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भारतीय अर्थव्यवस्था

विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग

  • 25 Jan 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक का विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग

मेन्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग का निर्माण करने का कारण

चर्चा मे क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने अपने ‘विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग’ (Specialised Supervisory and Regulatory Cadre-SSRC) में नियुक्ति संबंधी कुछ दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

मुख्य बिंदु:

  • RBI ने विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग के 35% पदों को खुली भर्ती के माध्यम से भरने का निर्णय लिया है, जबकि शेष 65% पद आंतरिक पदोन्नति के माध्यम से भरे जाएंगे।
  • RBI के केंद्रीय बोर्ड ने 21 मई 2019 को एक बैठक के दौरान वाणिज्यिक, शहरी सहकारी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के पर्यवेक्षण एवं विनियमन को मज़बूती प्रदान करने के लिये RBI के अंतर्गत एक विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग बनाने का निर्णय लिया था।

पृष्ठभूमि:

  • 1 नवंबर, 2019 को RBI ने अपने विनियमन और पर्यवेक्षण विभागों के पुनर्गठन का निर्णय लिया था।
  • इसके माध्यम से बैंकिंग, गैर-बैंकिंग और सहकारी बैंक के नियामक विभागों का आपस में विलय कर दिया गया।
  • इसके परिणामस्वरूप SRCC केवल एक पर्यवेक्षी विभाग है जो बैंकों, NBFC और सहकारी बैंकों की देखरेख करता है तथा इन तीनों के लिये विनियामक का कार्य करता है।
  • क्या हैं RBI के वर्तमान दिशा-निर्देश?
  • RBI द्वारा जारी एक आंतरिक परिपत्र के अनुसार,  SSRC में सीधी भर्ती ग्रेड-B स्तर पर की जाएगी।
  • RBI द्वारा जारी इस परिपत्र के अनुसार, SSRC में ग्रेड-B के तहत कार्यकारी निदेशक स्तर तक के अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, अनुसंधान, डेटा विश्लेषण, मॉडल विकास, तनाव परीक्षण और विशेषज्ञ समूहों में रिक्ति को पूर्ण करने के लिये इस संवर्ग का सहारा लिया जाएगा।

SSRC के निर्माण का उद्देश्य:

  • SSRC का निर्माण संस्थाओं के पर्यवेक्षण और विनियमन हेतु एक समग्र दृष्टिकोण बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है। 
  • इसका एक अन्य उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती जटिलता, इनका आकार और अंतर-संबद्धता को बढ़ाने के साथ-साथ संभावित प्रणालीगत जोखिम से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिये किया गया है।
  • बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non Banking Financial Companies-NBFCs) जैसी विनियमित संस्थाओं में बढ़ती जटिलता को देखते हुए RBI द्वारा एक विशेष पर्यवेक्षी और नियामक कैडर बनाने का निर्णय लिया जाना उचित है।

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स्रोत- द हिंदू

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