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सामाजिक न्याय

असमानता वायरस रिपोर्ट: ऑक्सफैम इंटरनेशनल

  • 27 Jan 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऑक्सफैम इंटरनेशनल द्वारा जारी की गई असमानता वायरस रिपोर्ट (The Inequality Virus Report) में बताया गया है कि COVID-19 महामारी ने भारत और दुनिया भर में मौजूदा असमानताओं में अत्यधिक वृद्धि की है।

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि COVID-19 ने लगभग हर देश में आर्थिक असमानता को बढाया है।

प्रमुख बिंदु:

महामारी का अमीरों और गरीबों पर तुलनात्मक प्रभाव:

  • भारत ने महामारी के शुरुआती दौर में ही लॉकडाउन को कठोरता से लागू किया। इस लॉकडाउन के प्रवर्तन के कारण अर्थव्यवस्था में ठहराव की स्थिति पैदा हो गई, जिससे बेरोज़गारी, भुखमरी, संकटकालीन पलायन जैसी समस्याएँ देखी गईं।
  • जहाँ अमीर लोग महामारी के सबसे बुरे प्रभाव से बचने में सक्षम थे; वहीं औपचारिक क्षेत्र के कर्मचारियों ने खुद को आइसोलेट करते हुए घर से काम किया, साथ ही कुछ अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों ने अपनी आजीविका खो दी।
  • भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में लॉकडाउन के दौरान 35% की वृद्धि हुई जो कि वर्ष 2009 के बाद पहली बार 90% की वृद्धि के साथ 422.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गई। इससे भारत अरबपतियों की संपत्ति के मामले में अमेरिका, चीन, जर्मनी, रूस और फ्राँस के बाद विश्व में छठी रैंकिंग पर आ गया।

अनौपचारिक क्षेत्र पर प्रभाव

  • भारत के अनौपचारिक क्षेत्र के कार्यबल पर COVID-19 का सबसे बुरा प्रभाव पड़ा, क्योंकि इस क्षेत्र में 122 मिलियन नौकरियों में से लगभग 75% समाप्त हो गईं।
  • अनौपचारिक श्रमिकों के लिये घर से काम करने के अपेक्षाकृत कम अवसर थे। इसी कारण औपचारिक क्षेत्र की तुलना में इस क्षेत्र में अधिक नौकरियाँ समाप्त हो गईं।

शिक्षा पर प्रभाव:

  • पिछले वर्ष जैसे-जैसे शिक्षा को ऑनलाइन किया गया, भारत ने असमानताओं के एक नए विकराल रूप ‘डिजिटल डिवाइड’ (Digital Divide) को देखा।
  • एक तरफ जहाँ निजी प्रदाताओं ने घातीय वृद्धि का अनुभव किया है, वहीं दूसरी तरफ भारती के सबसे गरीब 20% परिवारों में से केवल 3% के पास कंप्यूटर और सिर्फ 9% की इंटरनेट तक पहुँच थी।
  • यह भी देखा गया कि स्कूली शिक्षा के लंबे समय तक बाधित होने के कारण स्कूल ड्रॉपिंग रेट (विशेष रूप से गरीबों के बीच) के दोगुना होने का जोखिम बढ़ गया है।

स्वास्थ्य संबंधी असमानताएँ:

  • ऑक्सफैम ने पाया कि चूँकि भारत सामाजिक-आर्थिक या सामाजिक श्रेणियों में विभक्त डेटा संबंधी मामलों को रिपोर्ट नहीं करता है, इसलिये विभिन्न समुदायों के बीच स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुमान लगाना मुश्किल है।
  • वर्तमान में भारत में COVID-19 के पॉज़िटिव मामलों की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी संचयी संख्या है और विश्व स्तर पर गरीब, वंचित और कमज़ोर वर्गों में COVID-19 की व्यापकता दर अधिक है।
  • बीमारी का प्रसार उन गरीब समुदायों में तेज़ी से हुआ, जो प्रायः गंदगीयुक्त और अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों में रहते थे और आम सुविधाओं जैसे- शौचालय और पानी के स्रोतों का साझा उपयोग करते थे।

स्वास्थ्य सुविधा: 

  • भारत के शीर्ष 20% परिवारों के 93% की तुलना में केवल 20% गरीब परिवारों  में से 6% परिवारों की बेहतर स्वच्छता के गैर-साझा स्रोतों तक पहुँच थी।
  • जाति के संदर्भ में अनुसूचित जातियों के सिर्फ 37.2% परिवारों और अनुसूचित जनजातियों के 25.9% परिवारों की गैर-साझा स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच थी, जबकि सामान्य आबादी के लिये यह 65.7% थी।

लैंगिक असमानता:

  • रोज़गार:
    • महिलाओं में बेरोज़गारी की दर 15% (COVID-19 से पहले) से बढ़कर 18% हो गई है।
    • महिला बेरोज़गारी में वृद्धि के परिणामस्वरूप भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) में लगभग 8% या 218 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है।
    • ‘इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज़ ट्रस्ट’ (Institute of Social Studies Trust) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, जिन महिलाओं ने अपनी नौकरी नहीं गवाई उनको भी अपनी आय में 83% तक कटौती का सामना करना पड़ा।
  • स्वास्थ्य:
    • आय और नौकरी के नुकसान के अलावा गरीब महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य सेवा तथा आँगनवाड़ी केंद्रों से मिलने वाला लाभ भी प्रभावित हुआ।
    • यह अनुमान लगाया गया है कि परिवार नियोजन सेवाओं के बंद होने से 2.95 मिलियन अनपेक्षित गर्भधारण, 1.80 मिलियन गर्भपात (1.04 मिलियन असुरक्षित गर्भपात सहित) और 2,165 मातृ मृत्यु की घटनाएँ हो चुकी हैं।
  • घरेलू हिंसा:
    • महामारी ने महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा को भी बढ़ावा दिया। घरेलू हिंसा के मामलों में नवंबर 2020 तक (पिछले 12 महीनों में) लगभग 60% की वृद्धि हुई।

सुझाव: 

  • नीति निर्माताओं को धनी व्यक्तियों और अमीर कॉरपोरेट्स पर तत्काल कर लगाने की आवश्यकता है तथा उस पैसे का निवेश सभी के लिये मुफ्त गुणवत्ता वाली सार्वजनिक सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा में किया जाए।
  • असमानता के अंतर को कम करना बहुत महत्त्वपूर्ण है लेकिन यह एक मध्यम अवधि का लक्ष्य होना चाहिये। भारत को विकास और वितरण के बीच के अनुक्रमण को  (Sequencing) सही करना होगा।
  • भारत को  सभी लोगों तक सार्वजनिक सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था की समान पहुँच प्रदान करने से पहले विकास की ज़रूरत है। अन्यथा यह कम आय के जाल में फँस सकता है।

ऑक्सफैम इंटरनेशनल

  • ऑक्सफैम इंटरनेशनल का गठन वर्ष 1995 में हुआ था जो स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठनों का एक समूह है।
  • "ऑक्सफैम" नाम ब्रिटेन में वर्ष 1942 में स्थापित ‘अकाल राहत के लिये ऑक्सफोर्ड सहायता समिति’ (Oxford Committee for Famine Relief) से लिया गया है।
    • इस समूह ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ग्रीस में भूख से पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिये भोजन की आपूर्ति हेतु अभियान चलाया।
  • इसका उद्देश्य वैश्विक गरीबी और अन्याय को कम करने के लिये कार्य क्षमता को बढ़ाना है।
  • ऑक्सफैम का अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय नैरोबी (केन्या) में स्थित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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