भारतीय अर्थव्यवस्था
अधिशेष तरलता
- 08 Jun 2023
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प्रिलिम्स के लिये:रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, मौद्रिक नीति समिति, मुद्रास्फीति से संबंधित अवधारणाएँ मेन्स के लिये:बढ़ी हुई तरलता का प्रभाव, बाज़ार में तरलता में वृद्धि करने वाले कारक |
चर्चा में क्यों?
भारत में बैंकिंग प्रणाली में शुद्ध तरलता 4 जून, 2023 को बढ़कर 2.59 लाख करोड़ रुपए हो गई। हालाँकि बैंकिंग प्रणाली में अधिशेष तरलता कुछ दिनों में वर्तमान के 2.1 लाख करोड़ रुपए से घटकर लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है।
- बैंकिंग प्रणाली में शुद्ध तरलता को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा प्रणाली से अवशोषित धन की राशि द्वारा दर्शाया जाता है।
अधिशेष तरलता:
- परिचय:
- अधिशेष तरलता तब होती है जब बैंकिंग प्रणाली में नकदी प्रवाह लगातार केंद्रीय बैंक द्वारा बाज़ार से तरलता की निकासी से अधिक होता है।
- बैंकिंग प्रणाली में तरलता तत्काल उपलब्ध नकदी को संदर्भित करती है जिसे बैंकों को अल्पकालिक व्यापार और वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने की आवश्यकता होती है।
- अधिशेष तरलता तब होती है जब बैंकिंग प्रणाली में नकदी प्रवाह लगातार केंद्रीय बैंक द्वारा बाज़ार से तरलता की निकासी से अधिक होता है।
- बढ़ती तरलता के कारण:
- अग्रिम कर और वस्तु एवं सेवा कर (GST) भुगतान
- जारी किये गए 2,000 रुपए के नोटों को जमा करना
- सरकारी बॉण्ड का मोचन
- उच्च सरकारी खर्च
- रुपए को मूल्यह्रास से बचाने हेतु RBI द्वारा डॉलर की बिक्री
- बढ़ती तरलता का प्रभाव:
- इससे महँगाई का स्तर बढ़ सकता है।
- बाज़ार में ब्याज दरें कम रहेंगी।
- रुपए का अवमूल्यन होगा।
- RBI के उपाय:
- यदि तरलता का स्तर अपनी सीमा से विचलित होता है तो RBI कार्यवाही करता है।
- RBI अपनी तरलता समायोजन सुविधा के तहत रेपो के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली में तरलता को बढ़ाता है और तरलता की स्थिति का आकलन करने के बाद रिवर्स रेपो का उपयोग कर इसे वापस लेता है।
- RBI 14-दिवसीय परिवर्तनीय दर रेपो और/या रिवर्स रेपो ऑपरेशन का भी उपयोग करता है।
मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने हेतु RBI द्वारा उपयोग किये जाने वाले उपकरण:
मात्रात्मक उपकरण |
आधार |
गुणात्मक उपकरण |
ये मौद्रिक नीति के उपकरण हैं जो अर्थव्यवस्था में धन/ऋण की समग्र आपूर्ति को प्रभावित करते हैं। |
अर्थ |
इन उपकरणों का उपयोग क्रेडिट की दिशा को विनियमित करने के लिये किया जाता है। |
नियंत्रण के पारंपरिक तरीके |
वैकल्पिक नाम |
नियंत्रण के चयनात्मक तरीके |
1. बैंक दर |
उपकरण |
1. सीमांत आवश्यकता |
मौद्रिक नीति की लिखतें |
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रेपो दर |
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रिवर्स रेपो दर |
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तरलता समायोजन सुविधा |
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सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) |
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कॉरिडोर |
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बैंक दर |
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नकद आरक्षित अनुपात (CRR) |
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सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR) |
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खुला बाज़ार परिचालन (OMO) |
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बाज़ार स्थिरीकरण योजना (MSS) |
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से किससे किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा गुणक में वृद्धि होती है? (2021) (a) बैंकों में आरक्षित नकदी निधि अनुपात में वृद्धि उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। प्रश्न: क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद की स्थायी संवृद्धि और निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2019) |