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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की GDP वृद्धि दर में गिरावट

  • 31 Aug 2019
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

सांख्यिकी मंत्रालय (Ministry of Statistics) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) वृद्धि दर सिर्फ 5 फीसदी रह गई है।

6 वर्षों के निचले स्तर पर है GDP वृद्धि दर

  • वर्तमान वित्त वर्ष (2019-20) की पहली तिमाही की GDP वृद्धि दर विगत 6 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है।
  • इससे पूर्व वित्तीय वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) में GDP वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर पहुँची थी।
  • ज्ञातव्य है कि पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में भारत की GDP 8 फीसदी की दर से वृद्धि कर रही थी।

क्या होती है GDP?

  • किसी अर्थव्यवस्था या देश के लिये सकल घरेलू उत्पाद या GDP एक निर्धारित अवधि में उस देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है। यह अवधि आमतौर पर एक साल की होती है।
  • ज्ञातव्य है कि GDP के मूल्यांकन के लिये कीमतों की आवश्यकता होती है और कीमतों के लिये बाज़ारों की ज़रूरत पड़ती है। अतः GDP केवल उन वस्तुओं और सेवाओं को प्रतिबिंबित करता है जो विपणन योग्य हैं और जिनके बाज़ार हैं। ज़ाहिर है, जिसका बाज़ार नहीं होता, उसे GDP में शामिल नहीं किया जाता। इसको समझने के लिये पर्यावरणीय क्षरण का उदाहरण लेते हैं, जिसके कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है लेकिन पर्यावरणीय क्षरण की गणना बाज़ार मूल्य में नहीं की जा सकती, अतः इसे GDP में शामिल नहीं किया जाता।

लगभग सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन निराशाजनक

  • आँकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र दो साल के सबसे निचले स्तर यानी 0.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा रहा है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में विनिर्माण क्षेत्र 12.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा रहा था।
  • कृषि क्षेत्र में भी काफी सुस्ती देखने को मिल रही है। जहाँ एक ओर पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र की विकास दर 5.1 प्रतिशत थी, वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में यह सिर्फ 2 फीसदी रह गई है।
  • पिछली तिमाही से ही सुस्त पड़ा रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) इस तिमाही में भी कुछ खास वृद्धि नहीं कर पाया है। पिछले वित्तीय वर्ष (2018-19) की पहली तिमाही में जहाँ रियल एस्टेट सेक्टर ने 9.6 फीसदी की दर से वृद्धि की थी, वहीं इस वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में यह घटकर 5.7 फीसदी रह गई है।
  • हालाँकि राष्ट्रीय स्तर पर सुस्ती के बावजूद देश के ऊर्जा सेक्टर (Power Sector) ने विकास दर के मामले में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में इस सेक्टर की विकास दर 8.6 प्रतिशत है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में यह 6.7 प्रतिशत थी।

GDP वृद्धि दर में गिरावट के कारण

  • सांख्यिकी मंत्रालय के आँकड़े दर्शाते हैं कि मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में निजी खर्च की वृद्धि दर मात्र 3.1 फीसदी रही है, जो कि वर्ष 2012 के बाद सबसे कम है। निजी खर्च में कमी को ही वृद्धि दर में गिरावट का मुख्य कारण माना जा रहा है।
  • चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आई वैश्विक सुस्ती को भी भारत की GDP वृद्धि दर में गिरावट का कारण माना जा सकता है।
  • हाल ही में नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने कहा था कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में किये गए ढेरों सुधारों के प्रभावस्वरूप ही भारत की GDP विकास दर में गिरावट देखने को मिल रही है।

कैसे सुधरेगी स्थिति?

  • भारतीय अर्थव्यवस्था ढाँचागत और चक्रीय दोनों वजहों से प्रभावित हो रही है एवं यदि सरकार इसे पुनः पटरी पर लाना चाहती है तो अल्पावधि व दीर्घावधि दोनों प्रकार के उपाय अपनाने की आवश्यकता है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी अर्थव्यवस्था के निजी निवेश में गिरावट का प्रमुख कारण उस अर्थव्यवस्था में मौजूद नकारात्मक धारणाएँ होती हैं, जिसके कारण लोग निवेश करने से डरते हैं और परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की विकास गति धीमी हो जाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ भी यही हुआ है और यदि भारत को विकास दर में वृद्धि करनी है तो अर्थव्यवस्था में मौजूद नकारात्मक धारणाओं को समाप्त करना होगा।
  • इसके अतिरिक्त सरकार ने हाल ही में सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था की गति को तेज़ करने के लिये कई सारे कदम उठाए थे, आशा की जा रही है कि सरकार की इन घोषणाओं का असर जल्द ही भारतीय अर्थव्यवस्था में देखने को मिलेगा। साथ ही सरकार ने FDI से संबंधित मापदंडों को विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से संशोधित किया है, ताकि विदेशी निवेश में बढ़ोतरी की जा सके।

निष्कर्ष

चूँकि भारतीय अर्थव्यवस्था मांग आधारित है और हालिया आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत के उपभोग में काफी कमी आई है, सदाबहार माना जाने वाला FMCG (Fast-Moving Consumer Goods) सेक्टर भी सुस्ती से प्रभावित है, देश की सबसे बड़ी FMCG कंपनी हिंदुस्तान यूनीलीवर के उत्पादन में कुल 7 प्रतिशत की गिरावट आई है। यदि अर्थव्यवस्था इसी गति से आगे बढ़ेगी तो यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि वर्ष 2024 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनने का उद्देश्य कैसे पूरा करेगा? सरकार द्वारा इस खराब आर्थिक स्थिति से निपटने के लिये कई प्रयास किये गए हैं जो सराहनीय हैं, परंतु अभी भी कई क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन इस बात की ओर संकेत करता है कि सरकार को अर्थव्यवस्था के संदर्भ में गंभीरता से विचार करना चाहिये और इसकी गति को तीव्र करने हेतु नए विचारों की खोज करनी चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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