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झारखंड में तंबाकू पर प्रतिबंध

  • 03 Dec 2020
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड सरकार ने एक आदेश द्वारा राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों के लिये किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पाद के उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • अध्यादेश के माध्यम से राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिये तंबाकू के सेवन से परहेज संबंधी एक शपथ पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य बना दिया है।
    • ज्ञात हो कि धूम्रपान और धुआँ रहित तम्बाकू उत्पादों में सिगरेट, बीड़ी, खैनी, गुटखा, पान मसाला, जर्दा या सुपारी के साथ-साथ हुक्का, ई-सिगरेट आदि को भी शामिल किया जाएगा।
  • यह निर्णय राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की एक बैठक में लिया गया है, जिसका उद्देश्य सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, (COTPA) 2003 के प्रावधानों को सही ढंग से लागू करना है।
  • यह आदेश 1 अप्रैल, 2021 से लागू किया जाएगा।
  • आदेश के उल्लंघन के मामले में दंड के प्रावधान पर कोई स्पष्टता नहीं है।
  • सरकार  कर्मचारियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिये पंचायत स्तर के संस्थानों में भी लोगों को जागरूक करने हेतु तंबाकू नियंत्रण पर चर्चा आयोजित करेगी।
    • ज़िला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों को प्रत्येक ग्राम सभा की बैठक में तंबाकू नियंत्रण पर चर्चा आयोजित करने को कहा गया है।
  • राज्य में प्रतिबंधित तंबाकू उत्पादों के प्रवेश को रोकने के लिये पुलिस को चेकपोस्टों पर सतर्कता बढ़ाने का भी आदेश दिया गया है।
  • इससे पहले भी अप्रैल 2020 में झारखंड सरकार ने कोविड-19 संक्रमण में वृद्धि की संभावना को देखते हुए सार्वजनिक स्थानों और ऑनलाइन प्लेटफाॅर्मों पर तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।

भारत में तंबाकू नियंत्रण

  • अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन:
  • सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003:
    • इसके द्वारा वर्ष 1975 के सिगरेट एक्ट को बदला गया जो काफी हद तक वैधानिक चेतावनियों तक ही सीमित था और इसमें गैर-सिगरेट उत्पादों को शामिल नहीं किया गया था।
    • वर्ष 2003 के अधिनियम के माध्यम से सिगार, बीड़ी, पाइप तंबाकू, हुक्का, चबाने वाला तंबाकू, पान मसाला और गुटखा को भी इसमें शामिल किया गया।
  • राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, 2008:
    • उद्देश्य: तंबाकू की खपत को नियंत्रित करना और तंबाकू से होने वाली मौतों को कम करना।
    • कार्यान्वयन: इस कार्यक्रम को तीन स्तरीय संरचना (i) केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ (ii) राज्य स्तर पर राज्य तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ और (iii) ज़िला स्तर पर ज़िला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
  • सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) संशोधन नियम, 2020:
    • यह संशोधन सभी तंबाकू उत्पादों पर चित्रित चेतावनियों के साथ निर्दिष्ट स्वास्थ्य चेतावनियों का नया सेट प्रदान करता है।
  • एम-सेसेशन (mCessation) कार्यक्रम:
    • यह तंबाकू को प्रतिबंधित करने के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित एक पहल है।
    • भारत ने वर्ष 2016 में सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के हिस्से के रूप में टेक्स्ट संदेशों (Text Messages) का उपयोग कर एम-सेसेशन (mCessation) कार्यक्रम शुरू किया था।
  • प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम, 1981:
    • यह अधिनियम धूम्रपान को वायु प्रदूषक के रूप में मानता है।
  • केबल टेलीविज़न नेटवर्क संशोधन अधिनियम, 2000:
    • यह भारत में तंबाकू और शराब से संबंधित विज्ञापनों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाता है।
  • भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत विनियम जारी किये हैं, जिनमें यह निर्धारित किया गया है कि तंबाकू या निकोटीन का उपयोग खाद्य उत्पादों में नहीं किया जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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