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सामाजिक न्याय

ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी को दूर करने हेतु लघु चिकित्सा पाठ्यक्रम

  • 26 Jun 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता

मेन्स के लिये:

भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की संभावनाएँ, भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित मुद्दे, स्वास्थ्य से संबंधित हालिया सरकारी पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने उन चिकित्सकों के लिये एक लघु चिकित्सा पाठ्यक्रम प्रस्तावित किया जो ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) पर अपनी सेवाएँ देंगे।

  • इस प्रस्ताव का उद्देश्य उन ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की कमी को दूर करना है जहाँ भारतीय आबादी का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिशत (लगभग 65%) रहता है।
  • इसी प्रकार की पहल छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों में भी लागू की गई है जहाँ गाँवों में सेवा देने के लिये ग्रामीण चिकित्सा सहायक (RMA) तैयार करने वाला तीन वर्षीय सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों के लिये प्रस्तावित लघु चिकित्सा पाठ्यक्रम:

  • परिचय:
    • भारत में प्रस्तावित लघु चिकित्सा पाठ्यक्रम चिकित्सकों के लिये तीन वर्ष का चिकित्सा डिप्लोमा पाठ्यक्रम है जो ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) पर अपनी सेवाएँ देंगे। यह पाठ्यक्रम नियमित MBBS पाठ्यक्रम से भिन्न है।
    • लघु चिकित्सा पाठ्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम-स्तरीय देखभाल प्रदान करने पर केंद्रित है, जबकि नियमित MBBS पाठ्यक्रम चिकित्सा विज्ञान और अभ्यास के सभी पहलुओं को शामिल करता है।
      • लघु चिकित्सा पाठ्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में जटिल एवं विविध परिस्थितियों से निपटने के लिये प्रशिक्षुओं को पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं कर सकता है, जबकि नियमित MBBS पाठ्यक्रम चिकित्सकों को किसी भी तरह की स्थिति के लिये तैयार या प्रशिक्षित करता है।
  • लाभ:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता में वृद्धि करना।
    • स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं एवं आपात स्थितियों हेतु त्वरित प्रतिक्रिया देना।
    • संसाधन की कमी वाले क्षेत्रों के लिये लागत प्रभावी समाधान उपलब्ध कराना।
    • ग्रामीण समुदायों हेतु उन्नत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ।
  • कमियाँ:
    • जटिल चिकित्सा क्षेत्रों में सीमित विशेषज्ञता।
    • ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के मुद्दों के संबंध में अपर्याप्त जानकारी।
    • चिकित्सा क्षेत्र के शिक्षा मानकों के स्तर में संभावित कमी।
      • इससे भेदभाव संबंधी चिंताएँ उत्पन्न होना स्वाभाविक है, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप शहरी आबादी के लिये अधिक योग्य चिकित्सक प्राप्त की तुलना में ग्रामीण आबादी हेतुकम योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता नियुक्त किये जा सकते हैं।
    • इससे डॉक्टरों की कमी में योगदान देने वाले अंतर्निहित संरचनात्मक मुद्दों का समाधान नहीं किया जा सकता है।

ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार ग्रामीण भारत में डॉक्टरों की स्थिति:

  • ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की काफी कमी है।
  • आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या में लगभग 80% की कमी है।
  • विशेषज्ञ डॉक्टरों में सर्जन (83.2%), प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (74.2%), चिकित्सक (79.1%) और बाल रोग विशेषज्ञ (81.6%) शामिल हैं।
  • CHC में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या वर्ष 2005 के 3,550 से 25% बढ़कर वर्ष 2022 में 4,485 हो गई है।
    • हालाँकि CHC में वृद्धि के परिणामस्वरूप विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता बढ़ गई है जिससे असमानता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
  • विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के अतिरिक्त PHC और उप-केंद्रों में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं एवं सहायक नर्सिंग दाइयों की भी संख्या कम है, इनमें से 14.4% पद खाली पड़े हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी की समस्या से संबंधित चुनौतियाँ:

  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और संसाधन:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी यहाँ की सीमित स्वास्थ्य सुविधाएँ और संसाधन से संबंधित है।
  • विशिष्ट देखभाल व्यवस्था तक सीमित पहुँच:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञों की कमी के कारण जटिल चिकित्सीय इलाज में देरी होती है अथवा पर्याप्त इलाज नहीं हो पाता है।
  • ग्रामीण प्रथा से विमुखता:
    • बेहतर कॅरियर की संभावनाओं, जीवनशैली जैसी प्राथमिकताओं और ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित व्यावसायिक विकास के अवसरों के कारण डॉक्टर प्रायः शहरी परिवेश को प्राथमिकता देते हैं।
  • मेडिकल कॉलेजों का असमान वितरण:
    • शहरी क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेजों के संकेंद्रण के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी देखी जाती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की निम्न प्रतिधारण दर:
    • पर्याप्त सहायता, सुविधाएँ और विकास की संभावनाएँ प्रदान करने में कठिनाइयों के कारण दूर-दराज़ या ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों को बनाए रखना कठिन है।
  • सामाजिक आर्थिक कारक:
    • गरीबी, सीमित शैक्षिक अवसर और अविकसित बुनियादी ढाँचा ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कम उपलब्धता में योगदान करते हैं।
  • शैक्षिक असमानताएँ:
    • गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा तक असमान पहुँच शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को प्रोत्साहित करती है।

हेल्थकेयर से संबंधित हालिया सरकारी पहल:

आगे की राह

  • टेलीमेडिसिन और टेलीहेल्थ सेवाएँ:
    • ग्रामीण रोगियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच अंतर को समाप्त करते हुए दूरस्थ परामर्श एवं चिकित्सा सेवाओं हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
  • मध्य-स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता:
    • डॉक्टरों की देख-रेख में ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक देखभाल सेवाएँ प्रदान करने हेतु चिकित्सा सहायकों और नर्स तथा चिकित्सकों हेतु प्रशिक्षण एवं तैनाती सुनिश्चित करना।
  • ग्रामीण स्वास्थ्य क्लिनिक और आउटरीच कार्यक्रम:
    • चिकित्सा सेवाओं को सीधे ग्रामीण समुदायों तक पहुँचाने हेतु स्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं और मोबाइल क्लीनिकों की स्थापना करना, साथ ही इस क्षेत्र में पहुँच एवं सुविधा में सुधार करने की आवश्यकता है।
  • ग्रामीण चिकित्सा शिक्षा और आवासीय कार्यक्रम:
    • मेडिकल छात्रों और निवासियों को ग्रामीण क्षेत्रों में अभ्यास करने हेतु प्रोत्साहित करने, प्रासंगिक प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान करने के लिये विशेष कार्यक्रम शुरू करना।
  • वित्तीय प्रोत्साहन:
    • डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्र में अभ्यास हेतु आकर्षित करने और वित्तीय बोझ को कम करने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन एवं ऋण पुनर्भुगतान कार्यक्रम शुरू करना।
  • अनुसंधान और डेटा-संचालित दृष्टिकोण:
    • ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों पर निरंतर अनुसंधान और डेटा संग्रह नीति निर्माण लक्षित हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन के लिये मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है।
  • सामुदायिक सहभागिता और स्वास्थ्य जागरूकता:
    • ग्रामीण समुदायों को निवारक देखभाल और स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्व के बारे में शिक्षित एवं सशक्त बनाने के लिये जागरूकता अभियान चलाना।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संदर्भ में प्रशिक्षित सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता 'आशा' के कार्य निम्नलिखित में से कौन-से हैं? (2012)

  1. स्त्रियों की प्रसव-पूर्व देखभाल जाँच के लिये उन्हें स्वास्थ्य सुविधा केंद्र तक साथ ले जाना
  2. गर्भावस्था के प्रारंभिक संसूचन के लिये गर्भावस्था परीक्षण किट प्रयोग करना
  3. पोषण और प्रतिरक्षण के विषय में सूचना देना
  4. बच्चे का प्रसव कराना

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

उत्तर. "एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है।" विश्लेषण कीजिये। (2021)

स्रोत: द हिंदू

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