जैव विविधता और पर्यावरण
वर्ष 2020 में भारत की जलवायु
- 05 Jan 2021
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चर्चा में क्यों?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) द्वारा वर्ष 2020 में भारत की जलवायु स्थिति के संदर्भ में जारी वक्तव्य के अनुसार, वर्ष 1901 में जलवायु संबंधी रिकॉर्ड रखे जाने की शुरुआत के समय से अब तक की अवधि में वर्ष 2020 आठवाँ सबसे गर्म वर्ष था।
- IMD द्वारा वार्षिक रूप से जारी इस वक्तव्य में प्रत्येक वर्ष के दौरान तापमान और वर्षा के रुझान को प्रदर्शित किया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
वर्ष 2020 आठवाँ सबसे गर्म वर्ष:
- औसत तापमान:
- वर्ष के दौरान देश में वार्षिक औसत तापमान सामान्य (वर्ष 1981 से 2010 तक 21 वर्षो का औसत) से 0.29 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
- हालाँकि वर्ष 2016 की तुलना में यह वर्ष कम गर्म था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में औसत वार्षिक तापमान सामान्य से 0.71 डिग्री सेल्सियस अधिक था और वर्ष 1901 के बाद से यह देश में सबसे गर्म वर्ष बना हुआ है।
- ला-नीना के शीतलन प्रभाव के बावजूद तापमान में इस तरह के रुझान दर्ज किये गए हैं। ला-नीना एक वैश्विक मौसम पैटर्न है जो वर्ष 2020 में प्रबल रहा और सर्दियों के दौरान तापमान के सामान्य से काफी नीचे चले जाने से भी जुड़ा हुआ है।
- आमतौर पर ला-नीना के कारण वैश्विक तापमान कम हो जाता है, लेकिन वैश्विक तापन/ग्लोबल वार्मिंग ने अब इसे प्रति संतुलित कर दिया है। परिणामतः ला-नीना के प्रभाव वाले वर्ष अब अतीत के अल-नीनो प्रभावित वर्षों की तुलना में गर्म हैं।
- अल-नीनो एवं ला-नीना अल-नीनो दक्षिणी दोलन (El Niño–Southern Oscillation-ENSO) चक्र के चरम प्रभाव वाले चरण हैं।
- ENSO समुद्री सतह के तापमान और भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर पर वायुमंडलीय दाब के कारण होने वाला आवधिक उतार-चढ़ाव है। मौसम तथा जलवायु पैटर्न पर इसका व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है। जैसे- भारी बारिश, बाढ़ और सूखे की स्थिति आदि।
- जहाँ अल-नीनो के कारण वैश्विक तापमान बढ़ जाता है, वहीं ला-नीना का प्रभाव इसके विपरीत होता है।
- वैश्विक औसत तापमान से तुलना:
- भारत के औसत तापमान में हुई लगभग 0.3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि औसत वैश्विक तापमान वृद्धि (1.2 डिग्री सेल्सियस) की तुलना में कम थी।
- उल्लेखनीय है कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा प्रस्तुत वैश्विक जलवायु स्थिति के अनुसार, जनवरी से अक्तूबर तक औसत तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई थी।
- भारत के औसत तापमान में हुई लगभग 0.3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि औसत वैश्विक तापमान वृद्धि (1.2 डिग्री सेल्सियस) की तुलना में कम थी।
भारत में अब तक सबसे गर्म वर्ष:
- भारत में अब तक दर्ज किये गए सबसे गर्म आठ वर्ष थे: वर्ष 2016 (+ 0.71 डिग्री सेल्सियस)> 2009 (+0.55 डिग्री सेल्सियस)> 2017 (+0.541 डिग्री सेल्सियस)> 2010 (+0.539 डिग्री सेल्सियस)> 2015 (+0.42 डिग्री सेल्सियस)> 2018 (+0.41 डिग्री सेल्सियस)> 2019 (+0.36 डिग्री सेल्सियस)> 2020 (+0.29 डिग्री सेल्सियस)।
- पिछले दशक (वर्ष 2011 से 2020) को अब तक का सबसे गर्म दशक दर्ज किया गया है।
चरम मौसमी घटनाएँ:
- अत्यधिक वर्षा, बाढ़, शीत लहर और तड़ितझंझा (Thunderstorm) के कारण जान और माल की काफी हानि हुई।
- काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वाटर (Council on Energy, Environment and Water-CEEW) द्वारा जारी रिपोर्ट ‘प्रिपेयरिंग इंडिया फॉर एक्सट्रीम क्लाइमेट इवेंट्स (Preparing India for Extreme Climate Events)’ के अनुसार, भारत के 75 प्रतिशत से अधिक ज़िले चरम जलवायु घटनाओं के मुख्य हॉटस्पॉट हैं।
- गत वर्ष शीत लहर, आकाशीय बिजली और तड़ित के कारण सर्वाधिक जनहानि उत्तर प्रदेश तथा बिहार में दर्ज की गई थी।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात पर डेटा:
- विश्व स्तर पर अटलांटिक महासागर में 30 से अधिक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति दर्ज की गई।
- अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में कुल पाँच चक्रवातों- अम्फान, निसर्ग, गति, निवार और बुरेवी की उत्पत्ति हुई।
- इनमें निसर्ग और गति की उत्पत्ति अरब सागर में हुई थी, जबकि शेष 3 की उत्पत्ति बंगाल की खाड़ी में हुई।
वर्षा पर डेटा:
- वर्ष 2020 के दौरान देश में कुल वार्षिक वर्षा 1961 से 2010 की अवधि के लिये आकलित लंबी अवधि के औसत (Long Period Average- LPA) का 109% थी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science- MoES) की एक एजेंसी है।
- यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।