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भारतीय अर्थव्यवस्था

समायोजित सकल राजस्व (AGR) चुकाने हेतु 10 वर्ष का समय

  • 02 Sep 2020
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

समायोजित सकल राजस्व, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क  

मेन्स के लिये:

समायोजित सकल राजस्व विवाद, दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ और मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उच्चतम न्यायलय ने दूरसंचार कंपनियों को अपने बकाया ‘समायोजित सकल राजस्व’ (Adjusted Gross Revenue- AGR) को चुकाने के लिये 10 वर्ष का समय देने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय COVID-19 के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए लिया है।
  • गौरतलब है कि मार्च 2020 में केंद्र सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को AGR के बकाया भुगतान हेतु 20 वर्ष का समय देने का सुझाव दिया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार, दूरसंचार कंपनियों को अपने कुल बकाया AGR की 10% राशि 31 मार्च 2021 तक जमा करनी होगी।
  • इसके बाद दूरसंचार कंपनियाँ बची हुई राशि वर्ष 2021 से वर्ष 2031 के बीच कर वार्षिक (प्रतिवर्ष 31 मार्च को) रूप से कर सकेंगी।
    • गौरतलब है कि वर्तमान में देश में दूरसंचार क्षेत्र की अलग-अलग कंपनियों का बकाया AGR लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है। 
  • किसी भी वर्ष में देय राशि के भुगतान में देरी या चूक होने पर संबंधित कंपनी पर जुर्माने के साथ यह न्यायालय के आदेश की अवमानना के तहत दंडनीय भी होगा। 
  • अगले 10 वर्षों के दौरान दूरसंचार कंपनियों और दूर-संचार विभाग को प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को न्यायालय के आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट देनी होगी।     
  • इस मामले में दूरसंचार कंपनियों (जिनका AGR बकाया है) के प्रबंध निदेशकों को चार सप्ताह के अंदर एक व्यक्तिगत गारंटी देनी होगी।
  • इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायलय ने ‘दिवाला और दिवालियापन संहिता’ (Insolvency and Bankruptcy Code- IBC) के तहत स्पेक्ट्रम की बिक्री के संदर्भ में ‘राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण’ (National Company Law Appellate Tribunal-NCLAT) को अगले दो माह के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।  

पृष्ठभूमि:

  • गौरतलब है कि ‘राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 1994’ के तहत देश में दूरसंचार क्षेत्र के उदारीकरण के पश्चात एक निश्चित शुल्क के भुगतान के आधार पर दूरसंचार कंपनियों को लाइसेंस जारी किये गए।
  • हालाँकि वर्ष 1999 में सरकार ने एकमुश्त शुल्क के दबाव से बचने के लिये कंपनियों को राजस्व साझा करने का विकल्प उपलब्ध कराया।
  • इसके तहत कंपनियों को वार्षिक लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में अपने समायोजित सकल राजस्व (AGR) का एक हिस्सा सरकार के साथ साझा करना था।   
  • दूरसंचार कंपनियों के सकल राजस्व की गणना दूरसंचार विभाग और दूरसंचार कंपनियों के बीच हुए लाइसेंस समझौते के आधार पर की जाती है, इसके साथ ही लाइसेंस समझौते के प्रावधानों के अनुरूप कुछ कटौतियों के पश्चात AGR की गणना की जाती है।
  • इसके आधार पर लाइसेंस शुल्क (License Fee- LF) और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (Spectrum Usage Charges- SUC) को क्रमशः कंपनी के AGR का 8% (LF )और 3-5% (SUC) निर्धारित किया गया था।

AGR विवाद:  

  • दूर-संचार विभाग के अनुसार, AGR की गणना में दूर संचार कंपनियों द्वारा सभी स्रोतों से प्राप्त राजस्व को शामिल किया जाना चाहिये, जिनमें गैर-दूरसंचार संबंधी स्रोतों से प्राप्त राजस्व जैसे- कंपनी द्वारा जमा राशि पर प्राप्त ब्याज या संपत्ति की बिक्री से प्राप्त धन आदि शामिल हैं।
  • वर्ष 2005 में सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cellular Operators Association of India-COAI)  ने सरकार द्वारा दी गई AGR की इस परिभाषा को चुनौती दी।
  • वर्ष 2015 में ‘दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील प्राधिकरण’ (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal- TDSAT) ने दूरसंचार कंपनियों के पक्ष में अपना फैसला सुनाया और कहा कि पूंजीगत प्राप्तियों तथा गैर-प्रमुख स्रोतों से प्राप्त राजस्व जैसे- किराया, अचल संपत्तियों की बिक्री पर लाभ, लाभांश, ब्याज आदि को AGR से बाहर रखा जाएगा।
  • 24 अक्तूबर, 2019 को उच्चतम न्यायालय ने AGR के संदर्भ में दूरसंचार विभाग द्वारा दी गई परिभाषा का समर्थन करते हुए सभी कंपनियों को कुल बकाया AGR, बकाया राशि पर जुर्माना और विलंब के लिये जुर्माने पर ब्याज भी जमा करने का आदेश दिया।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को यह राशि जमा करने के लिये तीन माह का समय दिया था।

निर्णय का प्रभाव:  

  • सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय वर्तमान में वित्तीय चुनौतियों से जूझ रही कई दूरसंचार कंपनियों के लिये एक बड़ी राहत होगी।
  • इस निर्णय के पश्चात दूर-संचार क्षेत्र के बड़े विवाद के समाधान के साथ ही सरकार को भी बकाया धन प्राप्त हो सकेगा। 
  • उदाहरण के लिये भारती एयरटेल के कुल 36,000 करोड़ रुपए के AGR में से 21,000 करोड़ रुपए बकाया हैं, अतः उच्चतम न्यायालय के हालिया निर्णय के तहत कंपनी को 31 मार्च तक लगभग 2,160 करोड़ रुपए के बाद प्रतिवर्ष लगभग 19,440 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।
  • हालाँकि वोडाफोन-आइडिया के लिये अभी भी लगभग 58,000 करोड़ के AGR का भुगतान एक बड़ी चुनौती होगा, क्योंकि अब तक कंपनी द्वारा अपने कुल बकाया AGR में से मात्र 7850 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
  • बकाया राशि की भुगतान अवधि को 10 वर्ष तक बढ़ाए जाने से कंपनियों को 5G जैसी नवीन तकनीकों में निवेश के लिये धन जुटाने में आसानी होगी।

चुनौतियाँ:  

  • वोडाफोन जैसी कुछ दूर-संचार कंपनियों के अनुसार, वे वर्तमान में बकाया AGR के भुगतान पर नई बैंक गारंटी देने की स्थिति में नहीं हैं।
  • गौरतलब है कि वोडाफोन और आइडिया ने इससे पहले बकाया AGR के भुगतान हेतु 15 वर्ष की अवधि दिये जाने की मांग की थी।
  • दूरसंचार कंपनियों पर बढ़ते आर्थिक दबाव के कारण भविष्य में फोन और इंटरनेट रिचार्ज की दरों में वृद्धि हो सकती है।

आगे की राह:

  • वर्तमान समय में देश के विकास में फोन और इंटरनेट की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो गई है, इसके साथ ही आने वाले दिनों में देश में 5G की शुरुआत के दौरान स्थानीय कंपनियों का मज़बूत होना अत्यधिक आवश्यक है। 
  • दूरसंचार क्षेत्र में कई कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्द्धा से सरकार को आर्थिक लाभ के साथ लोगों को भी कम कीमत पर नवीन तकनीकों का लाभ मिल सकेगा। 
  • वर्तमान में दूरसंचार कंपनियों के आर्थिक दबाव को देखते हुए सरकार को जुर्माने की राशि में कटौती पर विचार करना चाहिये। 

दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील प्राधिकरण

(Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal- TDSAT):

  • दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 2000 में ‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997’ में संशोधन के माध्यम से की गई थी।
  • TDSAT की स्थापना का उद्देश्य दूरसंचार क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं की हितों की रक्षा हेतु अपीलों और विवादों के निपटारों के साथ दूरसंचार क्षेत्र के क्रमिक विकास को सुनिश्चित करना था।

संरचना: 

  • TDSAT में एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • TDSAT का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश या उच्च नयायालय का मुख्य नयायाधीश (सेवारत अथवा सेवानिवृत्त) होना चाहिये। 

कार्य:  

  • TDSAT ‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997’ (संशोधित), ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008’ और भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008  के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करता है। 
  • TDSAT के अधिकार क्षेत्र में दूरसंचार, प्रसारण, सूचना प्रौद्योगिकी और एयरपोर्ट टैरिफ से जुड़े मामले आते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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