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भारतीय राजनीति

संसदीय लोकतंत्र में शैडो कैबिनेट

  • 18 Jul 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

शैडो कैबिनेट, विपक्ष के नेता (LoP), किचन कैबिनेट, संसद 

मेन्स के लिये:

भारत में शैडो कैबिनेट, नियंत्रण एवं संतुलन 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विपक्ष के नेता (LoP) और बीजू जनता दल (BJD) के अध्यक्ष ने ओडिशा विधानसभा के 50 बीजेडी सदस्यों (विधायकों) को शामिल करते हुए एक 'शैडो कैबिनेट' का गठन किया है।

  • यह घटनाक्रम राज्य में भारतीय जनता पार्टी की हालिया चुनावी सफलताओं के मद्देनज़र हुआ है, जो विधायी गतिशीलता (Legislative Dynamics) में महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।

शैडो कैबिनेट क्या है?

  • परिचय: शैडो कैबिनेट में विपक्षी विधायक/सांसद शामिल होते हैं, जो सरकार के मंत्रियों के विभागों को दर्शाते हैं। विपक्ष के नेता के नेतृत्व में शैडो कैबिनेट विभिन्न विभागों और मंत्रालयों में सत्तारूढ़ सरकार के कार्यों की निगरानी तथा आलोचना करता है।
    • विश्व भर के संसदीय लोकतंत्रों में, शैडो कैबिनेट की अवधारणा शासन और विपक्ष की गतिशीलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • वेस्टमिंस्टर प्रणाली से उत्पन्न और यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा तथा न्यूज़ीलैंड जैसे देशों में प्रमुख रूप से उपयोग की जाने वाली शैडो कैबिनेट की अवधारणा विपक्षी सांसदों को सत्तारूढ़ सरकार की नीतियों की जाँच करने तथा उन्हें चुनौती देने के लिये एक संरचित ढाँचा प्रदान करती है।
  • लाभ:
    • विशिष्ट मंत्रालयों की छाया में काम करके, सांसदों को गहन ज्ञान और विशेषज्ञता प्राप्त होती है, जिससे वे संसदीय परिचर्चाओं के दौरान सरकार की नीतियों को प्रभावी ढंग से चुनौती दे पाते हैं।
    • यह विपक्षी सांसदों को नेतृत्व का अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है, जो उन्हें शैडो कैबिनेट में उनके प्रदर्शन के आधार पर भविष्य में मंत्री की भूमिकाओं के लिये तैयार करता है।
    • कार्यकारी कार्यों की सुदृढ़ जाँच सुनिश्चित करके और सार्वजनिक नीतियों पर सूचित परिचर्चाओं (Informed Debates) को बढ़ावा देकर संसदीय लोकतंत्र को मज़बूत करता है।
      • सरकारी नीतियों के लिये एक विश्वसनीय विकल्प प्रस्तुत करके, शैडो कैबिनेट यह सुनिश्चित करता है कि निर्णयों पर पूर्ण परिचर्चा और जाँच की जाए, जिससे जल्दबाज़ी या मनमाने विधायी कार्यों को रोका जा सके।
  • चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:
    • भारत की बहुदलीय प्रणाली में, अलग-अलग दलों की प्राथमिकताओं और विचारधाराओं के कारण एकीकृत शैडो कैबिनेट का समन्वय करने से चुनौतियों का सामना करता है।
    • आलोचकों का तर्क है कि विशिष्ट मंत्रालयों पर ध्यान केंद्रित करने से सांसदों की शासन संबंधी मुद्दों की समग्र समझ सीमित हो सकती है। हालाँकि समर्थकों का यह भी कहना है कि शैडो कैबिनेट में समय-समय पर फेरबदल करके इस चिंता को दूर किया जा सकता है।
    • वैधानिक पद होने के बावजूद, विपक्ष के नेता की मान्यता और शैडो कैबिनेट का संस्थागतकरण अलग-अलग हो सकता है, जिससे विभिन्न संसदीय सत्रों में उनकी प्रभावशीलता पर प्रभाव पड़  सकता है।
  • भारतीय लोकतंत्र के लिये संभावित निहितार्थ:
    • सभी विधायी कार्रवाइयों पर गहन वाद-विवाद और उनका न्यायोचित होना सुनिश्चित करते हुए शैडो कैबिनेट को संस्थागत रूप देने से संसद के कामकाज का निगरानी तंत्र सुदृढ़ हो सकता है।
      • नीतियों के लिये सुसंगत विकल्प प्रस्तुत कर शैडो कैबिनेट संसदीय कार्यवाही में जनता का विश्वास बढ़ा सकता है और विपक्षी दल को शासन के विश्वसनीय विकल्प के रूप में प्रदर्शित कर सकता है।
    • व्यक्तित्व-संचालित राजनीति से नीति-केंद्रित बहसों की ओर बदलाव को प्रोत्साहित करते हुए, शैडो कैबिनेट शासन और सार्वजनिक नीति पर अधिक व्यापक चर्चा को बढ़ावा देता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण:
    • यूनाइटेड किंगडम: शैडो कैबिनेट को नेता प्रतिपक्ष (विपक्ष का नेता) द्वारा सरकार के मंत्रिमंडल को प्रतिबिंबित करने के लिये नियुक्त किया जाता है।
      • इसके अंतर्गत सत्तारूढ़ विपक्ष को एक वैकल्पिक सरकार के रूप में प्रस्तुत करते हुए प्रत्येक सदस्य अपनी पार्टी के एक विशिष्ट नीति क्षेत्र की अध्यक्षता करता है और मंत्रिमंडल में अपने समकक्ष से सवाल करता है तथा उन्हें चुनौती देता है।
    • कनाडा: यहाँ विपक्षी दल शैडो कैबिनेट का गठन करते हैं जो कि विपक्षी दल के सांसदों का समूह होता है जिन्हें आलोचक कहा जाता है जो सत्तारूढ़ दल के कैबिनेट मंत्रियों के समान विशेषज्ञता के क्षेत्रों के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
      • उन्हें एक दूसरे की प्रतिबिंब के रूप में बैठाना यह स्मरण कराता है कि विपक्षी दल अगली बार सत्तारूढ़ दल का स्थान ले सकता है।

भारत में शैडो कैबिनेट के साथ प्रयोग

  • महाराष्ट्र, 2005 भाजपा-शिवसेना शैडो कैबिनेट:
    • इसे काॅन्ग्रेस-NCP सरकार के कामकाज की आलोचना करने हेतु गठित किया गया था।
    • संरचना: इसमें भाजपा और शिवसेना के प्रमुख विपक्षी नेताओं को शामिल किया गया जिन्होंने अपने संबंधित सरकारी मंत्रालयों के कामकाज की निगरानी की।
    • प्रभाव: इसनें राज्य विधानसभा में विपक्षी दल के कामकाज की संरचित जाँच और नीतिगत आलोचना प्रदान की।
  • मध्य प्रदेश, 2014 काॅन्ग्रेस शैडो कैबिनेट:
    • संरचना: इसमें वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेताओं और विधायकों को शामिल किया गया जिन्होंने अपने संबंधित सरकारी मंत्रालयों के कामकाज की निगरानी की।
    • परिणाम: राज्य विधानमंडल की कार्यवाही में विपक्ष की पारदर्शिता और जवाबदेहिता बढ़ी।
  • गोवा, 2015 NGO अध्यक्षता वाली शैडो कैबिनेट:
    • यह जेन नेक्स्ट, एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा गठित किया गया था। आधिकारिक विपक्षी दल न होने के बावजूद भी उक्त NGO ने सत्तारूढ़ सरकार की नीतियों का विश्लेषण किया।
    • इसने शासन के मुद्दों की स्वतंत्र जाँच की और सार्वजनिक चर्चा की।
  • केरल, 2018 सिविल सोसायटी शैडो कैबिनेट:
    • यह सत्तारूढ़ पक्ष की नीतियों की जाँच करने हेतु सिविल सोसायटी के सदस्यों की अध्यक्षता में बनाई गई थी। इसमें सामाजिक कार्यकर्त्ता और विशेषज्ञ शामिल थे, जो विपक्षी दल UDF से संबद्ध नहीं थे।
    • प्रभाव: इसने सरकारी नीतियों और पहलों पर महत्त्वपूर्ण विश्लेषण तथा वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किये।

नोट: 'आंतरिक कैबिनेट' या 'किचन कैबिनेट' का तात्पर्य एक लघु अनौपचारिक समूह से है जिसमें प्रधानमंत्री और दो से चार विश्वस्त सहयोगी शामिल होते हैं, जिन्हें सत्ता के वास्तविक केंद्र की संज्ञा दी जा सकती है।

आगे की राह 

  • औपचारीकरण: हालाँकि विधि द्वारा शैडो कैबिनेट का औपचारीकरण करना अनिवार्य नहीं है किंतु संसद अपने नियमों में संशोधन करके विपक्ष के नेता को औपचारिक रूप से मान्यता दे सकती है और उन्हें शैडो कैबिनेट नियुक्त करने का अधिकार दे सकती है।
    • इससे विपक्ष का दर्जा बढ़ेगा और संचालन के लिये एक रूपरेखा प्राप्त होगी।
    • दीर्घावधि में विपक्ष के नेता और शैडो कैबिनेट को औपचारिक रूप से मान्यता देने के लिये संविधान में संशोधन करने पर विचार किया जाना चाहिये।
  • रिसर्च फंडिंग: संसद विशेष रूप से शैडो कैबिनेट के लिये अनुसंधान कर्मचारियों और संसाधनों के लिये बजट आवंटित कर सकती है। इससे उन्हें सरकारी नीतियों का अधिक प्रभावी ढंग से विश्लेषण करने और सूचित विकल्प विकसित करने का अधिकार मिलेगा।
  • छाया मंत्रियों का चयन: विपक्ष के नेता को प्रासंगिक नीति क्षेत्रों में उनकी विशेषज्ञता, अनुभव और योग्यता के आधार पर छाया मंत्रियों की नियुक्ति करनी चाहिये। इससे यह सुनिश्चित होता है कि शैडो कैबिनेट में ऐसे व्यक्ति शामिल हों जो सूचित और रचनात्मक आलोचना करने में सक्षम हों।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. छाया मंत्रिमंडल (Shadow Cabinet) की अवधारणा और संसदीय लोकतंत्र में इसकी भूमिका पर चर्चा कीजिये। यह सत्तारूढ़ सरकार के मंत्रिमंडल के विकल्प के रूप में कैसे काम करता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. सचिवालय मंत्रिमंडल का निम्न में से क्या है? (2014)

  1. मंत्रिमंडल बैठक के लिये कार्यसूची तैयार करना।
  2. मंत्रिमंडल समितियों को साचिविक सहायता।
  3. मंत्रालयों को वित्तीय संसाधनों का आवंटन।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. आपकी दृष्टि में, भारत में कार्यपालिका की जवाबदेही को निश्चित करने में संसद कहाँ तक समर्थ है? (2021)

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