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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका-भारत रणनीति ऊर्जा भागीदारी

  • 18 Jul 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अमेरिका-भारत रणनीति ऊर्जा भागीदारी, AsiaEDGE पहल, सोलर डेकाथलॉन® इंडिया, RAISE पहल

मेन्स के लिये:

अमेरिका-भारत रणनीति ऊर्जा भागीदारी

चर्चा में क्यों?

हाल ही अमेरिकी ऊर्जा सचिव और भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री द्वारा 'अमेरिका-भारत रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी' (Strategic Energy Partnership- SEP) की एक आभासी (Virtual) बैठक की सह-अध्यक्षता की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • इस आभासी बैठक के आयोजन का मुख्य उद्देश्य; दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा प्रगति की समीक्षा करना, प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डालना और सहयोग के नवीन क्षेत्रों में प्राथमिकताओं का निर्धारण करना था।
  • अमेरिका-भारत के द्विपक्षीय संबंधों में ऊर्जा के रणनीतिक महत्त्व को मान्यता देते हुए  अप्रैल 2018 में रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी (SEP) को स्थापित किया गया। 
  • SEP की स्थापना का उद्देश्य दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी का निर्माण करना तथा सरकार-से-सरकार के बीच सहयोग एवं उद्योगों के बीच बेहतर जुड़ाव की दिशा में मज़बूत मंच का निर्माण करना था।

India-America

सहयोग के चार प्राथमिक स्तंभ

(Four Primary Pillars of Cooperation):

  • अमेरिका-भारत रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी में सहयोग के चार प्राथमिक स्तंभ का निर्धारण किया गया है: 
    • पॉवर और ऊर्जा दक्षता;
    • तेल और गैस;
    • नवीकरणीय ऊर्जा;
    • सतत् विकास।
  • इन चार स्तंभों के माध्यम से दोनों देश स्वच्छ, सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा की उपलब्धता, पावर ग्रिड और वितरण का आधुनिकीकरण करने, पर्यावरण प्रदर्शन में सुधार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करते हैं।

SEP के तहत उपलब्धियाँ और प्राथमिकताएँ:

पॉवर और ऊर्जा दक्षता:

पॉवर सिस्टम का आधुनिकीकरण: 

  • दोनों देश स्मार्ट ग्रिड में नई तकनीकों के एकीकरण पर सहयोग कर रहे हैं जैसे विद्युत वितरण क्षेत्र आधुनिकीकरण, स्मार्ट मीटरों की तैनाती आदि।

'उन्नत स्वच्छ ऊर्जा-अनुसंधान के लिये भागीदारी' (PACE-R):

  • दोनों देश 'उन्नत स्वच्छ ऊर्जा-अनुसंधान के लिये भागीदारी' (Partnership to Advance Clean Energy-Research- PACE-R) के माध्यम से विद्युत ग्रिड के लचीलापन और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये संयुक्त अनुसंधान और विकास (R&D) का नेतृत्व कर रहे हैं।

सुपर क्रिटिकल CO2 (sCO2) विद्युत चक्र और कार्बन भंडारण:

  • sCO2 कार्बन डाइऑक्साइड की एक तरल अवस्था है जिसके लिये क्रिटिकल ताप और दाब का होना महत्त्वपूर्ण होता है। 
  • सुपर क्रिटिकल CO2 (sCO2) बिजली चक्रों और कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (Carbon Capture, Utilization and Storage- CCUS) सहित विद्युत उत्पादन अनुसंधान के नवीन क्षेत्रों में सहयोग की शुरुआत की गई।

स्मार्ट ग्रिड नॉलेज सेंटर:

  • स्मार्ट ग्रिड के लिये निर्माण के लिये 'ग्लोबल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' के रूप में' भारत में ‘स्मार्ट ग्रिड नॉलेज सेंटर’ की स्थापना पर सहमति बनी है।

RAISE पहल:

  • ‘यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ (USAID) और 'ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड' (EESL) द्वारा वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये RAISE (Retrofit of Air Conditioning to Improve Air Quality for Safety and Efficiency) पहल की शुरुआत की गई है। 

तेल और गैस;

रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार:

  • ‘रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार' (Strategic Petroleum Reserves) के क्षेत्र में सहयोग के लिये समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding- MOU) पर हस्ताक्षर।
  • अमरीका के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों में भारत के तेल भंडारण की संभावना पर भी चर्चा की गई।

हाइड्रोजन टास्क फोर्स:

  • अक्षय ऊर्जा और जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सहायक प्रौद्योगिकियों के विकास के लिये ‘हाइड्रोजन टास्क फोर्स का गठन। 

नवीकरणीय ऊर्जा:

'सोलर डेकाथलॉन® इंडिया':

  • वर्ष 2021 में भारत के पहले 'सोलर डेकाथलॉन® इंडिया' (Solar Decathlon® India) पर सहयोग के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर। 

स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी:

  • उन्नत स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास के लिये संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों पर सहमति बनी है। 
  • सतत् जैव ईंधन (मुख्यत: बायोइथेनॉल) के उत्पादन और उपयोग पर संयुक्त गतिविधियों और सूचना विनिमय के माध्यम से सहयोग पर सहमति व्यक्त की है।

AsiaEDGE पहल: 

  • SEP के माध्यम से ‘AsiaEDGE पहल’ में भी सहयोग किया जाता है। AsiaEDGE पहल  भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक मज़बूत ऊर्जा भागीदार के रूप में भारत को मान्यता प्रदान करता है।
  • AsiaEDGE (ऊर्जा के माध्यम से विकास और वृद्धि को बढ़ाना); अमेरिका द्वारा प्रारंभ एक पहल है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और बढ़ती समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिये मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक का समर्थन करती है।

सतत् विकास:

  • दोनों देश ऊर्जा डेटा प्रबंधन; ऊर्जा मॉडलिंग और कम कार्बन उत्सर्जन वाली प्रौद्योगिकियों के संवर्द्धन में क्षमता निर्माण की दिशा में मिलकर कार्य कर रहे हैं।

भारत एनर्जी मॉडलिंग फोरम:

  • इस दिशा में USAID और नीति आयोग ने मिलकर 'भारत एनर्जी मॉडलिंग फोरम' (India Energy Modeling Forum) का शुभारंभ किया।

ऊर्जा में दक्षिण एशिया महिला प्लेटफ़ॉर्म:

  • USAID ने पॉवर सेक्टर पर केंद्रित ‘ऊर्जा में दक्षिण एशिया महिला’ (South Asia Women in Energy- SAWIE) प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। भारत-अमेरिका दोनों देश मिलकर तकनीकी स्तंभों में लिंग-केंद्रित गतिविधियों को शामिल करने के लिये कार्य कर रहे हैं।

निष्कर्ष:

  • वर्तमान में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के कारण भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये न केवल अपने ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण अपितु ऊर्जा के आयात के विविधीकरण पर भी बल दे रहा है। अमेरिका-भारत रणनीति ऊर्जा भागीदारी न केवल बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों से साम्यता रखती है अपितु भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है।    

स्रोत: पीआईबी

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