भारत-म्याँमार सीमा पर स्मार्ट फेंसिंग प्रणाली | 16 Oct 2023
प्रिलिम्स के लिये:स्मार्ट फेंसिंग सिस्टम, भारत-म्याँमार सीमा मेन्स के लिये:बुनियादी ढाँचा, सीमा निगरानी और नियंत्रण, सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ और उनका प्रबंधन |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs- MHA) ने अपनी 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट में भारत-म्याँमार सीमा पर 100 किलोमीटर की स्मार्ट फेंसिंग प्रणाली (Smart Fencing System- SFS) तैयार करने की योजना पेश की है।
स्मार्ट फेंसिंग प्रणाली:
- परिचय:
- SFS एक तकनीकी रूप से उन्नत सीमा सुरक्षा बुनियादी ढाँचा है जिसे संवेदनशील सीमा क्षेत्रों पर निगरानी और नियंत्रण में सुधार व बेहतरी के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इसमें आमतौर पर भौतिक संरचनाओं, सेंसर, कैमरे और संचार प्रणालियों का संयोजन शामिल होता है।
- "स्मार्ट" शब्द का तात्पर्य सीमा पर खतरों की प्रभावी ढंग से निगरानी और प्रतिक्रिया करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की प्रणाली की क्षमता से है।
- भारत-म्याँमार सीमा के निकट स्मार्ट फेंसिंग प्रणाली की आवश्यकता:
- नृजातीय हिंसा और विद्रोह:
- मणिपुर में नृजातीय हिंसा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है, जिसके परिणामस्वरूप 3 मई, 2022 से 175 से अधिक लोगों की मौत हुई। पूर्वोत्तर राज्यों में मणिपुर में वर्ष 2022 में दर्ज कुल 201 में से 137 उग्रवाद से संबंधित घटनाएँ हुई हैं।
- मणिपुर मैतेई, नगा, कुकी, ज़ोमी, हमार विद्रोही समूहों की गतिविधियों से प्रभावित है।
- मणिपुर में नृजातीय हिंसा के लिये ज़िम्मेदार कुछ कारकों के रूप में बिना बाड़े वाली सीमा की उपस्थिति तथा म्याँमार से अनियमित प्रवासन को ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
- इसके परिणामस्वरूप विभिन्न इंडियन इंसरजेंट ग्रुप्स (IIG) द्वारा हिंसा, ज़बरन वसूली तथा विविध मांगें शुरू हो गई हैं, जो भारत के पड़ोसी देशों में सुरक्षित आश्रय/शिविर बनाए हुए हैं।
- स्मार्ट फेंसिंग प्रणाली उग्रवादियों और अवैध तत्त्वों द्वारा अनधिकृत प्रवेश तथा घुसपैठ को रोकेगी, जिससे एक गंभीर सुरक्षा समस्या का समाधान होगा।
- निगरानी बढ़ाना:
- स्मार्ट फेंसिंग प्रणाली सीमा उल्लंघनों की निगरानी तथा जवाबी कार्यवाई करने के लिये उन्नत निगरानी प्रौद्योगिकियों से लैस है।
- जटिल सुरक्षा चुनौतियों से निपटना:
- इसे सामाजिक-आर्थिक विकास, जनजातीय संघर्ष और प्रवासन जैसे कारकों के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र को नाज़ुक सुरक्षा स्थिति का सामना करना पड़ता है।
- स्मार्ट फेंसिंग प्रणाली इन खतरों को कम करने और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने हेतु एक कारगर उपाय है।
- इसे सामाजिक-आर्थिक विकास, जनजातीय संघर्ष और प्रवासन जैसे कारकों के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र को नाज़ुक सुरक्षा स्थिति का सामना करना पड़ता है।
- नृजातीय हिंसा और विद्रोह:
भारत-म्यांमार सीमा से संबंधित मुख्य बिंदु:
- भारत म्यांमार के साथ 1643 किमी. से अधिक लंबी भूमि सीमा के साथ-साथ बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा भी साझा करता है। चार पूर्वोत्तर राज्य, अर्थात् अरुणाचल प्रदेश (520 किमी.), नगालैंड (215 किमी.), मणिपुर (398 किमी.) और मिज़ोरम (510 किमी.)।
- गृह मंत्रालय की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 1,643 किमी. में से 1,472 किमी. का सीमांकन पूर्ण हो चुका है।
- म्याँमार भारत से सटा एकमात्र आसियान देश है और इसलिये, यह दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है।
- इसकी सीमा कई हिस्सों में खुली हुई और बिना फेंसिंग की है, जिससे द्विपक्षीय समझौते के तहत लोगों एवं वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही की अनुमति मिलती है। सीमा पर अवैध गतिविधियाँ भी देखी जाती हैं तथा यह विभिन्न विद्रोही समूहों की गतिविधियों से भी प्रभावित होती है जो इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और प्रायः म्याँमार में शरण लेते हैं।
- भारत और म्याँमार के बीच एक निर्बाध आवाजाही व्यवस्था (FMR) मौजूद है। “FMR के तहत पहाड़ी जनजातियों का प्रत्येक सदस्य, जो या तो भारत का नागरिक है या म्याँमार का नागरिक है और जो भारत-म्याँमार सीमा के दोनों ओर 16 किमी. के भीतर किसी भी क्षेत्र का निवासी है, सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी सीमा पास (एक वर्ष की वैधता) जारी किये जाने पर सीमा पार कर सकता है और प्रति यात्रा दो सप्ताह तक रह सकता है।
- मणिपुर सरकार ने कोविड-19 महामारी के बाद वर्ष 2020 से FMR को निलंबित कर दिया है।
- भारत और म्याँमार के बीच एक निर्बाध आवाजाही व्यवस्था (FMR) मौजूद है। “FMR के तहत पहाड़ी जनजातियों का प्रत्येक सदस्य, जो या तो भारत का नागरिक है या म्याँमार का नागरिक है और जो भारत-म्याँमार सीमा के दोनों ओर 16 किमी. के भीतर किसी भी क्षेत्र का निवासी है, सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी सीमा पास (एक वर्ष की वैधता) जारी किये जाने पर सीमा पार कर सकता है और प्रति यात्रा दो सप्ताह तक रह सकता है।
भारत में अन्य स्मार्ट फेंसिंग परियोजनाएँ:
- भारत का पहला 'स्मार्ट फेंस' पायलट प्रोजेक्ट वर्ष 2018 में भारत-पाकिस्तान सीमा पर शुरू किया गया था।
- बाद में वर्ष 2019 में भारत-बांग्लादेश सीमा पर कॉम्प्रिहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम (CIBMS) के तहत प्रोजेक्ट बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डॉमिनेटेड QRT इंटरसेप्शन टेकनीक (BOLD-QIT) लॉन्च की गई।
- CIBMS की भारत-पाकिस्तान सीमा (10 किलोमीटर) और भारत-बांग्लादेश सीमा (61 किलोमीटर) पर लगभग 71 किलोमीटर की दो पायलट परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं।
- CIBMS में अत्याधुनिक निगरानी प्रौद्योगिकियों की एक शृंखला की तैनाती शामिल है जिसमें थर्मल इमेजर्स, इन्फ्रा-रेड और लेज़र-आधारित इंट्रूडर अलार्म, हवाई निगरानी हेतु एयरोस्टैट्स, अनअटेंडेड (जिसकी रखवाली करने की आवश्यकता ना हो) ग्राउंड सेंसर्स शामिल है, जो घुसपैठ की कोशिशों का पता लगाने में सहायता कर सकता है, नदी की सीमाओं को सुरक्षित करने हेतु रडार, सोनार सिस्टम, फाइबर-ऑप्टिक सेंसर और एक कमांड तथा नियंत्रण प्रणाली जो वास्तविक समय में सभी निगरानी उपकरणों से डेटा प्राप्त करेगी।
सीमा अवसंरचना विकास का सार | |||
प्रमुख खतरे | आवश्यक कदम |
बीते समय में किये गए प्रयास |
|
पकिस्तान | युद्ध, विद्रोह, तस्करी | अच्छी तरह से प्रशिक्षित और वृहत BOLD-QIT के साथ C.I.B.M.S. निगरानी, दूरदराज़ के क्षेत्रों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाले एक से अधिक मार्ग | C.I.B.M.S., कुछ हिस्सों में लेह का तीसरा मार्ग वर्ष 2023 तक खोला जाना अपेक्षित |
चीन | युद्ध | बख्तरबंद वाहन सक्षम बुनियादी ढाँचा, उच्च ऊँचाई वाले हवाई क्षेत्र | डौलेट बेग ओल्डी हवाई परिचालन जारी, कुछ पुल और सुरंगें बख्तरबंद वाहन सक्षम |
बांग्लादेश | तस्करी, मानव तस्करी | नदी के पूरे विस्तृत क्षेत्र में C.I.B.M.S. और BOLD-QIT निगरानी | ब्रह्मपुत्र नदी क्षेत्र कवर किया जा चुका है, अत्यंत छोटी नदी क्षेत्र अभी बाकी |
नेपाल | तस्करी, मानव तस्करी | BOLD-QIT के साथ C.I.B.M.S. निगरानी | नियोजन के स्तर में |
भूटान | तस्करी | भूटान-चीन सीमा तक बख्तरबंद वाहन सक्षम सड़क संपर्क | सीमा सड़क संगठन द्वारा इस दिशा में कार्य जारी |
म्याँमार | तस्करी, विद्रोह | उग्रवाद से निपटने के लिये बड़े और अधिक कुशल BOLD-QIT के साथ C.I.B.M.S. निगरानी, सैनिकों की त्वरित आवाजाही के लिये सड़कें | कुछ सड़कें मौजूद हैं, C.I.B.M.S. नियोजन के स्तर पर |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सीमा प्रबंधन विभाग निम्नलिखित में से किस केंद्रीय मंत्रालय का एक विभाग है? (2008) (a) रक्षा मंत्रालय उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। मेन्स:प्रश्न: भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। इन संकटों का मुकाबला करने के लिये आवश्यक उपायों पर भी चर्चा कीजिये। (2021) प्रश्न: प्रभावी सीमावर्ती क्षेत्र प्रबंधन हेतु हिंसावादियों को स्थानीय समर्थन से वंचित करने के आवश्यक उपायों की विवेचना कीजिये और स्थानीय लोगों में अनुकूल धारणा प्रबंधन के तरीके भी सुझाइये। (2020) प्रश्न: आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा नियंत्रण रेखा (LoC) सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा इस संदर्भ में निभाई गई भूमिका की भी चर्चा कीजिये। (2020) प्रश्न: दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। ( 2016) |