भारतीय अर्थव्यवस्था
ट्रेनों की वास्तविक समय निगरानी के लिये रणनीति
- 20 Jul 2020
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प्रीलिम्स के लिये:ट्रेनों की निगरानी प्रणाली, निर्भया फंड मेन्स के लियेट्रेनों की निगरानी प्रणाली का प्रबंधन |
चर्चा में क्यों?
रेल मंत्रालय द्वारा ट्रेनों की ‘वास्तविक समय की निगरानी’ (Surveillance) के लिये एक प्रबंधन रणनीति तैयार की जा रही है।
प्रमुख बिंदु:
- यह रणनीति एक उच्च-स्तरीय समिति द्वारा यात्री कोचों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर तैयार की जा रही है।
- भारतीय रेलवे द्वारा स्टेशनों और ट्रेनों की ‘वीडियो निगरानी प्रणाली’ (Video Surveillance System) की दिशा में मार्च 2021 तक 7,000 कोचों में निगरानी कैमरे लगाने की योजना है।
- कोच में वीडियो निगरानी प्रणाली के लिये एक ‘मानक संचालन प्रक्रिया’ (Standard Operating Procedure- SOP) को अपनाया जाएगा।
- SOP में डेटा की अपलोडिंग, रिटेंशन और रिट्रीवल से संबंधित विवरण को शामिल किया जाएगा।
- सुरक्षा कर्मियों और रेलवे अधिकारियों द्वारा आवश्यकता के अनुसार प्रतिक्रिया की जाएगी।
वर्तमान निगरानी क्षमता:
- वर्तमान में भारतीय रेलवे द्वारा 6,049 स्टेशनों पर ‘वीडियो निगरानी प्रणाली’ स्थापित की जा रही है, जिसमें उत्तर रेलवे के 725 स्टेशन तथा दक्षिण रेलवे के 573 स्टेशन शामिल है।
- यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि प्रीमियम, मेल, एक्सप्रेस एवं उपनगरीय ट्रेनों के कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का कार्य पहले ही पूर्ण किया जा चुका है।
सरकार द्वारा किये गए अन्य प्रयास:
- वर्ष 2013 में केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिये ‘निर्भया फंड’ का गठन किया गया था। शुरुआत में इसके तहत तत्कालीन वित्त मंत्री ने 1000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की थी।
- स्टेशनों और ट्रेनों के ‘लेडीज़ कोच’ में निगरानी बढ़ाने के लिये सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिये निर्भया फंड का प्रयोग किया जा सकता है।
मद्रास उच्च न्यायालय का आदेश:
- अगस्त 2019 में मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच ने दक्षिणी रेलवे की निगरानी प्रणाली के सर्वेक्षण के लिये विशेषज्ञों की एक टीम के गठन तथा महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग यात्रियों की सुरक्षा के लिये ट्रेन के डिब्बों में सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिये थे।
निगरानी प्रणाली का महत्त्व:
- वीडियो निगरानी प्रणाली को अपनाने से रेलवे स्टेशनों एवं ट्रेनों में हिंसक घटनाओं एवं अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी तथा रेलवे परिसर में महिलाओं और बच्चों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।