भूगोल
कैरेबियन ज्वालामुखी से सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन
- 21 Apr 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में कैरेबियाई स्थित ला सॉफरियर ज्वालामुखी (La Soufriere Volcano) में हुए विस्फोट से उत्सर्जित सल्फर डाइऑक्साइड (Sulphur Dioxide- SO2) भारत में पहुंँच गया है, जिससे देश के उत्तरी हिस्सों में प्रदूषण (Pollution) के स्तर में वृद्धि तथा अम्लीय वर्षा (Acid Rain) होने का डर बना हुआ है।
- कैरेबियन द्वीप समूह कैरेबियाई सागर में स्थित है यह अमेरिका के दक्षिण में, मैक्सिको के पूर्व और मध्य में तथा दक्षिण अमेरिका के उत्तर में स्थित क्षेत्र है।
प्रमुख बिंदु:
ला सॉफरियर ज्वालामुखी के बारे में:
- यह कैरेबियाई द्वीप के सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस (Saint Vincent and the Grenadines) में स्थित एक सक्रिय स्ट्रैटोवोलकानो (Active Stratovolcano) है।
- स्ट्रैटोवोलकानो एक लंबा, शंक्वाकार ज्वालामुखी होता है, जिसका निर्माण जमे हुए ठोस लावा, टेफ्रा (Tephra) और ज्वालामुखीय राख (Volcanic Ash) की कई परतों (स्तर) द्वारा होता है। खड़ी प्रोफाइल (Steep Profile) और एक निश्चित आवधिक पर विस्फोटक उद्गार (Periodic, Explosive Eruptions) का होना इन ज्वालामुखियों की मुख्य विशेषताओं में शामिल है।
- दक्षिणी कैरेबियन में स्थित सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस में 30 से अधिक द्वीप और प्रवाल भित्तियाँ स्थित हैं, जिनमें से नौ द्वीपों पर आबादी पाई जाती है।
- यह सेंट विंसेंट की सबसे ऊंँची चोटी है जिसमे वर्ष 1718 के बाद से पांँच बार विस्फोटक उद्गार हुए हैं, हाल ही में अंतिम विस्फोट अप्रैल 2021 में हुआ था।
- वर्ष 1979 में इस ज्वालामुखी में अंतिम बार विस्फोट हुआ था।
वैश्विक तापमान पर विस्फोट का प्रभाव:
- समतापमंडल तक पहुंँचने वाले ज्वालामुखीय उत्सर्जन का वैश्विक तापमान पर एक शीतल प्रभाव (Cooling Effect) पड़ता है।
- ज्वालामुखीय विस्फोट से उत्सर्जित पदार्थों के समतापमंडल (Stratosphere) में प्रवेश करने से सबसे महत्त्वपूर्ण जलवायु प्रभाव सल्फर डाइऑक्साइड के सल्फ्यूरिक एसिड में रूपांतरण के रूप में होता है, जो समतापमंडल में तीव्रता से संघनित होकर सल्फेट एरोसोल (Sulphate Aerosols) का निर्माण करता है।
- एरोसोल, सूर्य से आने वाले प्रकाश विकिरण की मात्रा के परावर्तन को बढ़ाकर अंतरिक्ष में वापस भेजने का कार्य करते हैं , जिससे पृथ्वी का निचला वायुमंडल या क्षोभमंडल गर्म नहीं होता है।
- पिछली शताब्दी के दौरान विगत तीन वर्षों में हुए बड़े विस्फोटों के कारण पृथ्वी की सतह के तापमान में 0.27 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की कमी दर्ज की गई है।
सल्फर डाइऑक्साइड और प्रदूषण:
- SO2 का उत्सर्जन जो हवा में SO2 की उच्च सांद्रता का कारण है, सामान्यत: सल्फर के ऑक्साइड (SOx ) का निर्माण करता है। छोटे कणों के निर्माण हेतु SOx वातावरण में अन्य यौगिकों के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है। ये कण पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter- PM) प्रदूषण को बढ़ाते हैं।
- पार्टिकुलेट मैटर के कण फेफड़ों में प्रवेश कर स्वास्थ्य समस्याओं को उत्पन्न कर सकते हैं।
सल्फर डाइऑक्साइड और अम्लीय वर्षा:
- हवा और वायु प्रवाह के कारण सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOX) के कणों के वायुमंडल में पहुंँचने के परिणामस्वरूप अम्लीय वर्षा होती है।
- SO2 और NOX सल्फर और नाइट्रिक एसिड का निर्माण करने हेतु जल, ऑक्सीजन और अन्य रसायनों के साथ क्रिया करते हैं तथा पृथ्वी पर वर्षा की बूंँदों के रूप में गिरने से पहले जल और अन्य पदार्थों के साथ मिश्रित होते हैं।