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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विश्व व्यापार संगठन की 11वीं मंत्रिस्तरीय वार्ता में गतिरोध

  • 18 Dec 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों

विकसित तथा विकासशील देशों के हितों के टकराव के कारण ब्यूनस आयर्स (Buenos Aires) में आयोजित विश्व व्यापार संगठन की 11वीं मंत्रिस्तरीय वार्ता बिना किसी समाधान के समाप्त हो गई। खाद्य सुरक्षा तथा विकास से संबंधित अन्य मुद्दों पर ‘पीस क्लॉज़’ (Peace clause ) के तहत यथास्थिति बने रहने के कारण भारत समेत अन्य विकासशील देशों के हित फिलहाल सुरक्षित हैं, किन्तु इन मुद्दों पर कोई स्थायी समाधान नहीं हो पाया है।
मुद्दा क्या है?

  • विश्व व्यापार संगठन के दोहा राउंड के तहत विकास को महत्त्व प्रदान करते हुए विकासशील देशों को छूट प्रदान की गई थी। विकसित देश विकास के मुद्दे से बाहर निकल कर आर्थिक हितों पर बल देना चाहते हैं।
  • इसी मुद्दे पर अमेरिका ने अपना विरोध दर्ज़ करते हुए कहा कि विकास को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है, ताकि कुछ सक्षम देश विकास के नाम पर अपने हितों को साध नहीं पाएँ। यहाँ उनका इशारा भारत तथा चीन जैसे देशों की तरफ था, जो जी.डी.पी. के आधार पर विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में उभर रहे हैं।
  • अमेरिका का यह आरोप बेबुनियाद है, क्योंकि वर्तमान समय में एक देश के रूप में सर्वाधिक निर्धन तथा कुपोषित लोग भारत में ही निवास करते हैं।
  • अमेरिका द्वारा भारत के खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 का विरोध इस आधार पर किया गया कि इससे खाद्य वस्तुओं की कीमत कम होने के कारण इनके स्वतंत्र व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पडे़गा। किन्तु, भारत का तर्क यह है कि देश की  कुपोषण और भूखमरी से संबंधित समस्या के समाधान के लिये यह अधिनियम अत्यंत आवश्यक है।
  • अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और जापान जैसे देशों के द्वारा व्यापार को प्रभावित करने वाली चीन की उन नीतियों का भी विरोध किया गया, जिसमें संसाधनों का क्षमता से अधिक प्रयोग तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर बल दिया जाता है।
  • भारत तथा चीन ने विकसित देशों द्वारा दी जाने वाली फार्म सब्सिडी का विरोध किया। इससे खाद्य वस्तुओं के स्वतंत्र व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।
  • विकसित देशों द्वारा त्वरित ई-कॉमर्स वार्ता को बढ़ावा देने के लिये तथा मत्स्यन के क्षेत्र में सब्सिडी को कम करने पर जोर दिया गया, किन्तु विकासशील देशों के विरोध के कारण ये प्रावधान पारित नहीं हो पाए।

विश्व व्यापार संगठन  (World trade organization)

  • विश्व व्यापार संगठन विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 1995 में मारकेश संधि के तहत की गई थी।
  • इसका मुख्यालय जनेवा में है।
  • वर्तमान में विश्व के 165 देश इसके सदस्य हैं। सदस्य देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मलेन इसके निर्णयों के लिये सर्वोच्च निकाय है, जिसकी बैठक प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित की जाती है।
  • वर्तमान में इसके 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मलेन का आयोजन अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में किया गया।

दोहा वार्ता

  • दोहा वार्ता का संबंध 2001 में कतर में आयोजित विश्व व्यापार संगठन के चौथे मंत्रिस्तरीय सम्मलेन से है।
  • इसमें कृषि संबंधी मुद्दों को विकास से जोड़ते हुए विकासशील देशों को छूट देने की बात की गई थी।

निष्कर्ष
स्पष्ट है कि कोई स्थायी समाधान न होने के बावजूद भी विश्व व्यापार संगठन की मंत्रिस्तरीय वार्ता आंशिक तौर पर सफल रही है। त्वरित ई-कॉमर्स वार्ता को बढ़ावा देने वाले तथा मत्स्यन सब्सिडी को कम करने वाले  प्रावधानों का पारित न होना, विकासशील देशों के पक्ष में है और सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप भी है। अमेरिका द्वारा जी.डी.पी. के आधार पर विकास को निर्धारित करने का विचार अतार्किक है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर अच्छी जी.डी.पी. के बाद भी भारत जैसे देशों की प्रति व्यक्ति आय अत्यंत कम है और यहाँ की एक बड़ी जनसंख्या भूखमरी और कुपोषण से पीड़ित है। सतत् तथा समावेशी विकास की अवधारणा को लागू करने के लिये यह आवश्यक है कि सभी देश अपने-अपने संकीर्ण हितों को छोड़ कर आगे बढ़ें और विकास तथा व्यापार के बीच सामंजस्य बनाते हुए स्थायी समाधान पर आएँ।

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