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भूगोल

बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में मानव बस्तियों में वृद्धि

  • 13 Oct 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बाढ़ क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन, विश्व बैंक की रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में मानव बस्तियों में वृद्धि के कारक, बाढ़ प्रबंधन

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

विश्व बैंक द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, विश्व भर के कुछ सबसे जोखिम वाले बाढ़ क्षेत्रों में मानव बस्तियों में वर्ष 1985 के बाद से 122% की वृद्धि देखी गई है, जिससे लाखों लोगों का जीवन जलवायु परिवर्तन के कारण घटित होने वाली बाढ़ जैसी आपदाओं की वजह से अधिक जोखिमपूर्ण हो गया है। मानव बस्तियों की यह वृद्धि मुख्य रूप से मध्यम और निम्न आय वाले देशों में देखी गई है।

  • दूसरी ओर, सबसे सुरक्षित क्षेत्रों की मानव बस्तियों में 80% की वृद्धि देखी गई।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु:

  • बस्तियों के विस्तार का वैश्विक परिदृश्य: 
    • अधिकांश देशों, विशेष रूप से पूर्वी एशिया में शुष्क क्षेत्रों की तुलना में नियमित बाढ़ वाले क्षेत्रों और बाढ़ की सर्वाधिक संभावना वाले क्षेत्रों में बस्तियों में अधिक वृद्धि देखी गई।
    • लीबिया, जहाँ सितंबर 2023 में विनाशकारी बाढ़ आई थी, बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में बस्तियों में 83% की वृद्धि देखी गई।
    • वर्ष 2022 और वर्ष 2023 दोनों में पाकिस्तान में बाढ़ के विनाशकारी परिणाम देखे गए, यहाँ बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बस्तियों में 89% की वृद्धि देखी गई।
  • अपवाद वाले उल्लेखनीय क्षेत्र: 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका में ड्राई सेटलमेंट्स (आर्द्रभूमि, दलदली अथवा बाढ़ के मैदानों वाले क्षेत्र में बाढ़ मुक्त भूमि का एक क्षेत्र) में 76% की वृद्धि हुई, जबकि बाढ़ के सर्वाधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में बस्तियों में केवल 46% की वृद्धि देखी गई।
    • अति आर्द्र क्षेत्रों की तुलना में अधिक ड्राई सेटलमेंट्स वाले अन्य देशों में भारत, फ्राँस, स्वीडन, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, जापान और कनाडा शामिल हैं।

बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में मानव बस्तियों में वृद्धि का कारण:

  • ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर प्रवासन: देश में आर्थिक विकास के साथ-साथ जलमार्गों के निकट शहरीकरण में वृद्धि होना स्वाभाविक है। शहर में जनसंख्या वृद्धि के साथ ही बस्तियों का अक्सर बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में विस्तार होता जाता है।
    • उदाहरण के लिये: तंज़ानिया का दार एस सलाम इस समस्या का सबसे अच्छा उदाहरण है, जहाँ मत्स्य पालन से जुड़े एक गाँव की जनसंख्या सात मिलियन से अधिक तक पहुँच गई है।
  • आर्थिक कारक: निम्न आय वाली आबादी के लिये सुरक्षित और बाढ़ के कम जोखिम वाले क्षेत्रों में बसना मुश्किल होता है। घर-परिवार के जीवन यापन के लिये सीमित आर्थिक संसाधनों के कारण उन्हें बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में रहने के लिये मजबूर होना पड़ सकता है।
  • नियामक प्रवर्तन का अभाव: कुछ देशों में भूमि-उपयोग योजना और ज़ोनिंग/क्षेत्रीकरण नियमों के प्रभावी ढंग से लागू न होने के परिणामस्वरूप पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में बस्तियों का विस्तार हो सकता है।
  • सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध: कुछ समुदायों का बाढ़-प्रवण क्षेत्रों से गहरा सांस्कृतिक अथवा ऐतिहासिक संबंध रहा है और बाढ़ के जोखिमों के बावजूद वे इन क्षेत्रों में रहना या बसना पसंद करते हैं।
  • पर्यटन और मनोरंजन: तटीय एवं नदी तटीय क्षेत्र, बाढ़ प्रवण होने के बावजूद पर्यटकों और मनोरंजन प्रेमियों को आकर्षित करते हैं।
    • ऐसे में रिसॉर्ट्स, होटल और वेकेशन होम्स की मांग इन क्षेत्रों में बस्तियों में वृद्धि का कारण हो सकती है।

नोट: 

  • बाढ़ क्षेत्रों में बस्तियों के विस्तार से जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम नहीं होता है। दोनों मुद्दे आपस में संबद्ध हैं, जिससे जोखिम और संवेदनशीलता बढ़ती जा रही हैं। लोगों को दीर्घकालिक जलवायु जोखिमों के बदले आश्रय एवं आजीविका की तत्काल ज़रूरतों को प्राथमिकता देनी चाहिये।
  • इससे ऐसे निर्णय लिये जा सकते हैं जो अल्पकालिक निर्वहन पर अधिक केंद्रित हों।

आगे की राह

  • भूमि उपयोग हेतु सख्त नीतियाँ: कठोर भूमि उपयोग के सख्त नियमों को लागू किया जाना चाहिये जो उच्च जोखिम वाले बाढ़ क्षेत्रों में नए निर्माण कार्यों पर रोक लगाते हैं या उन्हें प्रतिबंधित करते हैं।
    • बाढ़-प्रवण क्षेत्रों को 'नो-बिल्ड' ज़ोन के रूप में नामित कर इन प्रतिबंधों को लगातार लागू किया जाना चाहिये।
  • बुनियादी ढाँचे में निवेश: बेहतर बाढ़ सुरक्षा, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और बाढ़ क्षेत्र मानचित्रण सहित समुत्थानशील बुनियादी ढाँचे में निवेश करने की आवश्यकता है।
    • मौजूदा बस्तियों में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिये जल निकासी प्रणालियों में सुधार कियी जाने की आवश्यकता है।
  • सरकारी समर्थन और पुनर्वास सहायता: सरकार बाढ़ क्षेत्र के निवासियों को बाढ़-प्रवण क्षेत्रों से सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश कर सकती है।
    • साथ ही सरकार को बाढ़ की घटनाओं के दौरान जान-माल के नुकसान को कम करने के लिये बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में आपातकालीन अनुक्रिया और तैयारियों के उपायों को सुनिश्चित और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
  • सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा: नागरिकों को बाढ़-प्रवण क्षेत्रों से जुड़े जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के लिये सार्वजनिक जागरूकता अभियान शुरू करने की आवश्यकता है।
    • बाढ़ से बचाव हेतु तैयारियों और ऐसे क्षेत्रों में रहने से बचने के महत्त्व पर समुदाय-आधारित शिक्षा कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स 

प्रश्न. कई वर्षों से उच्च तीव्रता की वर्षा के कारण शहरों में बाढ़ की बारंबारता बढ़ रही है। शहरी क्षेत्रों में बाढ़ के कारणों पर चर्चा करते हुए  इस प्रकार की घटनाओं के दौरान जोखिम कम करने के लियेये तैयारियों की क्रियाविधि पर प्रकाश डालिये। (2016)

प्रश्न. भारत में दशलक्षीय नगरों जिनमें हैदराबाद एवं पुणे जैसे स्मार्ट सिटीज़ भी सम्मिलित हैं, में व्यापक बाढ़ के कारण बताइये। स्थायी निराकरण के उपाय भी सुझाइए। (2020)

प्रश्न. भारत के प्रमुख नगर बाढ़ दशाओं से अधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं। विवेचना कीजिये। (2016)

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