सामाजिक सुरक्षा स्थिति रिपोर्ट 2025 | 15 Apr 2025
प्रिलिम्स के लिये:विश्व बैंक, सतत् विकास लक्ष्य, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, बहुआयामी गरीबी मेन्स के लिये:भारत में सामाजिक सुरक्षा और कल्याण नीतियाँ, विकासशील देशों में सामाजिक सुरक्षा के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
विश्व बैंक ने सामाजिक सुरक्षा स्थिति रिपोर्ट 2025 जारी की जिसके अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LIC और MIC) में लगभग दो अरब व्यक्तियों के पास पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।
नोट: वित्तीय वर्ष 2025 के लिये, विश्व बैंक प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं को वर्गीकृत करता है।
- निम्न आय अर्थव्यवस्थाएँ (LIC): प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 1,145 अमेरिकी डॉलर या उससे कम।
- निम्न-मध्यम आय अर्थव्यवस्थाएँ (LMIC): प्रति व्यक्ति GNI 1,146 अमेरिकी डॉलर से 4,515 अमेरिकी डॉलर के बीच (वर्तमान में भारत निम्न-मध्यम आय श्रेणी में है)।
- उच्च-मध्यम आय अर्थव्यवस्थाएँ (UMIC): प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 4,516 अमेरिकी डॉलर से 14,005 अमेरिकी डॉलर के बीच।
- उच्च आय अर्थव्यवस्थाएं (HIC): प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 14,005 अमेरिकी डॉलर से अधिक।
सामाजिक सुरक्षा की स्थिति क्या है?
- कवरेज में व्यापक अंतराल: LIC और MIC में 1.6 बिलियन लोगों को कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं प्राप्त है। वैश्विक स्तर पर, अत्यधिक निर्धनता में रहने वाले 88% लोगों के पास या तो पर्याप्त अथवा किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।
- LIC और उप-सहारा अफ्रीका में यह आँकड़ा क्रमशः 98% और 97% है। LMIC में, 30% से अधिक व्यक्तियों के पास पर्याप्त कवरेज का अभाव है।
- इसका सर्वाधिक अभाव MIC में है, जहाँ अपेक्षाकृत अधिक जनसंख्या के कारण 1.2 बिलियन व्यक्ति असुरक्षित हैं। यदि जनसंख्या मीट्रिक एक खेल होता, तो उप-सहारा अफ्रीका सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र होता, जहाँ 70% व्यक्तियों के पास किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा नहीं होती।
- अपर्याप्त प्रगति: वर्ष 2010 से वर्ष 2022 की अवधि में LIC और MIC में सामाजिक सुरक्षा कवरेज 41% से बढ़कर 51% हो गया। इस प्रगति के बावजूद, अनेक वर्ग अभी भी इसके दायरे से बाहर हैं, जिससे वे आकस्मिक आर्थिक समस्याओं, जलवायु परिवर्तन और संघर्षों के प्रति सुभेद्य हैं।
- SDG के साथ अनुरूपता में कमी: वर्तमान दर पर, अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों तक सामाजिक सुरक्षा कवरेज को पूर्ण रूप से विस्तारित करने में वर्ष 2043 तक का समय लगेगा, और इसका विस्तार सर्वाधिक निर्धन 20% तक करने में वर्ष 2045 तक का समय लगेगा।
- सतत् विकास लक्ष्य (SDG) संख्या 1.3 में सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी को बराबर का हक मिल सके।
- वित्तपोषण संबंधी बाधाएँ: उच्च आय वाले देश, LIC की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद का 5.3 गुना अधिक तथा प्रति व्यक्ति 85.8 गुना अधिक खर्च करते हैं।
- LIC सामाजिक सहायता पर सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.8% और उच्च-MIC में 2% खर्च करते हैं, जिससे गरीब देशों के समक्ष आने वाली वित्तीय चुनौतियों पर प्रकाश पड़ता है
- इनका खर्च मुख्य रूप से औपचारिक श्रमिकों के लिये सामाजिक बीमा पर केंद्रित है तथा गरीब और अनौपचारिक क्षेत्रों की उपेक्षा की जाती है।
- सब्सिडी में असंतुलन भी बना हुआ है। वैश्विक सब्सिडी (जीवाश्म ईंधन, कृषि) में लगभग 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का लाभ अक्सर धनी वर्ग को मिलता है, कमज़ोर वर्ग को नहीं।
- बाह्य आघात: सामाजिक सुरक्षा प्रणालियाँ जलवायु आघातों, संघर्ष और महामारी के लिये तैयार नहीं हैं।
- जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2030 तक 130 मिलियन अतिरिक्त लोग अत्यधिक गरीबी की स्थिति में आ सकते हैं। अफ्रीका और एशिया के कमज़ोर एवं संघर्ष प्रभावित देशों में विश्व के 60% अत्यधिक गरीब लोग होंगे, जिससे सामाजिक सुरक्षा का अंतराल और भी बड़ जाएगा।
भारत में सामाजिक सुरक्षा की स्थिति क्या है?
- कवरेज: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट (WSPR) 2024-26 के अनुसार, भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज वर्ष 2021 के 24.4% से दोगुना होकर वर्ष 2024 में 48.8% हो गया।
- भारत के श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के अनुसार, 65% जनसंख्या (लगभग 920 मिलियन) कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत आती है, चाहे वह नकद हो या वस्तु के रूप में।
- सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से गरीबी में कमी: अनुमान है कि पिछले दशक (वर्ष 2013 और 2023) में 24.8 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं।
- परिवर्तन को गति देने वाली सरकारी पहल:
- आयुष्मान भारत (AB-PMJAY): इसके तहत 39.94 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को प्रति परिवार 5 लाख तक के स्वास्थ्य कवरेज के तहत शामिल किया गया है।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY): यह विश्व स्तर पर सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजनाओं में से एक है। दिसंबर 2024 तक 80.67 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न प्राप्त हुआ।
- ई-श्रम पोर्टल: यह असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस है। 30.68 करोड़ से अधिक पंजीकरण एवं 53.68% महिलाओं के साथ यह समावेशी कवरेज को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- अटल पेंशन योजना (APY): 7.25 करोड़ नामांकन के साथ यह अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये सेवानिवृत्ति सुरक्षा को मज़बूत करने पर केंद्रित है।
भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- कल्याण बोर्ड: श्रमिक कल्याण बोर्ड अप्रभावी रहे हैं। उदाहरण के लिये, निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर में 70,000 करोड़ रुपए से अधिक अप्रयुक्त रह गए हैं (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट 2023)।
- सीमित राजकोषीय क्षमता: भारत में सामाजिक सुरक्षा (स्वास्थ्य को छोड़कर) पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5% खर्च किया जाता है जबकि वैश्विक औसत लगभग 13% है (विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2024-26, ILO)।
- तकनीकी एवं प्रशासनिक चुनौतियाँ: ई-श्रम जैसे डिजिटल उपकरणों में काफी संभावनाएँ हैं लेकिन इसमें कम जागरूकता और सीमित इंटरनेट पहुँच जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। नतीजतन, लगभग 38 करोड़ से ज़्यादा अनौपचारिक श्रमिकों में से केवल 31 करोड़ श्रमिकों का ही पंजीकरण हुआ है।
- वैश्विक मानकों का विलंबित अनुसमर्थन: भारत ने सामाजिक सुरक्षा (न्यूनतम मानक) अभिसमय, 1952 (सं. 102) जैसे प्रमुख ILO अभिसमयों का अनुसमर्थन नहीं किया है, जिससे सार्वभौमिक मानदंडों की दिशा में प्रयास सीमित हो गया है।
- प्रशासनिक चुनौती: अनेक केंद्रीय और राज्य योजनाओं में समन्वय का अभाव है, जिसके कारण दोहराव, अकुशलता तथा वास्तविक लाभार्थियों का बहिष्कार होता है।
- एकीकृत डेटाबेस का अभाव लक्षित वितरण में बाधा डालता है, और वर्तमान प्रणालियाँ विकासशील कार्यबल चुनौतियों का सक्रिय रूप से समाधान करने के बजाय मुख्य रूप से गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था श्रमिकों जैसी उभरती श्रेणियों पर ही ध्यान केंद्रित करती हैं।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 का उद्देश्य कल्याण को सार्वभौमिक बनाना है, लेकिन इसमें स्पष्ट कार्यान्वयन दिशा-निर्देशों का अभाव है। 'गिग' और 'प्लेटफ़ॉर्म' श्रमिकों की परिभाषाएँ अस्पष्ट हैं, जिससे नीतिगत अस्पष्टता उत्पन्न होती है।
- जनसांख्यिकीय बदलाव: भारत की वृद्ध होती जनसंख्या पेंशन और स्वास्थ्य सेवा पर दबाव डालेगी, क्योंकि सहायता अनुपात (65 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक के लिये कार्यशील आयु वर्ग के व्यक्ति) वर्ष 1997 में 14:1 से घटकर वर्ष 2023 में 10:1 हो गया है, तथा अनुमान है कि वर्ष 2050 तक यह और घटकर 4.6:1 तथा वर्ष 2100 तक 1.9:1 हो जाएगा।
- वरिष्ठ नागरिकों का उपभोग हिस्सा लगभग दोगुना हो जाएगा, और शीघ्र सुधारों के बिना, वर्तमान सामाजिक सुरक्षा प्रणालियाँ अपर्याप्त होंगी।
सामाजिक सुरक्षा कवरेज़ को प्रभावी ढंग से विस्तारित करने के लिये देश कौन सी रणनीति अपना सकते हैं?
- भारत: ILO कन्वेंशन संख्या 102 के अनुरूप आय सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, मातृत्व, दिव्यांगता और पेंशन पर न्यूनतम गारंटी अपनाना।
- आधार, ई-श्रम और राज्य कल्याण डेटाबेस से डेटा को सुसंगत बनाने के लिये एक एकीकृत राष्ट्रीय सामाजिक रजिस्ट्री विकसित करना।
- परिणाम-आधारित वित्तपोषण को प्राथमिकता देकर सामाजिक सुरक्षा व्यय को धीरे-धीरे सकल घरेलू उत्पाद के 8-10% तक बढ़ाया जाना चाहिये।
- सामाजिक सुरक्षा योजना के बारे में जागरूकता और नामांकन बढ़ाने के लिये कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) का उपयोग करना और क्षेत्रीय भाषा समर्थन के लिये भाषिनी का लाभ उठाना।
- वैश्विक: LIC और LMIC में सार्वभौमिक बुनियादी आय, खाद्य सब्सिडी और नकद हस्तांतरण का विस्तार करना सुभेद्द आबादी की रक्षा करना और गरीबी को कम करना है।
- समावेशी सामाजिक सुरक्षा जाल को निधि देने के लिये प्रतिगामी सब्सिडी में सुधार करना। सामाजिक रजिस्ट्री और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसे डिजिटल बुनियादी ढाँचे के साथ जलवायु-लचीले, आघात-प्रतिक्रियाशील प्रणालियों में निवेश करना।
- मज़बूत बीमा और सहायता कार्यक्रमों के साथ वृद्धावस्था, बेरोज़गारी और दिव्यांगता जैसे जीवन-चक्र जोखिमों का समाधान करना।
- सभी के लिये सामाजिक सुरक्षा पर सतत् विकास लक्ष्य 1.3 के साथ सुसंगतता सुनिश्चित करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: सुदृढ़ सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2012)
उपर्युक्त में से किस इकाई/किन इकाइयों के कर्मचारी, 'कर्मचारी राज्य बीमा योजना' के अंतर्गत 'सामाजिक सुरक्षा' कवच प्राप्त कर सकते हैं? (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न: भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप औपचारिक क्षेत्र में रोज़गार कैसे कम हुए? क्या बढती हुई अनौपचारिकता देश के विकास के लिये हानिकारक है? (2016) |