चर्चा में क्यों? प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तंबाकू उत्पादों में अवैध व्यापार को समाप्त करने के लिये तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization - WHO) के रूपरेखा समझौते के अंतर्गत प्रोटोकॉल को स्वीकार करने की स्वीकृति दी।
यह ध्रूमपान और तंबाकू चबाने या धुआँ रहित तंबाकू (Smokeless Tobacco - SLT) के रूपों में तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रूपरेखा समझौते की धारा 15 के अंतर्गत समझौता वार्ता (World Health Organization Framework Convention on Tobacco Control - WHO FCTC) को अंगीकार करना है।
भारत डब्लयूएचओ एफसीटीसी समझौते में शामिल है।
प्रमुख बिंदु
प्रोटोकॉल में विभिन्न पक्षों के दायित्व निर्धारित किये गए हैं। इसमें कहा गया है कि सप्लाई चेन नियंत्रण उपाय सभी पक्षों द्वारा अपनाए जाने चाहिये।
इन उपायों में तंबाकू उत्पाद बनाने के लिये लाइसेंस, तंबाकू बनाने के लिये मशीनरी, उत्पादन में शामिल पक्षों के लिये उचित उद्यम, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग व्यवस्था, रिकॉर्ड कीपिंग और सुरक्षा शामिल हैं।
ई-कॉमर्स, मुक्त व्यापार क्षेत्रों में निर्माण तथा शुल्क मुक्त बिक्री में शामिल पक्षों द्वारा कदम उठाए जाएंगे।
प्रोटोकॉल में अपराधों, ज़ब्ती तथा ज़ब्त उत्पादों के निस्तारण जैसे प्रवर्तन उपायों को शामिल किया गया है।
इसमें सूचना साझा करने, गोपनीयता बनाए रखने, प्रशिक्षण, वैज्ञानिक तथा तकनीकी और प्रौद्योगिकी मामलों में तकनीकी सहायता और सहयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रावधान किया गया है।
इसका प्रभाव क्या होगा?
नियमों को मज़बूत बनाकर तंबाकू उत्पाद में अवैध व्यापार की समाप्ति से व्यापक तंबाकू नियंत्रण को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
इससे तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल कम होगा, परिणामस्वरूप बीमारी के बोझ में कमी आएगी और तंबाकू के इस्तेमाल के कारण होने वाली मृत्यु में भी कमी होगी।
ऐसी संधि को मान लेने से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले वर्तमान व्यवहारों के विरुद्ध कार्रवाई योग्य विकल्प उपलब्ध होंगे।
भारत तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में अग्रणी है और ऐसे अवैध व्यापार को नियंत्रित करने में विश्व सीमा शुल्क संगठन (World Custom Organization) सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को प्रभावित करने में समक्ष होगा।
तंबाकू के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई को मज़बूत बनाने में तंबाकू उत्पाद में अवैध व्यापार की समाप्ति से संबंधी प्रोटोकॉल पथ-प्रदर्शक पहल है और सार्वजनिक स्वास्थ्य में नया कानूनी उपाय भी है।
यह तंबाकू उत्पादों में अवैध व्यापार का मुकाबला करने और उसे समाप्त करने तथा अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सहयोग के लिये कानूनी पहलुओं को मज़बूत बनाने का व्यापक औजार है।
पृष्ठभूमि
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से एक ऐतिहासिक धूम्रपान-विरोधी समझौता किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी 192 सदस्य देशों ने तंबाकू-नियंत्रण पर इस संधि के प्रारूप का अनुमोदन कर दिया है।
तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन समझौता डब्ल्यूएचओ के तत्त्वाधान में की गई पहली अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संधि है।
इसके तहत तंबाकू के विज्ञापनों और स्पॉन्सरशिप पर कड़े प्रतिबन्ध लागू कर दिये जाएंगे।
इस समझौते के तहत, पाँच वर्षों के अंदर तंबाकू के विज्ञापनों और प्रायोजनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
सिगरेट के पैकेटों पर कम से कम एक-तिहाई हिस्से पर धूम्रपान से सेहत को पहुँचने वाले नुकसान के बारे में चेतावनी देना आवश्यक होगा, जिसमें धूम्रपान से रोग-ग्रस्त फेफड़ों की तस्वीरें भी शामिल होंगी।
उद्देश्य
FCTC का उद्देश्य राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्तर पर तंबाकू नियंत्रण के लिये आपूर्ति मांग कटौती उपायों की रूपरेखा उपलब्ध कराना है।
WHO FCTC की धारा 15 में शामिल प्रमुख तंबाकू आपूर्ति कटौती रणनीति में सभी तरह के अवैध व्यापार यानी तस्करी, अवैध निर्माण तथा जालसाजी सहित सभी तरह के अवैध व्यापार की समाप्ति की परिकल्पना की गई है।
इसी के अनुरूप यह प्रोटोकॉल विकसित किया गया है और सम्मेलन में शामिल पक्षों (Conference of Parties - COP) द्वारा अपनाया गया है।
सीओपी एफसीटीसी की गवर्निंग बॉडी है।
प्रोटोकॉल दस भागों में विभाजित है और इसमें 47 धाराएँ है।