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भारतीय अर्थव्यवस्था

स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक

  • 17 Jan 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस, राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार 2022, SISFS, NIDHI, स्टार्टअप इकोसिस्टम (RSSSE) के समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग।

मेन्स के लिये:

भारत में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र विकास के चालक, स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी समस्याएँ, स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल।  

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस (16 जनवरी) के अवसर पर स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक का समापन नेशनल स्टार्टअप अवार्ड्स 2022 के साथ हुआ।

  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार 2022 उन स्टार्टअप और समर्थकों को प्रदान किये गए हैं जिन्होंने भारत के विकास में क्रांति लाने हेतु महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  
  • स्टार्टअप इंडिया ने "चैंपियनिंग द बिलियन डॉलर ड्रीम” विषय पर उद्योग केंद्रित वेबिनार का आयोजन किया।

भारत में स्टार्टअप्स की स्थिति:  

  • परिचय: 
    • भारत, स्टार्टअप पारितंत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। 
    • बैन एंड कंपनी द्वारा प्रकाशित इंडिया वेंचर कैपिटल रिपोर्ट 2021 के अनुसार, संचयी स्टार्टअप्स की संख्या वर्ष 2012 से 17% की चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (CAGR) से बढ़ी है। 
  • विकास का चालक:  
    • बड़ा घरेलू बाज़ार: भारत में प्रौद्योगिकी आधारित उत्पादों और सेवाओं के लिये एक बड़ा घरेलू बाज़ार है, जो स्टार्टअप को अपने उत्पादों एवं सेवाओं को बेचने के लिये एक तैयार बाज़ार प्रदान करता है। 
    • सरकारी सहायता: भारत सरकार सक्रिय रूप से ‘आत्मनिर्भर भारत’ और डिजिटल इंडिया’ जैसी पहलों के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा दे रही है, जो स्टार्टअप कंपनियों को सहायता प्रदान कर रही हैं।
    • प्रौद्योगिकी तक पहुँच: प्रौद्योगिकी और इंटरनेट में प्रगति ने स्टार्टअप्स को तेज़ी से आगे बढ़ने में सक्षम बनाया है, यही कारण है कि पारिस्थितिकी तंत्र में कई यूनिकॉर्न का उदय हुआ है।
    • राइज़िग स्टार्टअप हब: भारत में प्रमुख स्टार्टअप हब बंगलूरू, मुंबई और दिल्ली-NCR  हैं, जो स्टार्टअप्स के बढ़ने एवं विकास के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
      • विशेष रूप से बंगलूरू शहर में स्थित बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी कंपनियों के कारण इसे ‘भारत की सिलिकॉन वैली’ घोषित किया गया है।
  • स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित समस्याएँ:  
    • सख्त नियामक वातावरण: बाज़ार के कानून और नियम हमेशा स्टार्टअप्स की ज़रूरतों के अनुरूप नहीं होते हैं, जिससे उनका पालन करना मुश्किल हो सकता है। यह स्टार्टअप्स कंपनियों पर गंभीर दबाव डाल सकता है।
    • सीमित बुनियादी ढाँचा और लॉजिस्टिक्स: उचित बुनियादी ढाँचे और लॉजिस्टिक्स की कमी स्टार्टअप्स खासकर ई-कॉमर्स क्षेत्र में काम करने वालों के लिये बड़ी चुनौती हो सकती है।
      • अपर्याप्त परिवहन, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर स्टार्टअप्स के लिये ग्राहकों तक पहुँचना और उनके उत्पादों को समय पर डिलीवर करना मुश्किल बना सकता है। 
    • मेंटरशिप और गाइडेंस की कमी: स्टार्टअप्स में अक्सर अनुभवी मेंटर्स और गाइडेंस की कमी होती है, जिससे उनके लिये बिज़नेस लैंडस्केप को नेविगेट करना तथा निर्णय लेना मुश्किल हो सकता है।
  • स्टार्टअप परितंत्र के प्रोत्साहन के लिये हालिया सरकारी पहल:  
    • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): यह योजना स्टार्टअप्स को उनके वैचारिक धारणाओं को साबित करने, प्रोटोटाइप विकसित करने, उत्पादों का परीक्षण और बाज़ार तक पहुँच बनाने में मदद के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 
    • नवाचारों के विकास और दोहन के लिये राष्ट्रीय पहल (National Initiative for Developing and Harnessing Innovations- NIDHI): यह स्टार्टअप्स के लिये एक एंड-टू-एंड (End to End) योजना है जिसका लक्ष्य पाँच वर्ष की अवधि में इनक्यूबेटरों और स्टार्टअप्स की संख्या को दोगुना करना है। 
    • स्टार्टअप पारितंत्र के समर्थन स्तर पर राज्यों की रैंकिंग (Ranking of States on Support to Startup Ecosystems- RSSSE): वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) वर्ष 2018 से राज्यों द्वारा स्टार्टअप पारितंत्र को दिये जा रहे समर्थन के आधार पर उनको रैंकिंग प्रदान कर रहा है। 

आगे की राह

  • नवाचार को प्रोत्साहन: सरकार और निजी क्षेत्र को अनुसंधान एवं विकास के लिये धन तथा अन्य प्रकार का सहयोग प्रदान कर नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिये। 
    • इसके अंतर्गत शोध एवं विकास केंद्र स्थापित करना, इसमें निवेश करने वाली कंपनियों को कर संबंधी प्रोत्साहन प्रदान करना और स्टार्टअप को विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों से जोड़ना शामिल हो सकता है।

स्कूल-उद्यमिता गलियारा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 उद्योगों के साथ साझेदारी कर व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करके और स्कूल स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देकर छात्र उद्यमियों को प्रोत्साहित करती है।

यदि उद्यमशीलता कौशल को शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ एकीकृत किया जाए यो यह भारत में स्टार्टअप परितंत्र पर अनुकूल प्रभाव डाल सकता है।

स्टार्टअप्स की सामाजिक स्वीकार्यता: भारत के विभिन्न यूनिकॉर्न्स के साथ मिलकर सरकार को उद्यमी कॅरियर के सामाजिक स्वीकृति की दिशा में काम करने और सुलभता से कॅरियर चुनने के लिये युवाओं को सही दिशा प्रदान करने की आवश्यकता है।

वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल: भारतीय स्टार्टअप्स में न केवल भारतीय पारंपरिक समस्याओं के समाधान की क्षमता है, बल्कि विदेशी बाज़ारों के लिये ये अनुकूलित समाधान भी प्रदान करते हैं।

भारत को एक उद्यमशीलता और निर्यात केंद्र बनाने हेतु आत्मनिर्भर भारत पहल से जुड़े राज्यों में भी विशेष स्टार्टअप ज़ोन शुरू किये जा सकते हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न:  

प्रश्न. उद्यम पूंजी का क्या अर्थ है? (2014) 

(a) उद्योगों को प्रदान की गई एक अल्पकालिक पूंजी

(b) नए उद्यमियों को प्रदान की गई दीर्घकालिक स्टार्टअप पूंजी 

(c) घाटे के समय में उद्योगों को दिया जाने वाला धन

(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीकरण के लिये प्रदान किया गया धन

उत्तर : (b) 

स्रोत: पी.आई.बी.

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