जैव विविधता और पर्यावरण
स्लज प्रबंधन
- 11 May 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, स्लज, अर्थ गंगा परियोजना मेन्स के लिये:उर्वरक और जैव ईंधन के रूप में भारतीय सीवेज उपचार संयंत्रों में कीचड़/स्लज प्रबंधन का संभावित उपयोग |
चर्चा में क्यों?
भारतीय सीवेज उपचार संयंत्रों (STP) में पाया जाने वाला कीचड़ गंगा नदी के प्रदूषित जल के उपचार के प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस कीचड़ के किये गए एक अध्ययन ने उर्वरक और संभावित जैव ईंधन के रूप में उपयोग की क्षमता का खुलासा किया।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने 'अर्थ गंगा' (गंगा से आर्थिक मूल्य) नामक एक उभरती पहल शुरू की है जिसका उद्देश्य प्रदूषण को रोकना और गंगा नदी का कायाकल्प करना है।
- इस पहल का उद्देश्य नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम से आजीविका के अवसर प्राप्त करना है और इसमें उपचारित अपशिष्ट जल तथा कीचड़ के मुद्रीकरण एवं पुन: उपयोग के उपाय शामिल हैं।
कीचड़/स्लज:
- परिचय:
- कीचड़ मल-जल उपचार संयंत्रों में अपशिष्ट जल या सीवेज के उपचार के दौरान उत्पन्न होने वाला गाढ़ा अवशेष है।
- यह अर्द्ध-ठोस सामग्री है जो सीवेज के तरल हिस्से को अलग करने और उपचारित करने के बाद बची रहती है।
- उपयोग किये गए स्रोत और उपचार प्रक्रियाओं के आधार पर कीचड़ की संरचना भिन्न हो सकती है।
- इसमें आमतौर पर कार्बनिक यौगिक, पोषक तत्त्व (जैसे नाइट्रोजन और फास्फोरस) और सूक्ष्मजीव होते हैं।
- हालाँकि कीचड़ में भारी धातु, औद्योगिक प्रदूषक और रोगजनकों जैसे संदूषक भी हो सकते हैं।
- कीचड़ के उपचार और प्रसंस्करण से जैविक खाद, ऊर्जा उत्पादन के लिये बायोगैस या निर्माण सामग्री प्राप्त हो सकती है।
- कीचड़ संदूषकों से जल निकायों और कृषि भूमि को नकारात्मक प्रभावों से बचाने हेतु सावधानीपूर्वक प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
- उपचारित कीचड़/स्लज का वर्गीकरण:
- कीचड़ को संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मानकों के अनुसार श्रेणी A या श्रेणी B के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- श्रेणी A कीचड़ खुले निपटान हेतु सुरक्षित है और जैविक खाद के रूप में कार्य करता है।
- श्रेणी B कीचड़ का उपयोग प्रतिबंधित कृषि अनुप्रयोगों में किया जा सकता है, जिसमें फसलों के खाद्य भागों को कीचड़-मिश्रित मृदा के संपर्क में आने से बचाने एवं जानवरों तथा लोगों के साथ संपर्क को सीमित करने हेतु सावधानी बरती जाती है।
- भारत में कीचड़ को श्रेणी A या B के रूप में वर्गीकृत करने हेतु स्थापित मानक नहीं हैं।
- कीचड़ को संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मानकों के अनुसार श्रेणी A या श्रेणी B के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- भारतीय STP में कीचड़ की स्थिति:
- नमामि गंगे मिशन के तहत ठेकेदारों को कीचड़ निस्तारण हेतु ज़मीन दी गई है।
- हालाँकि इन ठेकेदारों द्वारा कीचड़ के अपर्याप्त उपचार के कारण वर्षा के दौरान इसे नदियों और स्थानीय जल स्रोतों में छोड़ दिया जाता है।
- कीचड़ के रासायनिक गुणों से संबंधित डेटा के माध्यम से निजी अभिकर्त्ताओं को कीचड़ के उपचार एवं निपटान हेतु प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- यह अध्ययन भारत में अपनी तरह की पहली पहल है, जिसका उद्देश्य कीचड़ निपटान के मुद्दे को प्रभावी ढंग से उजागर करना है।
- नमामि गंगे मिशन के तहत ठेकेदारों को कीचड़ निस्तारण हेतु ज़मीन दी गई है।
अध्ययन के निष्कर्ष:
- प्रमुख बिंदु:
- अधिकांश सूखे गाद का विश्लेषण श्रेणी B में आता है।
- नाइट्रोजन और फास्फोरस का स्तर भारत के उर्वरक मानकों से अधिक है, जबकि पोटेशियम का स्तर अनुशंसित से कम है।
- कुल कार्बनिक सामग्री अनुशंसित से अधिक है, लेकिन भारी धातु संदूषण एवं रोगजनक स्तर उर्वरक मानकों से अधिक हैं।
- गाद का कैलोरी मान 1,000-3,500 किलो कैलोरी/किग्रा. होता है, जो भारतीय कोयले से कम है।
- कीचड़ की गुणवत्ता में सुधार के लिये सिफारिशें:
- रोगजनकों को मारने के लिये कम-से-कम तीन महीने तक कीचड़ के भंडारण की सिफारिश की जाती है।
- मवेशी खाद, भूसी अथवा स्थानीय मृदा के साथ कीचड़ को मिलाने से भारी धातु की मात्रा कम हो सकती है।
- हालाँकि इन उपाय के बावजूद अभी भी कीचड़ को वर्ग B के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
- कीचड़ को श्रेणी A में बदलने के लिये अधिक व्यापक उपचार की आवश्यकता होगी।
अर्थ गंगा परियोजना:
- परिचय:
- 'अर्थ गंगा' का तात्पर्य गंगा से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान देने के साथ सतत् विकास मॉडल विकसित करना है।
- दिसंबर 2019 में संपन्न हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद (National Ganga Council- NGC) की प्रथम बैठक में प्रधानमंत्री ने गंगा नदी से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही ‘नमामि गंगे’ परियोजना को ‘अर्थ-गंगा’ जैसे सतत् विकास मॉडल में परिवर्तित करने का आग्रह किया था।
- अर्थ गंगा के तहत सरकार छह कार्यक्षेत्रों पर काम कर रही है:
- पहला ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती है, जिसमें नदी के दोनों ओर 10 किमी. तक रासायनिक मुक्त खेती और गोबर-धन योजना के माध्यम से खाद के रूप में गोबर को बढ़ावा देना शामिल है।
- दूसरा कचरा और अपशिष्ट जल का मुद्रीकरण एवं पुन: उपयोग करना है, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों (ULB) के लिये सिंचाई, उद्योगों तथा राजस्व सृजन हेतु उपचारित जल का पुन: उपयोग करना शामिल है।
- अर्थ गंगा में हाट बनाकर आजीविका सृजन के अवसर भी शामिल होंगे जहाँ लोग स्थानीय उत्पाद, औषधीय पौधे और आयुर्वेदिक उत्पाद बेच सकते हैं।
- चौथा है नदी से जुड़े हितधारकों के बीच तालमेल बढ़ाकर जनभागीदारी बढ़ाना।
- मॉडल नाव पर्यटन, साहसिक खेलों और योग गतिविधियों के माध्यम से गंगा एवं उसके आसपास की सांस्कृतिक विरासत तथा पर्यटन को बढ़ावा देगा।
- मॉडल उचित जल प्रशासन के लिये स्थानीय प्रशासन को सशक्त बनाकर संस्थागत विकास को बढ़ावा देना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.निम्नलिखित में से कौन-सी 'राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (National Ganga River Basin Authority- NGRBA)' की प्रमुख विशेषताएँ हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. नमामि गंगे और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) कार्यक्रमों पर और इससे पूर्व की योजनाओं से मिश्रित परिणामों के कारणों पर चर्चा कीजिये। गंगा नदी के परिरक्षण में कौन-सी प्रमात्रा छलांगें, क्रमिक योगदानों की अपेक्षा ज़्यादा सहायक हो सकती हैं? (2015) |