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भारतीय अर्थव्यवस्था

शेयर स्वैप अनुपात

  • 30 Oct 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये

शेयर स्वैप, बैंकों का विलय 

मेन्स के लिये

बैंकिंग सुधार, बैंकों का विलय से संबंधित मुद्दे  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों में से कम से कम सात ने विलय हेतु स्वतंत्र विशेषज्ञों को अपना शेयर स्वैप अनुपात (Share Swap Ratio) निर्धारित करने के लिये आमंत्रित किया।

पृष्ठभूमि:

  • अर्थव्यवस्था को गति देने के उद्देश्य से भारत सरकार के स्वामित्व वाले 10 बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय करने की घोषणा की गई थी। बैंक विलय संबंधी इस निर्णय के पश्चात् देश में सार्वजनिक बैंकों की कुल संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है।
  • हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र के जिन सात बैंकों ने शेयर स्वैप अनुपात निर्धारित करने की बात कही है उनमें इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक तथा सिंडीकेट बैंक शामिल हैं।

शेयर स्वैप :

  • जब कोई कंपनी लक्षित कंपनी के शेयरधारकों को अपने शेयर जारी करके अधिग्रहण के लिये उनका भुगतान करती है, तो इसे शेयर स्वैप के रूप में जाना जाता है। सरल शब्दों में कहें तो विलय या अधिग्रहण के सौदों द्वारा किसी कंपनी को खरीदने के लिये जब शेयरों को 'करेंसी' की तरह इस्तेमाल किया जाता है तो इसे शेयर स्वैप कहते हैं।
  • शेयर स्वैप में नकदी में भुगतान की आवश्यकता नहीं होती है। अगर शेयर स्वैप डील यानी शेयरों की अदला-बदली के ज़रिये एक कंपनी दूसरी कंपनी को खरीदना चाहती है तो पहली कंपनी दूसरी कंपनी के शेयरधारकों को अपने कुछ शेयर देती है और ये शेयर दूसरी कंपनी के प्रत्येक शेयर के बदले में दिए जाते हैं।
  • सौदा होने के बाद दूसरी कंपनी के शेयरों का कोई मतलब नहीं रह जाता है, यानी इनका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
  • लक्षित कंपनी में मौज़ूदा होल्डिंग्स के बदले शेयरों की संख्या जिसे स्वैप अनुपात कहा जाता है, को राजस्व और मुनाफे के साथ-साथ बाज़ार मूल्य जैसे मापकों को देखने के बाद लक्षित कंपनी का मूल्यांकन किया जाता है।

शेयर स्वैप के लाभ:

  • चूँकि लक्षित कंपनी के शेयरधारक विलय की गई इकाई के शेयरधारक भी होंगे, विलय से पूर्व अपेक्षित तालमेल का जोखिम और लाभ दोनों पक्षों द्वारा साझा किया जाएगा।
  • नकदी सौदे में यदि अधिग्रहणकर्त्ता ने प्रीमियम का भुगतान किया है और यह कोई भौतिक सहयोग नहीं है, तो ऐसे में केवल अधिग्रहण करने वाली कंपनी के शेयरधारकों की संख्या में गिरावट आती है।
  • शेयर स्वैप में उधार लेने की लागत को बचाने हेतु अधिग्रहणकर्त्ता के लिये कोई नकद निकासी शामिल नहीं है लेकिन समृद्ध कंपनियाँ व्यवसाय में या अन्य खरीद के लिये निवेश के लिये अपनी नकदी का उपयोग कर सकती हैं।
  • वहीं दूसरी ओर नए शेयर जारी करने से प्रमोटर होल्डिंग में कमी के साथ अधिग्रहणकर्त्ता/कंपनी के शेयरधारकों की कमाई में कमी आ सकती है। हालाँकि, अगर अगले कुछ वर्षों में विलय की संभावना हो तो अधिग्रहण करने वाली कंपनी कम करों के अधिरोपण का लाभ उठा सकती।
  • यह लाभ तब और बढ़ जाता है जब अधिग्रहण मूल्य अधिग्रहीत कंपनी की परिसंपत्तियों और देनदारियों के मूल्य से अधिक हो।

स्रोत: लाइवमिंट

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