने सत्ता संभाली तथा शरणार्थी का दर्जा देने की एकमात्र शक्ति के साथ आश्रय और सुरक्षा प्रदान की, जिन्हें अस्वीकार कर दिया गया था, उन्हें उनके गृह देशों में वापस भेज दिया गया।
- दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत यू.के. शरण आवेदनों का आकलन करता है और रवांडा तक परिवहन की व्यवस्था करता है।
- आलोचना:
- व्यापक प्रभाव: यह विधेयक मौजूदा मानवाधिकार कानूनों को दरकिनार करता है और व्यक्तियों के अपील विकल्पों को सीमित करता है।
- यह कोई अलग घटना नहीं है कि अन्य यूरोपीय देश शरण चाहने वालों के इलाज के लिये तीसरे देशों के साथ इसी तरह के समझौते की खोज कर रहे हैं।
- मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ: आलोचकों का तर्क है कि रवांडा शरणार्थियों और शरण चाहने वालों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करता है।
- रवांडा नरसंहार 1994 जैसे मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिये देश की आलोचना की गई है, जिसमें राजनीतिक दमन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कमी के आरोप शामिल हैं।
- संयुक्त राष्ट्र परिषद यूरोप के मानवाधिकार निगरानीकर्त्ता और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों की आलोचना यू.के. की सीमाओं से परे फैले मानवाधिकारों एवं शरण चाहने वालों पर इसके प्रभाव पर व्यापक चिंता को दर्शाती है।
- सुरक्षा उपायों का अभाव: आलोचकों का तर्क है कि विधेयक में शरण चाहने वालों के अधिकारों की रक्षा के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपायों का अभाव है।
- ऐसी चिंताएँ हैं कि रवांडा में निर्वासित व्यक्तियों को निष्पक्ष और प्रभावी शरण प्रक्रियाओं तक पहुँच नहीं मिल सकती है, जिससे वे मनमाने ढंग से निरोध एवं निर्वासन के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
- व्यापक प्रभाव: यह विधेयक मौजूदा मानवाधिकार कानूनों को दरकिनार करता है और व्यक्तियों के अपील विकल्पों को सीमित करता है।
- UK में शरणार्थी संकट: संकट के बावजूद, वर्ष 2023 में UK पहुँचने के प्रयास में उल्लेखनीय संख्या में शरणार्थी और शरण चाहने वाले मारे गए हैं।
- इन जोखिम भरी यात्राओं को करने का उनका निर्णय अक्सर आर्थिक कठिनाई, राजनीतिक उत्पीड़न और जलवायु परिवर्तन के बिगड़ते प्रभावों, जैसे पर्यावरणीय क्षति एवं प्राकृतिक आपदाओं के मिश्रण से प्रेरित होता है।
- एक उज्ज्वल भविष्य के लिये अधिक संख्या में शरणार्थियों का असुरक्षित नावों में भरकर इंग्लिश चैनल पार करना उनकी हताशा और आकांक्षा का प्रतीक है।
शरण चाहने वाले, शरणार्थी तथा अवैध प्रवासी के बीच क्या अंतर है?
- शरण चाहने वाला(एसाइलम सीकर): संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के अनुसार, शरण चाहने वाला वह व्यक्ति है जो अपने देश से भाग गया है और दूसरे देश में सुरक्षा की मांग कर रहा है। शरणार्थी दर्जे के लिये उसका दावा अभी तक सुनिश्चित नहीं हुआ है।
- शरणार्थी: शरणार्थी कन्वेंशन, 1951 एक शरणार्थी को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जिसे जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, राजनीतिक राय या किसी विशेष सामाजिक समूह में सदस्यता के आधार पर उत्पीड़न के उचित भय के कारण अपने देश से भागने के लिये मजबूर किया गया है।
- 1951 कन्वेंशन का मूल सिद्धांत नॉन-रिफॉलमेंट (non-refoulement) है, जो इस बात पर ज़ोर देता है कि किसी शरणार्थी को ऐसे देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिये जहाँ उसे अपने जीवन या स्वतंत्रता के लिये गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है।
- अवैध प्रवासी: शब्द "अवैध प्रवासी" एक आधिकारिक कानूनी शब्द नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर किसी ऐसे व्यक्ति को संदर्भित करता है जो बिना प्राधिकरण के किसी देश में मौजूद होते है। इसमें कोई ऐसा व्यक्ति शामिल हो सकता है जो उचित दस्तावेज़ के बिना देश में प्रवेश कर गया हो या कोई ऐसा व्यक्ति जो वीज़ा अवधि से अधिक समय तक रुका हो।
भारत में शरणार्थियों से संबंधित नियम क्या हैं?
- भारत सभी विदेशियों के साथ अच्छा व्यवहार करता है, चाहे वे अवैध आप्रवासी हों, शरणार्थी/शरण चाहने वाले हों या वीज़ा परमिट से अधिक समय तक भारत में निवास कर रहे हों।
- विदेशी अधिनियम, 1946: धारा 3 के तहत, केंद्र सरकार को अवैध विदेशी नागरिकों का पता लगाने, निरोध में लेने और निर्वासित करने का अधिकार है।
- पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920: धारा 5 के तहत, अधिकारी भारत के संविधान के अनुच्छेद 258(1) के तहत किसी अवैध विदेशी को बलपूर्वक निकाल सकते हैं।
- विदेशी पंजीकरण अधिनियम 1939: इसके तहत, एक अनिवार्य आवश्यकता है जिसके तहत दीर्घकालिक वीज़ा (180 दिनों से अधिक) पर भारत आने वाले सभी विदेशी नागरिकों (भारत के विदेशी नागरिकों को छोड़कर) को भारत पहुँचने के 14 दिनों के भीतर पंजीकरण अधिकारी के साथ स्वयं को पंजीकृत करना आवश्यक है।
- नागरिकता अधिनियम, 1955: इसमें नागरिकता के त्याग, समाप्ति और वंचित करने के प्रावधान दिये गए हैं।
- इसके अतिरिक्त नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सताए गए हिंदू, ईसाई, जैन, पारसी, सिख एवं बौद्ध प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करता है।
- इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2011 में एक मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) जारी की गई थी और वर्ष 2019 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसका पालन शरणार्थी होने का दावा करने वाले विदेशी नागरिकों से निपटने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा किया जाना था।
भारत द्वारा वर्ष 1951 के शरणार्थी कन्वेंशन पर हस्ताक्षर न करने के क्या कारण हैं?
- वर्ष 1951 के शरणार्थी कन्वेंशन आर्थिक अधिकारों को छोड़कर नागरिक और राजनीतिक अधिकारों से वंचित लोगों के रूप में परिभाषित करता है।
- भारत का दावा है कि परिभाषा में आर्थिक अधिकारों को शामिल करने से विकासशील देशों पर बोझ पड़ सकता है।
- कन्वेंशन का पालन करने वाले शरणार्थियों की मेज़बानी के लिये ज़िम्मेदारियाँ और संसाधन की मांग बढ़ सकती है, क्षेत्रीय संघर्षों एवं सीमाओं के कारण भारत के शरणार्थी आप्रवाह (Refugee Inflows) का इतिहास एक चिंता का विषय है।
- कन्वेंशन पर हस्ताक्षर न करने का भारत का निर्णय उसे अपनी शरणार्थी नीतियों को नियंत्रित करने की अनुमति देता है, जो अन्यथा उसकी संप्रभुता और घरेलू योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।
- हालाँकि, भारत अन्य अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों और प्रथागत कानून का पालन करता है, जो अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मानदंडों को बनाए रखने में एक सराहनीय ट्रैक रिकॉर्ड प्रदर्शित करता है।
आगे की राह:
- व्यापक आप्रवासन नीतिगत ढाँचा: एक व्यापक वैश्विक आप्रवासन नीतिगत ढाँचे की आवश्यकता है जो शरण, कानूनी प्रवासन और एकीकरण सहित आप्रवासन के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करता हो।
- जो मानवीय चिंताओं के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को संतुलित करता हो।
- जो नीति निर्माण अनुभवजन्य साक्ष्य और अनुसंधान पर आधारित हो, न कि रूढ़िवादिता या भय फैलाने पर।
- भविष्य की नीतियों में शरणार्थियों और शरण चाहने वालों के लिये कमज़ोर समूहों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिये तथा उन्हें सुरक्षा प्राप्त करने के लिये निष्पक्ष एवं कुशल प्रक्रियाएँ प्रदान की जानी चाहिये।
- वैश्विक शरणार्थी शिक्षा कोष: यूनेस्को शरणार्थी शिविरों और मेज़बान देशों में शिक्षा पहल का समर्थन करने के लिये एक समर्पित कोष का निर्माण कर सकता है।
- शिक्षा शरणार्थियों को सशक्त बनाती है, कौशल विकास को बढ़ावा देती है और उन्हें भविष्य के अवसरों के लिये तैयार करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: प्रवास के मूल कारणों को संबोधित करने के लिये मूल और पारगमन देशों के साथ सहयोग के साथ प्रवास प्रवाह के प्रबंधन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- एकीकरण और समावेशन: शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोज़गार के अवसरों तक पहुँच के साथ समाज में प्रवासियों के एकीकरण एवं समावेशन पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- समावेशन कार्यप्रणाली:
- भाषा समर्थन: भाषा पाठ्यक्रमों की पेशकश से प्रवासियों को कार्यबल और व्यापक समाज में एकीकृत होने में सहायता मिलती है।
- पेशेवरों की पहचान: विदेशी पेशेवरों को मान्यता देने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने से प्रवासियों को अपने कौशल का सरलता से प्रयोग करने में सहायता मिलती है।
- भेदभाव-विरोधी पहल: पर्याप्त कानून एवं शैक्षिक पहल भेदभाव का सामना करते हैं और साथ ही एक मैत्रीपूर्ण, समावेशी वातावरण को बढ़ावा देते हैं।
- समावेशन कार्यप्रणाली:
- शरणार्थियों को "संसाधन" के रूप में नामित करना अधिक मज़बूत एवं जीवंत समुदायों के निर्माण में समावेशिता तथा सहयोग की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डालता है।
- संबंधित मामले का अध्ययन:
- कनाडा: विश्व में आप्रवासन गंतव्य के रूप में, कनाडा सक्रिय रूप से कुशल श्रमिकों एवं शरणार्थियों की तलाश करता है। इस रणनीति के साथ कनाडा विशेष रूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवाचार के लिये एक वैश्विक केंद्र बन गया है, और साथ ही इसकी अर्थव्यवस्था भी तेज़ी से बढ़ी है।
- सिंगापुर: इस देश को अपनी विविध आबादी से बहुत लाभ होता है। वित्त, इंजीनियरिंग एवं चिकित्सा क्षेत्र में प्रवासियों ने इसकी सफलता में महत्त्वपूर्ण योगदान है। सिंगापुर की विविधता को अपनाने से एक गतिशील एवं समृद्ध समाज को बढ़ावा मिला है।
- जर्मनी: 960 के दशक में जर्मनी का "बेस्ट वर्क" प्रोग्राम लाखों श्रमिकों को लेकर आये, जिन्होंने महत्त्वपूर्ण श्रम अंतराल को पूरा किया और युद्ध के बाद देश की आर्थिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- संबंधित मामले का अध्ययन:
- दीर्घकालिक स्थायी समाधान: राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक असमानता एवं पर्यावरणीय क्षति जैसे विस्थापन के मूल कारणों को संबोधित करते हुए, संघर्ष की रोकथाम के साथ ही समाधान सहित दीर्घकालिक स्थायी समाधानों की ओर ध्यान केंद्रित करना।
- विस्थापन से प्रभावित समुदायों के लिये स्थायी स्थिरता एवं सुरक्षा निर्माण हेतु शांति स्थापना प्रयासों, विकास सहायता एवं मानवीय कूटनीति में निवेश करना।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न. कानूनी, मानवीय एवं सामाजिक पहलुओं सहित शरण चाहने वालों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और साथ ही उनके अधिकारों एवं कल्याण पर राष्ट्रीय नीतियों के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। प्रश्न.वैश्विक शरणार्थी संकट से निपटने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. एमनेस्टी इंटरनेशनल है? (2015) (a) गृहयुद्धों के शरणार्थियों की सहायता के लिये संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी उत्तर: (b) प्रश्न. हाल ही में समाचारों में रहा “दादाब” नामक एक बहुत बड़ा शरणार्थी शिविर स्थित है? (2009) (a) इथोपिया उत्तर: (b) मेंस:प्रश्न. भारत की सुरक्षा गैर-कानूनी सीमापार प्रवासन किस प्रकार एक खतरा उत्पन्न करता है? इसे बढ़ावा देने के कारणों को उजागर करते हुए ऐसे प्रवासन को रोकने की रणनीतियों का वर्णन कीजिये? (2014) |