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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सॉलिड-स्टेट बैटरी

  • 03 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सॉलिड-स्टेट बैटरी, सॉलिड-स्टेट और ली-आयन बैटरी के बीच अंतर, बैटरी के प्रकार।

मेन्स के लिये:

सॉलिड-स्टेट बैटरी, सॉलिड-स्टेट और ली-आयन बैटरी के बीच अंतर, सॉलिड-स्टेट बैटरी के फायदे, जलवायु परिवर्तन से लड़ने में आधुनिक बैटरियों की भूमिका, आधुनिक बैटरी ऑटोमोबाइल उद्योग में कैसे क्रांति ला सकती है।

चर्चा में क्यों?

कार निर्माता वोक्सवैगन ने क्वांटमस्केप के साथ साझेदारी के माध्यम से वर्ष 2025 तक सॉलिड-स्टेट बैटरी के उत्पादन की योजना बनाई है।

  • क्वांटमस्केप की सॉलिड-स्टेट बैटरी को दो इलेक्ट्रोड को अलग करने वाले एक ठोस इलेक्ट्रोलाइट के साथ लिथियम धातु की एक संभावना के रूप में देखा जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • एक सॉलिड-स्टेट बैटरी में लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में अधिक ऊर्जा घनत्व होता है जो इलेक्ट्रोलाइट समाधान का उपयोग करती है। इसमें विस्फोट या आग का खतरा नहीं है, इसलिये सुरक्षा हेतु विभिन्न घटकों की आवश्यकता नहीं होती है, इस प्रकार इससे अधिक स्थान की बचत होती है। तब हमारे पास अधिक सक्रिय सामग्री प्रयोग करने के लिये अधिक स्थान होता है जो बैटरी क्षमता को बढ़ाता है।
    • एक सॉलिड-स्टेट बैटरी प्रति यूनिट क्षेत्र में ऊर्जा घनत्व बढ़ा सकती है क्योंकि कम संख्या में बैटरियों की आवश्यकता होती है। इस कारण से एक सॉलिड-स्टेट बैटरी मॉड्यूल और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बैटरी सिस्टम बनाने हेतु एकदम सही है एवं इसके लिये उच्च क्षमता की आवश्यकता होती है।
    • आज के मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली लिथियम-आयन सेल्स का ऊर्जा घनत्व पुरानी पीढ़ी की निकल-कैडमियम बैटरी की तुलना में लगभग चार गुना अधिक है।
    • पिछले एक दशक में प्रौद्योगिकी में सुधार के बावजूद लंबे समय तक चार्जिंग समय और कमज़ोर ऊर्जा घनत्व जैसे मुद्दे बने रहते हैं। जबकि लिथियम-आयन बैटरी को फोन और लैपटॉप के लिये पर्याप्त रूप से कुशल बैटरी के रूप में देखा जाता है, फिर भी उनमें उस सीमा की कमी होती है जो ईवीएस को आंतरिक दहन इंजन के लिये एक व्यवहार्य विकल्प बनाती है।

लिथियम आयन बैटरी:

  • परिचय:
    • यह एक गैर-रिचार्जेबल लिथियम बैटरी में उपयोग किये जाने वाले धातु लिथियम की तुलना में एक इलेक्ट्रोड सामग्री के रूप में इंटरकलेटेड (इंटरकलेशन स्तरित संरचनाओं के साथ सामग्री में एक अणु का प्रतिवर्ती समावेश या सम्मिलन है) लिथियम यौगिक का उपयोग करता है।
    • बैटरी में इलेक्ट्रोलाइट होता है जो आयनिक गति की अनुमति देता है और लिथियम-आयन बैटरी सेल के घटक दो इलेक्ट्रोड होते हैं।
    • डिस्चार्ज के दौरान लिथियम आयन नकारात्मक इलेक्ट्रोड से सकारात्मक इलेक्ट्रोड में चले जाते हैं और चार्ज करते समय वापस आ जाते हैं।
    • बैटरी के डिस्चार्ज होने के दौरान लिथियम आयन नेगेटिव इलेक्ट्रोड से पॉज़िटिव इलेक्ट्रोड की ओर गति करते हैं , जबकि चार्ज होते समय विपरीत दिशा में।
  • लिथियम-आयन बैटरी का उपयोग:
    •  इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, टेली-कम्युनिकेशन, एयरोस्पेस, औद्योगिक अनुप्रयोग।
    • लिथियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये पसंदीदा ऊर्जा स्रोत बन गई है।
  • लिथियम-आयन बैटरी की कमियाँ:
    • लंबी चार्जिंग अवधि।
    • एक बड़ी समस्या यह है कि लिथियम धातु अत्यंत प्रतिक्रियाशील है। जिससे  कई बार इन बैटरियों में आग लगने की घटनाएँ सामने आने से इसे लेकर सुरक्षा चिंताएँ भी बनी रहती हैं।
    • खर्चीली निर्माण प्रक्रिया।
    • यद्यपि लिथियम-आयन बैटरी को फोन और लैपटॉप जैसे अनुप्रयोगों के लिये पर्याप्त रूप से कुशल माना जाता है, परंतु इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में इसकी बैटरी की रेंज (एक चार्जिंग में अधिकतम दूरी तय करने की क्षमता) के संदर्भ में प्रौद्योगिकी में इतना सुधार नहीं हुआ है जो इन्हें आतंरिक दहन इंजन वाले वाहनों की तुलना में एक वहनीय विकल्प बना सके। 
  • लिथियम-आयन के लाभ:
    • उच्च सेल ऊर्जा घनत्व:
      • सॉलिड-स्टेट बैटरी तकनीक के लाभों में उच्च सेल ऊर्जा घनत्व (कार्बन एनोड को समाप्त करके), चार्जिग का कम समय (पारंपरिक लिथियम-आयन कोशिकाओं में लिथियम को कार्बन कणों में फैलाने की आवश्यकता को समाप्त करके), कार्य करने की अधिक क्षमता शामिल है। चार्जिंग साइकिल,लंबी अवधि तक कार्य करने में सक्षम और बेहतर सुरक्षा।
    •  लागत प्रभावी:
      • कम लागत एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, यह देखते हुए कि कुल लागत का 30% बैटरी खर्च वाहन की लागत का एक प्रमुख चालक है।
      • क्वांटमस्केप का दावा है कि वह कई वर्षों में लिथियम-आयन बैटरी की लागत के मुकाबले बैटरी की लागत को 15-20% तक कम करने का लक्ष्य बना रहा है।
  • सॉलिड-स्टेट बैटरियों के अन्य संभावित विकल्प:
    • ग्रैफीन बैटरी:लिथियम बैटरियों को बार-बार चार्ज करने की आवश्यकता इसकी वहनीयता को सीमित करती है, ऐसे में ग्रैफीन बैटरियाँ इसका एक महत्त्वपूर्ण विकल्प हो सकती हैं।  ग्रैफीन हाल ही में स्थिर और पृथक किया गया पदार्थ है।  
    • फ्लोराइड बैटरी: फ्लोराइड बैटरियों में लिथियम बैटरी की तुलना में आठ गुना अधिक समय तक चलने की क्षमता है।
    • सैंड बैटरी: लिथियम-आयन बैटरी के इस वैकल्पिक प्रकार में वर्तमान ग्रेफाइट लि-आयन बैटरी की तुलना में तीन गुना बेहतर प्रदर्शन करने के लिये सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है। यह भी स्मार्टफोन में प्रयोग की जाने वाले लिथियम-आयन बैटरी के समान होती है परंतु इसमें एनोड के रूप में में ग्रेफाइट के बजाय सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है। 
    • अमोनिया संचालित बैटरी: अमोनिया से चलने वाली बैटरी का शायद बाज़ार में शीघ्र उपलब्ध होना संभव न हो परंतु आमतौर पर घरेलू क्लीनर के रूप में उपयोग यह रसायन लिथियम का एक विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह वाहनों और अन्य उपकरणों में लगे फ्यूल सेल को ऊर्जा प्रदान कर सकता है।
      • यदि वैज्ञानिकों द्वारा अमोनिया उत्पादन के एक ऐसे तरीके की खोज कर ली जाती है जिसमें उपोत्पाद के रूप में ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन न होता हो, तो इसे फ्यूल सेल को ऊर्जा प्रदान करने के लिये वहनीय विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ।
    • लिथियम सल्फर बैटरी: ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्त्ताओं के अनुसार, उन्होंने लिथियम-सल्फर का उपयोग करके विश्व की सबसे शक्तिशाली रिचार्जेबल बैटरी विकसित की है, जो वर्तमान में उपलब्ध सबसे मज़बूत बैटरी से चार गुना बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।
    • ऊर्ध्वाधर रूप से संरेखित कार्बन नैनोट्यूब इलेक्ट्रोड: यह लिथियम आयन बैटरी इलेक्ट्रोड हेतु अच्छा विकल्प हो सकती है जिसमें उच्च दर की क्षमता और योग्यता की आवश्यकता होती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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