लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सुपरसोनिक वाणिज्यिक विमान

  • 10 Jun 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

सुपरसोनिक विमान, ओवरचर विमान, नेट-ज़ीरो कार्बन एमिशन

मेन्स के लिये

वाणिज्यिक क्षेत्र में सुपरसोनिक विमान की आवश्यकता और इसकी चिंताएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूएस एयरलाइन युनाइटेड ने वर्ष 2029 में 15 नए सुपरसोनिक एयरलाइनर खरीदने और "विमानन के लिये सुपरसोनिक गति" योजना की घोषणा की है।

  • यह एयरलाइन बूम सुपरसोनिक (Boom Supersonic- एक डेनवर-आधारित स्टार्ट-अप) से ओवरचर विमान (Overture Aircraft) खरीदने के लिये सहमत हो गई है। ये विमान ध्वनि की गति से 1.7 मैक अधिक गति से उड़ान भरने में सक्षम हैं।
  • नया सुपरसोनिक "ओवरचर" विमान विश्व का सबसे तेज़ वाणिज्यिक एयरलाइनर बन जाएगा, जो आज के विमानों के यात्रा समय को लगभग आधा कर देगा।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि:

  • कॉनकॉर्ड (Concorde- ब्रिटिश-फ्राँसीसी टर्बोजेट-संचालित वाणिज्यिक एयरलाइनर) यात्रियों को सुपरसोनिक गति से ले जाने वाला पहला विमान था। सुपरसोनिक विमान (Supersonic Plane) वर्ष 1976 से वर्ष 2003 तक यात्री सेवा में लगे हुए थे।
  • लेकिन इन्हें लागत और अन्य चिंताओं के कारण अंततः बंद करना पड़ा।

सुपरसोनिक विमान:

  • सुपरसोनिक विमान ऐसे विमान हैं जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ान भर सकते हैं।
    • आमतौर पर सुपरसोनिक विमान लगभग 900 किमी. प्रति घंटे की गति से उड़ान भर सकते हैं, जो सामान्य विमान की गति से दोगुना है।
  • सुपरसोनिक उड़ानों की तकनीक वास्तव में 70 वर्ष से भी अधिक पुरानी है, लेकिन हाल ही में इसका उपयोग वाणिज्यिक उड़ान के लिये किया गया है।
    • वर्ष 1976 से पहले वाणिज्यिक सुपरसोनिक विमानों का उपयोग पूरी तरह से सैन्य उद्देश्यों के लिये किया जाता था।

बूम का ओवरचर सुपरसोनिक विमान:

  • ओवरचर एयरक्राफ्ट 4,250 नॉटिकल मील की रेंज के साथ 1.7 मैक या 1,805 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से उड़न भरेगा।
  • यह अपनी प्रत्येक उड़ान में 65 से 88 यात्रियों को ले जा सकता है और 60,000 फीट की ऊँचाई तक उड़ सकता है।
  • परीक्षण उड़ानें वर्ष 2026 में शुरू होने वाली हैं, जिसका व्यावसायिक उपयोग तीन वर्ष बाद होगा।
  • इसका तेज़, अधिक कुशल और टिकाऊ प्रौद्योगिकी के माध्यम से कॉनकॉर्ड के आधार पर निर्माण होगा।
  • कंपनी ने विमान का उत्पादन "नेट-ज़ीरो कार्बन एमिशन" (Net-Zero Carbon Emission) के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल होने का दावा किया है, जो 100% धारणीय विमानन ईंधन (Sustainable Aviation Fuel- SAF) के साथ उड़ान भरने के लिये तैयार है।
    • धारणीय विमानन ईंधन में जैव ईंधन और सिंथेटिक केरोसिन शामिल हैं जो अक्षय तथा टिकाऊ सामग्री का उपयोग करके निर्मित होते हैं।
  • इसका उद्देश्य "जीरो ओवरलैंड नॉइज़" (Zero Overland Noise) है।
    • इसका मतलब है कि यह केवल पानी के ऊपर सुपरसोनिक गति से यात्रा करेगा, साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी ध्वनि या अत्यधिक शोर उन स्थानों तक न पहुँचे जहाँ लोग रहते हैं।
    • यह उन्नत वायुगतिकी और कार्बन मिश्रित सामग्री से लैस होगा।
    • यह विकास और रखरखाव लागत को कम करने में सक्षम होगा जो कि कॉनकॉर्ड विमान नहीं कर सके।

सुपरसोनिक विमानों के साथ चुनौतियाँ:

  • उच्च विनिर्माण लागत: "धारणीय" सुपरसोनिक विमान बनाने की लागत बहुत अधिक है।
  • पर्यावरणीय लागत: इन विमानों द्वारा अत्यधिक मात्रा में ईंधन और ऊर्जा का उपयोग किये जाने के कारण पर्यावरणीय नुकसान होने की संभावना है।
    • धारणीय ईंधन के उपयोग के बावजूद इस विमान का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन शून्य नहीं है।
    • यह विमान उड़ान भरने के लिये बहुत अधिक मात्रा में ईंधन की खपत करता है, वह भी ऐसे बाज़ार में जहाँ धारणीय ईंधन आसानी से उपलब्ध नहीं है।
  • अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण: इन विमानों की गति से वातावरण में अत्यधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न होता है।
    • इन विमानों द्वारा बनाया गया "सोनिक बूम" मानव कान के लिये एक विस्फोट जैसा है।
    • इस प्रकार यह सीमित करता है कि सुपरसोनिक विमान कहाँ और कब उड़ सकते हैं। ये केवल तब अपनी वास्तविक गति तक पहुँच सकते हैं जब वे लोगों से काफी दूर और पूरी तरह से समुद्र के ऊपर हों।
  • नियामक अनुमोदन: ऐसे विमानों को उड़ाना असफल हो सकता है, खासकर ट्रान्साटलांटिक (Transatlantic) उड़ानों के लिये। पूरे विश्व के नियामकों से मंज़ूरी प्राप्त करना एक चुनौतीपूर्ण काम होगा, क्योंकि अतीत में सुपरसोनिक विमानों को इन बाधाओं हेतु पहले ही हरी झंडी दिखाई जा चुकी है।
  • बहुत महँगा: यह सभी के लिये आर्थिक रूप से संभव नहीं होगा। केवल बहुत अमीर लोग ही सुपरसोनिक विमान खरीद सकते हैं, क्योंकि एक नियमित विमान के प्रथम श्रेणी के टिकट की तुलना में इसका टिकट अधिक महँगा हो सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2