कृषि
पशुधन संचालन का संयंत्र आधारित संचालन में परिवर्तन
- 29 Dec 2021
- 9 min read
प्रीलिम्स के लिये:पशुधन खेती, संयंत्र आधारित संचालन। मेन्स के लिये:संयंत्र आधारित संचालन का महत्त्व और इस संक्रमण को बढ़ावा देने के लिये क्या करने की आवश्यकता है। |
चर्चा में क्यों?
दुनिया भर में कृषि क्रांति हो रही है जहाँ पशुधन संचालन संयंत्र आधारित संचालन में परिवर्तित हो रहे हैं और सुरक्षित एवं बेहतर वेतन वाले रोज़गार का सृजन कर रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- पशुपालन:
- यह केवल उनके मांस और उत्पादों (दूध, अंडे, चमड़ा, आदि) को प्राप्त करने के उद्देश्य से घरेलू, पशुधन का प्रबंधन और प्रजनन है।
- इसे आर्थिक गतिविधि के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है जिसमें मानव उपभोग के लिये घरेलू पशुओं को पालना और मांस, दूध, ऊन, फर, शहद आदि प्राप्त करना शामिल है।
- पशुपालन-खेती से संबंधित मुद्दे:
- पशुपालन ने कई किसानों को खराब काम करने की स्थिति, कम आय, बाज़ार की ताकतों के लिये उच्च भेद्यता और अत्यधिक तनाव जैसे कुचक्रों में फँसाया है।
- संयंत्र आधारित संचालन के लिये संक्रमण:
- संयंत्र आधारित ऑपरेशंस (कृषि में सिर्फ संक्रमण) का विचार उत्पादन और उपभोग के आधार पर खाद्य प्रणालियों के पुनर्गठन के लिये रूपरेखा को संदर्भित करता है जो स्थिरता, डीकार्बोनाइज़ेशन और मानव, वित्तीय तथा पर्यावरणीय संसाधनों के उचित उपयोग को प्राथमिकता देता है।
- केवल संक्रमण कृषि तकनीकों और प्रथाओं का पक्ष लेते हैं जो औद्योगिक कृषि की मानक प्लेबुक के तहत नहीं आते हैं, जो जानवरों, कृषक समुदायों और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हुए प्राकृतिक दुनिया से लाभ प्राप्त करते हैं।
- अक्सर सामान्य दावे के विपरीत पौधों से भरपूर आहार लेने से समान खाद्य वितरण और पोषण सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिल सकती है। केवल मानव उपयोग के लिये फसल उगाने से उपलब्ध खाद्य कैलोरी में 70% तक की वृद्धि हो सकती है, जिससे अतिरिक्त चार अरब लोगों को लाभ हो सकता है।
- पशुपालन:
- संक्रमण का महत्त्व:
- स्वस्थ और सुरक्षित कार्य प्रदाता:
- औद्योगीकृत पशुधन उत्पादन एक खतरनाक व्यवसाय है जो मानव स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक कल्याण के लिये एक गंभीर खतरा है।
- चोटों, बीमारी और आघात का प्रभाव व्यक्तिगत कार्यकर्त्ता को प्रभावित करता है तथा उन परिवारों एवं समुदायों पर विनाशकारी प्रभाव डालता है जो इससे प्रभावित होते हैं।\
- उदाहरण: हर साल बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू जैसे नए प्रकारों का उभरना मानव स्वास्थ्य के लिये एक बड़ा खतरा है।
- जलवायु के अनुकूल खाद्य प्रणालियाँ:
- औद्योगीकृत पशुधन उत्पादन से दूर संक्रमण किसानों को जलवायु और उसी भूमि की रक्षा करने का अधिकार देता है जिस पर वे काम करते हैं।
- यदि उत्पादन बेरोकटोक जारी रहा तो वर्ष 2050 तक पशुधन क्षेत्र 1.5 डिग्री सेल्सियस उत्सर्जन बजट का 81% तक होने का अनुमान है।
- पशुधन उत्पादन जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है लेकिन वैश्विक तापमान में वृद्धि पशुधन उत्पादन के लिये समान रूप से हानिकारक है, जो किसानों की आजीविका के लिये एक बड़ा खतरा है।
- इसके अलावा जलवायु परिवर्तन पशुधन रोगों के उद्भव को बढ़ाता है, पशु प्रजनन को कम करता है और जैव विविधता के नुकसान को बढ़ाता है।
- रोज़गार-सृजन की बड़ी क्षमता:
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, पर्यावरण और सामाजिक रूप से स्थायी अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन से रोज़गार सृजन, बेहतर रोज़गार सृजन, सामाजिक न्याय में वृद्धि तथा गरीबी कम हो सकती है।
- यह अनुमान लगाया गया है कि एक ऊर्जा संक्रमण परिवर्तन 24-25 मिलियन रोज़गार का सृजन करेगा, जो वर्ष 2030 तक 6 या 7 मिलियन रोज़गार खोने से कहीं अधिक है। इसी तरह के लाभ पशुधन संक्रमण के माध्यम से देखे जाएंगे।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, पर्यावरण और सामाजिक रूप से स्थायी अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन से रोज़गार सृजन, बेहतर रोज़गार सृजन, सामाजिक न्याय में वृद्धि तथा गरीबी कम हो सकती है।
- स्वस्थ और सुरक्षित कार्य प्रदाता:
- संबंधित उदाहरण:
- डेनमार्क ने हाल ही में वर्ष 2030 तक 70% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की अपनी महत्त्वाकांक्षा के एक हिस्से के रूप में वर्ष 2030 तक कृषि उत्सर्जन को आधा करने के लिये एक बाध्यकारी निर्णय की घोषणा की है।
- सरकार पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों का उत्पादन करने वाले किसानों को पाँच वर्ष के लिये 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराएगी और पौधों पर आधारित भोजन के लिये संक्रमण का समर्थन करने हेतु वर्ष 2030 तक 11.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वार्षिक कोष बनाने के लिये प्रतिबद्ध है।
- डेनमार्क ने हाल ही में वर्ष 2030 तक 70% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की अपनी महत्त्वाकांक्षा के एक हिस्से के रूप में वर्ष 2030 तक कृषि उत्सर्जन को आधा करने के लिये एक बाध्यकारी निर्णय की घोषणा की है।
- चुनौतियाँ:
- प्रौद्योगिकी की पहुँच और खेती में निवेश की कमी, उत्सर्जन में कमी हेतु संक्रमण के लाभों के बारे में जागरूकता, खाद्य क्षेत्र के भीतर विविधीकरण के लिये संस्थागत समर्थन, नुकसान के लिये मुआवज़े के भुगतान और गारंटीकृत आय धाराओं आदि में कमी के साथ-साथ युवा कृषि से भी दूर होते जा रहे हैं।
- इसके अलावा किसानों, विशेष रूप से ग्रामीण छोटे धारकों हेतु स्थायी और पुनर्योजी कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन की कमी है क्योंकि वे संबंधित लागतों और ज़ोखिमों को स्वयं वहन नहीं कर सकते हैं।
- भारत में पशुधन की स्थिति:
- भारत दुनिया का सबसे अधिक पशुधन वाला देश है।
- 20वीं पशुधन गणना-2018 के अनुसार देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जिसमें पशुधन गणना- 2012 की तुलना में 4.6% की वृद्धि हुई है।
- आर्थिक सर्वेक्षण-2021 के अनुसार, कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र में पशुधन का योगदान वर्ष 2014-15 में सकल मूल्य वर्द्धित (स्थिर कीमतों पर) का 24.32 प्रतिशत था जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 28.63% हो गया है।
- भारत में संयंत्र आधारित संचालन:
- प्लांट-आधारित मीट या स्मार्ट प्रोटीन अगली पीढ़ी के खाद्य नवाचार हैं जो पूरी तरह से स्वाद, गंध और तीखेपन में जानवरों के मांस जैसे होते हैं, जबकि यह पूरी तरह से पौधों की सामग्री से बने होते हैं।
- क्रूरता मुक्त और अधिक पर्यावरण के अनुकूल बहुत से भारतीयों द्वारा मांस का सेवन किया जाता है।
- हाल ही में आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों की एक टीम ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) एक्सेलेरेटर लैब इंडिया द्वारा "पौधे आधारित नकली अंडे" के नवाचार के लिये आयोजित एक नवाचार प्रतियोगिता (इनोवेट 4 एसडीजी) जीती है।
- प्लांट-आधारित मीट या स्मार्ट प्रोटीन अगली पीढ़ी के खाद्य नवाचार हैं जो पूरी तरह से स्वाद, गंध और तीखेपन में जानवरों के मांस जैसे होते हैं, जबकि यह पूरी तरह से पौधों की सामग्री से बने होते हैं।
आगे की राह
- विज्ञान और सामाजिक आर्थिक डेटा स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि हमेशा की तरह व्यवसाय अब एक विकल्प नहीं है। एक न्यायपूर्ण पशुधन संक्रमण को सक्षम करने के लिये सभी स्तरों पर महत्त्वाकांक्षी राजनीतिक कार्रवाई की आवश्यकता है।
- इसके अलावा उत्सर्जन रिसाव को रोकने और अधिक टिकाऊ खाद्य उत्पादन तथा खपत हेतु एक समग्र संक्रमण को सक्षम करने के लिये इस तरह के उपायों को पौधों पर आधारित खाद्य खपत बढ़ाने के उद्देश्य से नीतियों का पूरक होना चाहिये।