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शासन व्यवस्था

कोयला आधारित हाइड्रोजन उत्पादन हेतु टास्क फोर्स

  • 14 Sep 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्लैक हाइड्रोजन, कोयला गैसीकरण मिशन, नीति आयोग, प्राकृतिक गैस, सीसीयूएस

मेन्स के लिये:

कोयला आधारित हाइड्रोजन उत्पादन के लाभ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने कोयला आधारित हाइड्रोजन उत्पादन (ब्लैक हाइड्रोजन) हेतु रोडमैप तैयार करने के लिये एक टास्क फोर्स और विशेषज्ञ समिति का गठन किया।

यह टास्क फोर्स ‘कोयला गैसीकरण मिशन’ और ‘नीति आयोग’ के साथ समन्वय के लिये भी उत्तरदायी है।

प्रमुख बिंदु

  • कोयला आधारित हाइड्रोजन उत्पादन:
    • परिचय:
      • कोयला (हाइड्रोकार्बन ईंधन में से एक) इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से प्राकृतिक गैस और नवीकरणीय ऊर्जा के अलावा हाइड्रोजन बनाने के महत्त्वपूर्ण स्रोतों में से एक है।
      • हालाँकि कोयले के माध्यम से हाइड्रोजन निकालने के दौरान कार्बन उत्सर्जन के डर के कारण हाइड्रोजन उत्पादन में कोयले को प्रोत्साहित नहीं किया गया है।
        • भारत में लगभग 100% हाइड्रोजन उत्पादन प्राकृतिक गैस (ग्रे हाइड्रोजन) के माध्यम से होता है।
    • लाभ:
      • कोयले से उत्पादित हाइड्रोजन की लागत सस्ती और आयात के प्रति कम संवेदनशील हो सकती है।
    • चुनौतियाँ:
      • कोयले से हाइड्रोजन के उत्पादन में उच्च उत्सर्जन के संदर्भ में चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी और सीसीयूएस (कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण) एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
        • कोयले से हाइड्रोजन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड को पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ तरीके (CCS एवं CCUS) से संग्रहीत किया जाना।
  • हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था:
    • यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो वाणिज्यिक ईंधन के रूप में हाइड्रोजन पर निर्भर करती है और देश की ऊर्जा सेवाओं में बड़ा योगदान करेगी।
    • हाइड्रोजन एक शून्य-कार्बन ईंधन है और इसे ईंधन का विकल्प व स्वच्छ ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत माना जाता है। इसका उत्पादन सौर और पवन जैसे ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से किया जा सकता है।
    • यह भविष्य के ईधन के रूप में परिकल्पित है जहांँ हाइड्रोजन का उपयोग वाहनों, ऊर्जा भंडारण और लंबी दूरी के परिवहन के लिये ईंधन के रूप में किया जाता है। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का उपयोग करने के विभिन्न मार्गों में हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग शामिल हैं।
    • वर्ष 1970 में जॉन बोक्रिस (John Bockris) द्वारा 'हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था' शब्द का प्रयोग किया गया था। उन्होंने उल्लेख किया कि एक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था वर्तमान हाइड्रोकार्बन आधारित अर्थव्यवस्था का स्थान ले सकती है, जिससे एक स्वच्छ वातावरण निर्मित हो सकता है।

  • वर्तमान परिदृश्य:
    • हाइड्रोजन की वर्तमान वैश्विक मांग 70 मिलियन मीट्रिक टन है, जिसमें से अधिकांश का उत्पादन जीवाश्म ईंधन से किया जा रहा है, इसमें 76% प्राकृतिक गैस से , 23% कोयले से तथा शेष जल की इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के माध्यम से हाइड्रोजन का उत्पादन होता है।
    • इसके परिणामस्वरूप लगभग 830 मीट्रिक टन/वर्ष CO2 का उत्सर्जन होता है, जिसमें से केवल 130 मीट्रिक टन/वर्ष को ही कैप्चर कर उर्वरक उद्योग में उपयोग किया जा रहा है।
    • वर्तमान में उत्पादित अधिकांश हाइड्रोजन का उपयोग तेल शोधन (33%), अमोनिया (27%), मेथनॉल उत्पादन (11%), इस्पात उत्पादन (3%) और अन्य के लिये किया जाता है।
  • संबंधित पहलें:

स्रोत: पी.आई.बी.

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