अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत- अमेरिका संबंध
- 29 Feb 2020
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संदर्भ:
अमेरिकी राष्ट्रपति की हालिया दो दिवसीय भारत यात्रा के बाद भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊर्जा मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इसके साथ ही दोनों देशों ने आतंकवाद, हिंद-प्रशांत क्षेत्र जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया। भारत और अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के संबंधों को 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी बताया।
भारत-अमेरिका संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
भारत और अमेरिका दोनों देशों का इतिहास कई मामलों में समान रहा है। दोनों ही देशों ने औपनिवेशिक सरकारों के खिलाफ संघर्ष कर स्वतंत्रता प्राप्त की (अमेरिका वर्ष 1776 और भारत वर्ष 1947) तथा स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में दोनों ने शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया परंतु आर्थिक और वैश्विक संबंधों के क्षेत्र में भारत तथा अमेरिका के दृष्टिकोण में असमानता के कारण दोनों देशों के संबंधों में लंबे समय तक कोई प्रगति नहीं हुई। अमेरिका पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का समर्थक रहा है, जबकि स्वतंत्रता के बाद भारत में विकास के संदर्भ समाजवादी अर्थव्यवस्था को महत्त्व दिया। इसके अतिरिक्त शीत युद्ध के दौरान जहाँ अमेरिका ने पश्चिमी देशों का नेतृत्व किया, वहीं भारत ने गुटनिरपेक्ष दल के सदस्य के रूप में तटस्थ बने रहने की विचारधारा का समर्थन किया।
1990 के दशक में भारतीय आर्थिक नीति में बदलाव के परिणामस्वरूप भारत और अमेरिका के संबंधों में कुछ सुधार देखने को मिले तथा पिछले एक दशक में इस दिशा में अभूतपूर्व प्रगति हुई है।
भारत-अमेरिका के बीच महत्त्वपूर्ण समझौते:
- सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (General Security Of Military Information Agreement)-वर्ष 2002
- भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (वर्ष 2008)
- लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement)-वर्ष 2016
- भारत-अमेरिका सामरिक उर्जा भागीदारी (वर्ष 2017 में घोषित)
- संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement -COMCASA)-वर्ष 2018
- आतंकवाद विरोध पर द्विपक्षीय संयुक्त कार्यदल की बैठक (पिछली बैठक मार्च 2019 )
- साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता
इसके साथ ही दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका का दोनों देशों के संबंधों को बेहतर बनाने में बड़ा योगदान रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की हालिया भारत यात्रा दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के साथ ही क्षेत्र की शांति के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा:
भारत और अमेरिका के संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने के लिये दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण समझौते किये गए है। जिनमें रक्षा, ऊर्जा, तकनीकी के साथ कई वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दे शामिल हैं।
रक्षा क्षेत्र:
अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच लगभग 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा खरीद पर सहमति बनी है।
- हालिया समझौते के अनुसार, भारत अमेरिका से 24 एम.एच.60 (MH-60) रोमियो हेलिकॉप्टर और 6 अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों का आयात करेगा।
- इसके साथ ही इस समझौते के तहत अमेरिका से उन्नत रक्षा प्रणाली, हथियार युक्त एवं गैर हथियार वाले ड्रोन विमानों का आयात किया जाएगा।
- अन्य सुरक्षा मुद्दों में दोनों देशों ने मानव तस्करी, हिंसक अतिवाद, साइबर अपराध (Cybercrime), ड्रग तस्करी जैसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से साथ मिलकर निपटने पर सहमति जाहिर की।
ऊर्जा और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग:
- ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिये भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation) और अमेरिकी कंपनी एक्सॉन मोबिल एल.एन.जी. लिमिटेड (Exxon Mobil LNG LTD.) के बीच प्राकृतिक गैस के आयात पर सहमति बनी है।
- भारत में नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिये यूएस इंटरनेशनल डेवलप्मेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (U.S. International Development Finance Corporation-DFC) भारत में अपनी वित्तीय इकाई की स्थापना के माध्यम से 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा।
- इसके साथ ही दोनों देशों ने ‘न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड’(Nuclear Power Corporation of India) और ‘वेस्टिंगहॉउस इलेक्ट्रिक कंपनी’(Westinghouse Electric Company) के सहयोग से भारत में 6 नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की योजना को जल्द ही अंतिम रूप देने पर सहमति जाहिर की है।
- इसके साथ ही ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल के तहत विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी हस्तांतरण पर भी समझौते किये गए हैं।
स्वास्थ्य:
- मानसिक स्वास्थ के मामलों में सहयोग के लिये भारत के ‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग’ तथा अमेरिका के ‘हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज’ (Health and Human Services) विभाग के बीच समझौता-ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
- महिलाओं की शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी भागीदारी को बढ़ाने के लिये अमेरिका की 'वुमेन्स ग्लोबल डेवलपमेंट एंड प्राॅस्पेरिटी’ (Women’s Global Development and Prosperity ‘W-GDP’) पहल और भारत सरकार के ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के माध्यम से सहयोग।
- इसके साथ ही नशीले पदार्थों/दवाओं पर नियंत्रण के लिये अमेरिका के ‘काउंटर नारकोटिक्स वर्किंग ग्रुप’ (Counternarcotics Working Group) के माध्यम से सहयोग।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र:
- अमेरिकी राष्ट्रपति की इस यात्रा का सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति का रहा।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में भारत और अमेरिका ने आसियान (ASEAN) को केंद्र में रखते हुए एक स्वतंत्र, खुले, समायोजित और समृद्ध हिंद-प्रशांत की अवधारणा का समर्थन किया है।
- दोनों देशों ने दक्षिणी चीन सागर में अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत सभी देशों के हितों की रक्षा के लिये एक सार्थक आचार संहिता (Code Of Conduct) के निर्माण पर बल दिया।
- इसके साथ ही दोनों देशों ने वैश्विक स्तर पर उन्नत एवं प्रभावी विकास को बढ़ाने की अपनी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए अन्य देशों में सहयोग के लिये यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) और विकास भागीदारी प्रशासन (Development Partnership Administration) के बीच नई साझेदारी की पहल का समर्थन किया।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में भारत-जापान-अमेरिका त्रिपक्षीय सम्मेलन, रक्षा और विदेश मंत्रियों की 2+2 की वार्ताओं और भारत-अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-जापान (QUAD) आदि के माध्यम से सहयोग और परामर्श को बढ़ने पर जोर दिया गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के लाभ:
- आर्थिक क्षेत्र:
- अमेरिकी राष्ट्रपति की हालिया भारत यात्रा भारत के आर्थिक क्षेत्र के लिये एक बड़ी सफलता है। ध्यातव्य है कि अमेरिका विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) रहता है।
- वर्ष 2018 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 142 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जो वर्ष 2017 के द्विपक्षीय व्यापार से 12.6% अधिक है। ग़ौरतलब है कि अमेरिका भारतीय सेवा क्षेत्र और अन्य कई उत्पादों के लिये विश्व का सबसे बड़ा बाज़ार है।
- वर्ष 2018 में भारत से अमेरिका को हुए निर्यात की कीमत लगभग 54.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2017 से 11.9% अधिक) थी और वर्ष 2018 में ही अमेरिका से लगभग 33.5 बिलियन डॉलर (वर्ष 2017 से 30.6% अधिक) की वस्तुओं का आयात किया गया।
- ऐसे में इस यात्रा के दौरान हुए समझौते दोनों देशों की सरकारों के साथ ही व्यापार के क्षेत्र में एक सकारात्मक और स्थिर भविष्य का संकेत देते हैं।
- रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में:
- अमेरिका से 30 नए हेलिकॉप्टरों के आयात के साथ ही इनके कुछ उपकरणों को भारत में ही बनाए जाने की योजना है।
- ध्यातव्य है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा उपकरणों के व्यापार में तकनीकी के हस्तांतरण को लेकर कई महत्त्वपूर्ण समझौते हुए हैं।
- इसके साथ ही वर्तमान रक्षा सौदों में सरकारों के साथ-साथ दोनों देशों की रक्षा क्षेत्र से संबंधित निजी कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया गया है। जो इस क्षेत्र में उभरती भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिये सकारात्मक संकेत है। (उदाहरण के लिये F-21 लड़ाकू विमान बनाने के लिये टाटा और लॉकहीड मार्टिन की साझेदारी)
- ऊर्जा क्षेत्र:
भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिये बड़े पैमाने पर अन्य देशों से होने वाले तेल और गैस आयात पर निर्भर रहता है। वर्ष 2017 में भारत ने अमेरिका से 9.6 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात किया वहीं वर्ष 2018 में यह आयात बढ़ाकर 48.2 मिलियन बैरल हो गया है।- अमेरिका से तेल और गैस के आयात को बढ़ाने से ऊर्जा ज़रूरतों के लिये किसी एक देश पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी, जिससे विषम परिस्थितियों में ऊर्जा की ज़रूरतों को आसानी से पूरा किया जा सकेगा।
- इस यात्रा के दौरान प्रशासन, रक्षा और व्यापार के अतिरिक्त दोनों देशों ने नागरिकों के बीच (People-to-People) संबंधों को बढ़ाने में ‘यंग इनोवेटर्स इंटर्नशिप’ परियोजना, महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में W-GDP जैसे प्रयासों को रेखांकित किया गया है। इन योजनाओं से भारतीय युवाओं में क्षमता विकास के साथ ही दोनों देशों के नागरिक संबंधों को मजबूत करने में सहायता प्राप्त होगी।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र:
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में अमेरिका ने चीन को प्रत्यक्ष रूप से चुनौती देने के बजाय क्षेत्र में सभी हितधारकों को साथ लाने की भारतीय नीति का समर्थन किया। जो इस क्षेत्र के संदर्भ में भारतीय दृष्टिकोण से एक बड़ी सफलता है।
- अमेरिका से उन्नत तकनीकी के नौसैनिक हेलिकॉप्टरों के आयात और भारत-अमेरिका के संयुक्त युद्धाभ्यासों से भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि होगी।
- परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (Nuclear Suppliers Group-NSG) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता पर अमेरिका का समर्थन दक्षिण एशिया तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के महत्त्व को दर्शाता है।
- इसके साथ ही ब्लू डॉट नेटवर्क जैसे प्रयासों से भारत को इस क्षेत्र में चीन के दबाव को कम करने में सहायता मिलेगी।
चुनौतियाँ:
भारत और अमेरिका के मज़बूत होते संबंधों के साथ ही कई द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों को लेकर दोनों देशों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं।
- अफगानिस्तान समस्या के मुद्दे पर भारत तालिबान की प्रत्यक्ष भूमिका के विपरीत स्थानीय लोकतांत्रिक सरकार और मूलभूत सुविधाओं (जैसे-शिक्षा,स्वास्थ्य) में सहयोग के माध्यम से शांति समाधान का समर्थन करता है।
- पाकिस्तान के संदर्भ में भी अमेरिका और भारत के दृष्टिकोण में अंतर है।
- मध्य-पूर्व (विशेषकर ईरान) के संदर्भ में भारत के विचार अमेरिका की आक्रामक नीति से अलग हैं।
- इसी तरह भारत और रूस ऐतिहासिक रूप से रक्षा के साथ कई अन्य क्षेत्रों में व्यापार से जुड़े हैं, परंतु रूस पर अमेरिकी व्यापारिक प्रतिबंधों से भारत के लिये अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाना कठिन हो गया है। भारत के लिये यही समस्या ईरान और अमेरिका के साथ संबंध संतुलन में भी है।
- द्विपक्षीय व्यापार में कृषि उत्पादों, व्यापार सब्सिडी और कुछ उत्पादों के आयात शुल्क (जैसे-हर्ले डेविडसन बाइक पर आयात शुल्क) जैसे मुद्दों पर अमेरिका भारतीय नीति से सहमत नहीं रहा है।
आगे की राह:
- भारत और अमेरिका के बीच वर्तमान द्विपक्षीय संबंधों का लाभ उठाते हुए भारत को नवीन तकनीकी, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका सहित अन्य देशों से भी व्यापक विदेशी निवेश को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिये।
- भारत द्वारा सेवा क्षेत्र (Service Sector) की ही तरह विभिन्न क्षेत्रों (रक्षा, सूक्ष्म तकनीकी) में स्वदेशी तकनीकी और क्षमता के विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- भारत-अमेरिका संबंधों के सुधार और दोनों देशों अनेक क्षेत्रों (जैसे-तकनीकी, अर्थव्यवस्था आदि) के विकास में प्रवासी भारतीयों (वर्तमान आबादी लगभग 4 मिलियन) की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है, ऐसे में इस क्षेत्र में भी परस्पर सहयोग (जैसे-वीज़ा नियमों में सुधार आदि) के प्रयास किये जाने चाहिये।
- आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों के माध्यम से पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई (उदाहरण- FATF प्रतिबंध) का प्रयास करना चाहिये।
- विश्व के अन्य क्षेत्रों (जैसे-अफ्रीकी देशों) आदि में नए अवसरों की तलाश और चुनौतियों के निवारण में USAID जैसे प्रयासों के माध्यम से द्विपक्षीय सहयोग में वृद्धि की जानी चाहिये।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये बहुपक्षीय गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
अभ्यास प्रश्न: बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत और अमेरिका के संबंधों के महत्व तथा इससे उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।