दसवाँ अप्रसार संधि समीक्षा सम्मेलन | 10 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), नो-फर्स्ट-यूज़ पॉलिसी, परमाणु हथियार, व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT), परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि (TPNW), परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह, मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था, बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ हेग आचार संहिता, वासेनार व्यवस्था। मेन्स के लिये:अप्रसार संधि के रास्ते में चुनौतियाँ, NPT पर रूस की असहमति, NPT पर भारत का रुख। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में न्यूयॉर्क में आयोजित अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty-NPT) समीक्षा सम्मेलन रूस की आपत्ति के कारण बिना किसी मज़बूत परिणाम के समाप्त हो गया।
परमाणु अप्रसार संधि (NPT):
- परिचय:
- NPT एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों और हथियार प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना तथा निरस्त्रीकरण के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है।
- इस संधि पर वर्ष 1968 में हस्ताक्षर किये गए और यह 1970 में लागू हुई। वर्तमान में इसके 190 सदस्य देशों में लागू है।
- भारत इसका सदस्य नहीं है।
- इसके लिये देशों को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग तक पहुँच के बदले में परमाणु हथियार बनाने की किसी भी वर्तमान या भविष्य की योजना को त्यागने की आवश्यकता होती है।
- यह परमाणु-हथियार वाले राज्यों द्वारा निरस्त्रीकरण के लक्ष्य हेतु एक बहुपक्षीय संधि में एकमात्र बाध्यकारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्त्व करती है।
- NPT के तहत ‘परमाणु-हथियार वाले पक्षों’ को 01 जनवरी, 1967 से पहले परमाणु हथियार या अन्य परमाणु विस्फोटक उपकरणों का निर्माण एवं विस्फोट करने वाले देशों के रूप में परिभाषित किया गया है।
- भारत का पक्ष
- भारत उन पाँच देशों में से एक है जिन्होंने या तो NPT पर हस्ताक्षर नहीं किये या हस्ताक्षर किये किंतु बाद में अपनी सहमति वापस ले ली, इस सूची में पाकिस्तान, इज़रायल, उत्तर कोरिया और दक्षिण सूडान शामिल हैं।
- भारत ने हमेशा NPT को भेदभावपूर्ण माना और इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।
- भारत ने अप्रसार के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय संधियों का विरोध किया है, क्योंकि वे चुनिंदा रूप से गैर-परमाणु शक्तियों पर लागू होती हैं और पाँच परमाणु हथियार सम्पन्न शक्तियों के एकाधिकार को वैध बनाती हैं।
रूस की असहमति से उत्पन्न चिंताएँ:
- दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन में ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Zaporizhzhia nuclear power plant) पर नियंत्रण के साथ-साथ चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र का अधिग्रहण (वर्ष 1986 ) दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु आपदा के दृश्य, एक और परमाणु आपातकाल की वैश्विक आशंकाओं को जन्म देता है।
- शीत युद्ध के दौर और बिगड़ते अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण के बाद से आज परमाणु हथियारों के उपयोग का खतरा किसी भी समय की तुलना में अधिक है।
- यह NPT सम्मेलन परमाणु हथियारों की दौड़ और परमाणु हथियारों के उपयोग के बढ़ते खतरों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये मानदंड और समय-सीमा के साथ एक विशिष्ट कार्य योजना पर सहमत होकर संधि एवं वैश्विक सुरक्षा को मज़बूत करने के एक अवसर का प्रतिनिधित्व करता है।
परमाणु हथियार से संबंधित अन्य संधियाँ और समझौते:
- वायुमंडल में, बाहरी अंतरिक्ष में और पानी के नीचे परमाणु हथियार परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि, जिसे आंशिक परीक्षण प्रतिबंध संधि (PTBT) के रूप में भी जाना जाता है।
- व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty-CTBT): भारत ने CTBT पर हस्ताक्षर नहीं किया है क्योंकि भारत परमाणु हथियार राष्ट्रों के समयबद्ध निरस्त्रीकरण प्रतिबद्धता का एक मज़बूत समर्थक है।
- परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि (Treaty on the Prohibition of Nuclear Weapons-TPNW): यह 22 जनवरी, 2021 को लागू हुई और भारत इस संधि का सदस्य नहीं है।
- परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (Nuclear Suppliers Group-NSG): भारत NSG का सदस्य नहीं है।
- मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था
- बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के विरुद्ध हेग आचार संहिता
- वासेनार व्यवस्था
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ तथा ‘वासेनार व्यवस्था’ के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच क्या अंतर है? (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
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