स्पेक्ट्रम नीलामी | 08 Jan 2021
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी मिलने के बाद देश में 3.92 लाख करोड़ रुपए की लागत की रेडियो तरंगों के स्पेक्ट्रम की नीलामी के छठे दौर के लिये बोली लगाने की प्रक्रिया 1 मार्च, 2020 से शुरू होगी।
- लंबे समय से प्रतीक्षित यह स्पेक्ट्रम नीलामी चार वर्ष के अंतराल और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा रेडियो तरंगों के लिये आधार/आरक्षित मूल्य की गणना तथा इनकी अनुशंसा किये जाने के दो वर्षों से अधिक समय के बाद आयोजित की जा रही है।
प्रमुख बिंदु:
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स्पेक्ट्रम नीलामी के बारे में:
- सेलफोन और वायरलाइन जैसे उपकरणों को एक-दूसरे छोर से जोड़ने के लिये सिग्नल की आवश्यकता होती है। इन सिग्नलों को वायु तरंगों या एयरवेव्स (रेडियो तरंगों का माध्यम) द्वारा प्रेषित किया जाता है, जिन्हें किसी भी तरह के हस्तक्षेप से बचाने के लिये एक निर्दिष्ट आवृत्ति पर भेजा जाना आवश्यक है।
- कोई भी हस्तक्षेप सिग्नल की प्राप्ति या रिसेप्शन को पूरी तरह से रोक सकता है, या इसकी अस्थायी क्षति का कारण बन सकता है, अथवा यह किसी एक उपकरण द्वारा उत्पादित ध्वनि या तस्वीर की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
- देश की भौगोलिक सीमाओं के भीतर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सभी संपत्तियों का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास है, जिसमें एयरवेव्स भी शामिल हैं।
- देश में सेलफोन, वायरलाइन टेलीफोन और इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि के साथ समय-समय पर सिग्नलों के लिये अधिक स्थान प्रदान किये जाने की आवश्यकता होती है।
- साथ ही इन तरंगों को एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचाने हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचा भी तैयार करना पड़ता है।
- इस बुनियादी ढाँचे को तैयार करने की इच्छुक कंपनियों को इन संपत्तियों को बेचने के लिये केंद्र सरकार द्वारा दूरसंचार विभाग (संचार मंत्रालय) के माध्यम से समय-समय पर इन एयरवेव्स की नीलामी की जाती है।
- इन एयरवेव्स को स्पेक्ट्रम कहा जाता है, जिसे अलग-अलग आवृत्ति के बैंडों में विभाजित किया जाता है।
- इन सभी एयरवेव्स को एक निश्चित अवधि के लिये बेचा जाता है, जिसके बाद उनकी वैधता समाप्त हो जाती है, यह अवधि आमतौर पर 20 वर्षों के लिये निर्धारित की जाती है।
- सेलफोन और वायरलाइन जैसे उपकरणों को एक-दूसरे छोर से जोड़ने के लिये सिग्नल की आवश्यकता होती है। इन सिग्नलों को वायु तरंगों या एयरवेव्स (रेडियो तरंगों का माध्यम) द्वारा प्रेषित किया जाता है, जिन्हें किसी भी तरह के हस्तक्षेप से बचाने के लिये एक निर्दिष्ट आवृत्ति पर भेजा जाना आवश्यक है।
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नवीनतम नीलामी के बारे में:
- इससे पहले आखिरी/पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी वर्ष 2016 में की गई थी। एक नई स्पेक्ट्रम नीलामी की आवश्यकता इसलिये उत्पन्न हुई क्योंकि कंपनियों द्वारा खरीदी गई एयरवेव्स की वैधता वर्ष 2021 में समाप्त होने वाली है।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2020 में 3.92 लाख करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य पर सात आवृत्ति बैंड्स में 2251.25 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम (4G के लिये) की बिक्री को मंज़ूरी दी थी।
- इस नीलामी के माध्यम से ऐसे समय में सरकारी राजस्व संग्रह में वृद्धि की संभावना है, जब COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिये लागू प्रतिबंधों के कारण अन्य स्रोतों जैसे कि प्रत्यक्ष कर, वस्तु एवं सेवा कर (GST) आदि अप्रत्यक्ष करों में तीव्र गिरावट आई है।
- हालाँकि सरकार ने इस चरण में बहु-प्रत्याशित 5G एयरवेव्स की बिक्री को रोक दिया है, जिसकी नीलामी की घोषणा जल्द ही की जा सकती है।
- 3500 मेगाहर्ट्ज बैंड में शामिल एयरवेव्स को 5G के पहले चरण के लिये आदर्श माना जाता है।
- विभिन्न कंपनियों की माँग के आधार पर एयरवेव्स का मूल्य अधिक हो सकता है, परंतु यह आरक्षित मूल्य से नीचे नहीं जा सकता।
- एक आरक्षित मूल्य वह न्यूनतम मूल्य है जिसे एक विक्रेता खरीदारों से स्वीकार करने के लिये तैयार होता है। यदि विक्रेता को आरक्षित मूल्य या उससे अधिक की राशि नहीं प्राप्त होती है, तो वह विक्रय के लिये रखी वस्तु/सेवा को उच्चतम बोली लगाने वाले खरीदार को भी बेचने के लिये विवश नहीं होगा।
- आरक्षित मूल्य की सिफारिश भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण द्वारा की जाती है।
- सफल बोलीदाताओं को स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue) की 3% राशि देनी होगी।
- AGR को क्रमशः 3-5% और 8% के बीच स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और लाइसेंसिंग शुल्क में विभाजित किया जाता है।
- यह उपयोग और लाइसेंस शुल्क है जिसको दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications) द्वारा दूरसंचार ऑपरेटरों पर लगाया जाता है।
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संभावित खरीदार:
- स्पेक्ट्रम के लिये मौजूदा दूरसंचार कंपनियों के अलावा नई कंपनियों सहित विदेशी कंपनियाँ भी बोली लगाने हेतु पात्र हैं।
- स्पेक्ट्रम की नीलामी के बाद उसे धारण करने के लिये विदेशी कंपनियों को भारत में एक शाखा स्थापित करनी होगी और एक भारतीय कंपनी के रूप में पंजीकरण कराना होगा या एक भारतीय कंपनी के साथ सहभागिता करनी होगी।
- स्पेक्ट्रम के लिये मौजूदा दूरसंचार कंपनियों के अलावा नई कंपनियों सहित विदेशी कंपनियाँ भी बोली लगाने हेतु पात्र हैं।