दुनिया के सबसे घातक पशु रोग से मेंढकों की मृत्यु | 31 May 2023
प्रिलिम्स के लिये:पैन्ज़ूटिक , चिट्रिडिओमाइकोसिस या चिट्रिड, ट्रांसबाउंडरी और उभरते रोग, मात्रात्मक पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (qPCR), CSIRO, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-सेलुलर एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (CCMB), उभयचर प्रजाति, फंगल रोग। मेन्स के लिये:वनस्पतियों और जीवों को प्रभावित करने वाली उभरती बीमारियाँ, जैवविविधता पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति, वन्यजीवों के बारे में जागरूकता। |
चर्चा में क्यों?
पिछले 40 वर्षों से चिट्रिडिओमाइकोसिस (Chytridiomycosis, या "चिट्रिड" (Chytrid) नामक एक विनाशकारी कवक रोग विश्व भर में मेंढकों की आबादी को नुकसान पहुँचा रहा है, जिसके कारण मेंढक की 90 प्रजातियाँ समाप्त हो चुकी हैं। यह रोग पैन्ज़ूटिक (Panzootic) अर्थात् विश्व की सबसे घातक वन्यजीव बीमारियों में से एक है।
- ट्रांसबाउंड्री एंड इमर्जिंग डिज़ीज़ नामक एक बहुराष्ट्रीय अध्ययन ने इस बीमारी के सभी ज्ञात उपभेदों का पता लगाने के लिये एक विधि विकसित की है, जो उभयचर चिट्रिड फंगस के कारण होती है।
चिट्रिडिओमाइकोसिस या चिट्रिड:
- परिचय:
- चिट्रिड मेंढकों की त्वचा में प्रजनन करके उन्हें संक्रमित करता है तथा जल एवं नमक के स्तर को संतुलित करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करता है, अंतत: संक्रमण का स्तर बहुत अधिक होने पर उनकी मृत्यु हो जाती है।
- उच्च मृत्यु दर और प्रभावित प्रजातियों की उच्च संख्या स्पष्ट रूप से चिट्रिड को अब तक ज्ञात सबसे घातक पशु रोग बनाती है।
- उत्पत्ति:
- चिट्रिड की उत्पत्ति एशिया में हुई है और यह उभयचरों के व्यापार और वैश्विक यात्रा के माध्यम से अन्य महाद्वीपों में फैल गया है।
- संक्रमण:
- चिट्रिड पिछले 40 वर्षों से मेंढकों की आबादी को खत्म कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया में सात प्रजाति सहित 90 प्रजातियों का सफाया हो चुका है और 500 से अधिक मेंढक प्रजातियों पर गंभीर संकट बना हुआ है।
- कई प्रजातियों की प्रतिरक्षा प्रणाली इस बीमारी से बचाव नहीं कर सकती है जिसके कारण बड़े पैमाने पर मौतें हो सकती हैं।
- वर्ष 1980 के दशक में उभयचर जीवविज्ञानियों ने तेज़ी से जनसंख्या में गिरावट पर संज्ञान लेना शुरू किया और वर्ष 1998 में चिट्रिड कवक रोगजनक को अंततः दोषी के रूप में पहचाना गया।
- बीमारी का निदान:
- शोधकर्त्ता मेंढकों की त्वचा की सफाई करके उनमें चिट्रिड का पता लगाने हेतु qPCR परीक्षण का उपयोग किया जाता है और यह नया परीक्षण अधिक संवेदनशील भी है। इसकी विशेषता है कि यह बहुत कम संक्रमण स्तर का पता लगा सकता है जिससे अध्ययन की जा सकने वाली प्रजातियों का दायरा बढ़ जाता है।
- qPCR का मतलब मात्रात्मक पॉलिमरेज़ शृंखला अभिक्रिया (quantitative polymerase chain reaction) है। यह प्रजाति में DNA की मात्रा को मापने का एक तरीका है। यह परीक्षण वर्ष 2004 में CSIRO, ऑस्ट्रेलिया में विकसित किया गया था जो COVID परीक्षण के विपरीत है। हालाँकि वैज्ञानिक मेंढक की त्वचा को सूँघते हैं लेकिन नाक से नहीं।
- CSIRO का अर्थ राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन (CSIRO) है जो ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये संघीय सरकारी एजेंसी है।
- qPCR का मतलब मात्रात्मक पॉलिमरेज़ शृंखला अभिक्रिया (quantitative polymerase chain reaction) है। यह प्रजाति में DNA की मात्रा को मापने का एक तरीका है। यह परीक्षण वर्ष 2004 में CSIRO, ऑस्ट्रेलिया में विकसित किया गया था जो COVID परीक्षण के विपरीत है। हालाँकि वैज्ञानिक मेंढक की त्वचा को सूँघते हैं लेकिन नाक से नहीं।
- पिछले वर्षों में भारत में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)- सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के शोधकर्त्ता भी एक नए qPCR परीक्षण पर काम कर रहे हैं जो एशिया में चिट्रिड के तनाव का पता लगा सकता है।
- ऑस्ट्रेलिया और पनामा में शोधकर्त्ताओं के सहयोग से भारत ने अब qPCR परीक्षण को सत्यापित किया है एवं इन देशों में मज़बूती से चिट्रिड का पता लगाया जा सकता है।
- यह नया परीक्षण अधिक संवेदनशील है, जिसका अर्थ है कि यह बहुत कम संक्रमण स्तर का पता लगा सकता है, जिससे प्रजातियों के अध्ययन का दायरा व्यापक हो जाता है।
- नया qPCR परीक्षण एशिया में चिट्रिड के तनाव का कारण और चिट्रिड की एक अन्य निकट संबंधी प्रजाति का पता लगा सकता है जो सैलामैंडर को संक्रमित करता है।
- शोधकर्त्ता मेंढकों की त्वचा की सफाई करके उनमें चिट्रिड का पता लगाने हेतु qPCR परीक्षण का उपयोग किया जाता है और यह नया परीक्षण अधिक संवेदनशील भी है। इसकी विशेषता है कि यह बहुत कम संक्रमण स्तर का पता लगा सकता है जिससे अध्ययन की जा सकने वाली प्रजातियों का दायरा बढ़ जाता है।
- कुछ उभयचरों के लिये प्रतिरक्षा:
- कुछ उभयचर प्रजातियाँ फंगस ले जाने पर अस्वस्थ/रोगग्रस्त नहीं होती हैं, जो हैरान करने वाला है।
- अब तक प्रतिरोध और प्रतिरक्षा कार्य के बीच कोई स्पष्ट रुझान नहीं पाया गया है। यह भी सबूत है कि चिट्रिड एक मेज़बान की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबा सकता है।
- प्रजातियों के बारे में अनुसंधान:
- चिट्रिड अनुसंधान में एशिया शेष विश्व से पिछड़ रहा है।
- एक बहुराष्ट्रीय अध्ययन ने चिट्रिड के सभी ज्ञात उपभेदों का पता लगाने के लिये एक विधि विकसित की है, जो व्यापक रूप से उपलब्ध इलाज की दिशा में काम करते हुए बीमारी का पता लगाने और शोध करने की हमारी क्षमता को आगे बढ़ाएगी।
CSIR- कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र:
- कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (Centre for Cellular & Molecular Biology- CCMB) आधुनिक जीव विज्ञान के अग्रणी क्षेत्रों में एक प्रमुख अनुसंधान संगठन है तथा जीव विज्ञान के अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों में नई एवं आधुनिक तकनीकों हेतु केंद्रीकृत राष्ट्रीय सुविधाओं को प्रोत्साहित करता है।
- CCMB की स्थापना 1 अप्रैल, 1977 को तत्कालीन ‘क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला’ (वर्तमान में भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, IICT), हैदराबाद के बायोकेमिस्ट्री डिवीज़न के साथ एक अर्द्ध-स्वायत्त केंद्र के रूप में की गई थी।
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