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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत के लिये हिंद महासागर आयोग का महत्त्व

  • 24 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

हिंद महासागर आयोग, मेस (MASE) कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

भारत के लिये हिंद महासागर आयोग का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘हिंद महासागर आयोग’ (Indian Ocean Commision- IOC) में भारत को ‘पर्यवेक्षक’ के रूप में शामिल किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • IOC द्वारा आयोग के 34वीं मंत्रिपरिषद बैठक (6 मार्च 2020) में भारत को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया।
  • IOC देश मुख्यत: ‘पश्चिमी हिंद महासागर’ (Western Indian Ocean- WIO) क्षेत्र में स्थित हैं। 
  • ‘पश्चिमी हिंद महासागर’ एक रणनीतिक क्षेत्र है जो अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट को न केवल हिंद महासागर से अपितु अन्य महत्त्वपूर्ण महासागारों से भी जोड़ता है।

हिंद महासागर आयोग (IOC):

  • ‘हिंद महासागर आयोग, एक अंतर-सरकारी संगठन है जो ‘दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर’ क्षेत्र में बेहतर सागरीय-अभिशासन (Maritime Governance) की दिशा में कार्य करता है तथा यह आयोग पश्चिमी हिंद महासागर के द्वीपीय राष्ट्रों को सामूहिक रूप से कार्य करने हेतु मंच प्रदान करता है।
  • IOC की स्थापना वर्ष 1982 में की गई थी तथा इसका मुख्यालय एबेने (Ebene) मॉरिशस में अवस्थित है। 
  • वर्तमान में हिंद महासागर आयोग में पाँच देश; कोमोरोस, मेडागास्कर, मॉरीशस, रियूनियन (फ्राँस के नियंत्रण में) और सेशल्स शामिल हैं।
  • वर्तमान में भारत के अलावा इस आयोग के चार पर्यवेक्षक- चीन, यूरोपीय यूनियन, माल्टा तथा इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ ला फ्रांसोफोनी (International Organisation of La Francophonie- OIF) हैं।
  • हाल ही में IOC ने समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में नेतृत्त्व का प्रदर्शन किया है। चूँकि भारत तथा हिंद महासागर के तटीय देशों के मध्य संबंधों का निर्धारण समुद्री सुरक्षा के आधार पर किया जाता है।  अत: भारत के लिये IOC के महत्त्व को समुद्री सुरक्षा के आधार पर समझा जाना चाहिये।

IOC

IOC की प्रमुख पहल:

यूरोपीय संघ का मेस (MASE) कार्यक्रम:

  • MASE कार्यक्रम वर्ष 2013 में यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रम के रूप में प्रारंभ किया गया था। जिसका उद्देश्य दक्षिणी-पूर्वी अफ्रीका और हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देना था। MASE कार्यक्रम के तहत IOC ने दो क्षेत्रीय केंद्रों के साथ पश्चिमी हिंद महासागर की निगरानी और नियंत्रण के लिये एक तंत्र स्थापित किया है।
  • क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र: 
    • मेडागास्कर में स्थित 'क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र' (Regional Maritime Information Fusion Center-  RMIFC) का निर्माण समुद्री गतिविधियों की निगरानी और सूचना साझाकरण एवं विनिमय को बढ़ावा देकर समुद्री डोमेन के प्रति जागरूकता में वृद्धि करना था। 
    • सेशेल्स में स्थित क्षेत्रीय समन्वय संचालन केंद्र (Regional Coordination Operations Centre- RCOC) RMIFC के माध्यम से एकत्रित जानकारी के आधार पर समुद्र में संयुक्त रूप से समन्वित हस्तक्षेप की सुविधा प्रदान करेगा।
  • सोमालिया तट पर पाइरेसी पर संपर्क समूह:
    • IOC ने वर्ष 2018 और 2019 में 'सोमालिया तट पर पाइरेसी पर संपर्क समूह' (Contact Group on Piracy off the Coast of Somalia- CGPCS) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 

भारत की भूमिका:

  • IOC समुद्री सुरक्षा की दिशा में मज़बूती से कार्य कर रहा है लेकिन इसे मजबूत क्षेत्रीय नेतृत्त्वकर्त्ता की आवश्यकता है। भारत ने एक मज़बूत पर्यवेक्षक के रूप में IOC में शामिल होकर इस संगठन के प्रति अपनी रुचि जाहिर की है।
  • भारत पश्चिमी हिंद महासागर के समुद्री देशों की समुद्री क्षमता निर्माण में मदद कर सकता है। 
  • भारत, पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र के देशों की ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ (Exclusive Economic Zone- EEZ) क्षेत्र में गश्त करने की क्षमता विकसित करने में सहायता कर सकता है।

आगे की राह:

  • सोमालिया के तट पर समुद्री डकैती को रोकने सहित क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा संगठन को समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से एक प्रभावी ढाँचे के रूप में देखा जा रहा है। 
  • IOC में भारत के पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होने से भारत को न केवल राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी अपितु हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में अन्य देशों की भी सहायता प्रदान कर सकेगा।

स्रोत: द हिंदू

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