भारतीय अर्थव्यवस्था
समायोजित सकल राजस्व (AGR)
- 26 Oct 2019
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये -
AGR, दूरसंचार विभाग, TDSAT
मेन्स के लिये-
भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग द्वारा निर्धारित समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue-AGR) की गणना प्रक्रिया के खिलाफ दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों की याचिका खारिज कर दी।
क्या था मामला?
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General-CAG) ने अपनी एक रिपोर्ट में दूरसंचार कंपनियों पर 61,064.5 करोड़ रुपए की बकाया राशि प्रदर्शित की थी।
- दूरसंचार विभाग द्वारा दायर याचिका में विभाग ने कुल बकाया शुल्क पर ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज की मांग की, जिसका निजी कंपनियों ने विरोध किया।
- न्यायालय ने केंद्र सरकार को कपंनियों से AGR की वसूली की अनुमति दे दी है, जो लगभग 92,641 करोड़ रुपए है। इसमें 25% ही वास्तविक बकाया है, बाकी रकम ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज है।
- भारतीय एयरटेल पर लाइसेंस शुल्क के रूप में लगभग 21700 करोड़ रुपए और वोडाफोन, आइडिया पर 28,300 करोड़ रुपए का बकाया है।
- बाकी प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में रिलायंस जियो को मात्र 13 करोड़ रुपए देने की आवश्यकता है।
समायोजित एकल राजस्व क्या है?
- एजीआर (AGR) की अवधारणा का विकास वर्ष 1999 की नई दूरसंचार नीति के तहत हुआ।
- इसी नीति के अनुसार कपंनियों को लाइसेंस शुल्क और आवंटित स्पेक्ट्रम के उपयोग शुल्क का भुगतान ‘राजस्व अंश’ के रूप में करना होता है।
- सामान्य अर्थों में राजस्व की जो मात्रा इस राजस्व अंश की गणना में प्रयोग की जाती है उसे समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue-AGR) कहते हैं।
- लेकिन दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुसार, इस गणना में दूरसंचार कंपनियों द्वारा अर्जित की गई सभी प्रकार की आय, गैर दूरसंचार स्रोतों जैसे- जमाराशियों पर ब्याज या संपत्ति विक्रय से प्राप्त आय भी शामिल होनी चाहिये।
- जबकि दूrसंचार कंपनियों के अनुसार, AGR की गणना प्रमुख रूप से दूरसंचार सेवाओं से अर्जित आय पर ही की जानी चाहिये।
विवाद के कारण
- वर्ष 2005 में सेल्युलर ऑपरेशन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cellular Operation Association of India) जिसमें एयरटेल और वोडाफोन तथा आइडिया जैसी कंपनियाँ शामिल थीं, ने दूरसंचार विभाग की इस गणना प्रक्रिया को चुनौती दी।
- उल्लेखनीय है कि दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील प्राधिकरण (Telecom Disputes Settlement and appellate tribunal-TDSAT) के वर्ष 2015 के निर्णय के अनुसार, AGR के अंतर्गत पूंजीगत प्राप्तियाँ, गैर-दूरसंचार गतिविधियों से प्राप्त आय, संपत्ति की बिक्री, लाभांश, ब्याज और अन्य आय को छोड़कर बाकी सभी प्राप्तियाँ शामिल थीं। दूरसंचार विभाग ने इसके विरोध में याचिका दायर की।
न्यायालय के फैसले के दूरगामी प्रभाव
- उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का उन कंपनियों, जिन पर बकाया राशि अधिक है, पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। इनमें वोडाफोन इंडिया लिमिटेड शीर्ष पर है।
- इस फैसले से सरकार को भी अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।
- इस फैसले के बाद दूरसंचार बाजार के द्विध्रुवीय होने की पूरी संभावना है।
दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील प्राधिकरण
(Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal-TDSAT)
- TDSAT की स्थापना वर्ष 2000 में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम (Telecom Regulatory Authority of India Act), 1997 के तहत की गई थी।
- इसका गठन दूरसंचार क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं के हितों से संबंधित विवादों के नियमन के लिये किया गया था।