इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

सियोल वन घोषणा

  • 20 May 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सियोल फॉरेस्ट डिक्लेरेशन, वर्ल्ड फॉरेस्ट्री कॉन्ग्रेस, SOFO 2022, FAO

मेन्स के लिये:

भारत में वन संसाधनों की स्थिति और संबंधित चिंताएंँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सियोल वन घोषणा को दक्षिण कोरिया के सियोल में 15वी विश्व वानिकी कॉन्ग्रेस में अपनाया गया।

विश्व वानिकी कॉन्ग्रेस के बारे में:

  • परिचय: 
    • इसका आयोजन प्रत्येक छह वर्ष में किया जाता है। 
    • इस कार्यक्रम को कोरिया गणराज्य एवं FAO द्वारा सह-आयोजित किया गया।
    • यह विश्व वानिकी कॉन्ग्रेस एशिया में आयोजित दूसरा कार्यक्रम है।
      • पहली कॉन्ग्रेस का आयोजन एशिया में 1978 में हुआ जिसकी मेज़बानी इंडोनेशिया ने की थी।
    • विश्व वानिकी कॉन्ग्रेस ने इस क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों और भविष्य के लिये समावेशी चर्चा हेतु एक मंच के रूप में काम किया है। 
  • वर्ष 2022 हेतु थीम: हरित, स्वस्थ और अनुकूल निर्माण।
  • लक्ष्य:
    • सतत् विकास के सभी स्तरों पर वनों और वानिकी के भविष्य हेतु नई दृष्टि और कार्य करने के नए तरीके अपनाना। 
      • वनों और वानिकी में निवेश का अर्थ है लोगों एवं उनकी आजीविका में निवेश और सतत् विकास में निवेश द्वारा वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना।

घोषणा की मुख्य विशेषताएंँ:

  • साझा ज़िम्मेदारी: 
    • इस घोषणा में यह रेखांकित किया गया कि वन राजनीतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सीमाओं से स्वतंत्र होते हैं जो जैव विविधता एवं ग्रहीय पैमाने पर कार्बन, जल तथा ऊर्जा चक्रों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • वनों में निवेश:
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और निम्नीकृत भूमि को बहाल करने के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये विश्व स्तर पर वन एवं वन परिदृश्य बहाली में निवेश को वर्ष 2030 तक तीन गुना करने की आवश्यकता है।
  • चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था और जलवायु तटस्थता:
    • विश्व वानिकी कॉन्ग्रेस के दौरान निकाले गए प्रमुख निष्कर्षों में चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था और जलवायु तटस्थता को अपनाने के महत्त्व को भी रेखांकित किया गया है।
    • घोषणापत्र में वन संरक्षण, बहाली और संधारणीय उपयोग में निवेश को बढ़ावा देने के लिये  नवीन हरित वित्तपोषण तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित किया गया एवं अक्षय, पुन: प्रयोज्य और बहुमुखी सामग्री के रूप में स्थायी रूप से वन उत्पादों की क्षमता पर प्रकाश डाला गया।
  • भविष्य की महामारी को रोकने के लिये कदम:
    • भविष्य की महामारियों के जोखिम को कम करने एवं मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये तथा अन्य आवश्यक लाभ हेतु स्वास्थ्य प्रदान करने वाले वनों को भी बनाए रखा जाना चाहिये।
  • घोषणा में साक्ष्य-आधारित वन एवं भूदृश्य, निर्णय लेने और तंत्र को सक्षम करने के लिये उभरती हुई नवीन तकनीकों व तंत्रों के निरंतर विकास तथा उपयोग हेतु नवीन प्रौद्योगिकी को अपनाने का भी आग्रह किया गया।

 15वीं विश्व वानिकी कॉन्ग्रेस की अन्य मुख्य विशेषताएँ:

  • अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये इस कॉन्ग्रेस में की गई अन्य पहलें:
    • एकीकृत जोखिम प्रबंधन (AFFIRM) तंत्र के साथ वनों के भविष्य का आश्वासन:
      • AFFIRM का उद्देश्य अन्य देशों के लिये उदाहरण के रूप में उपयोग करने के लिये  एकीकृत जोखिम प्रबंधन योजनाओं को विकसित कर एक ऐसी पद्धति का निर्माण करना है जो देशों को अशांति जैसे जोखिम का बेहतर ढंग से मूल्यांकन करने में सक्षम बनाने के साथ ही वन्य खतरों तथा वन-संबंधी जोखिमों की बेहतर समझ प्रदान कर सके।
    • ‘वन पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता को बनाए रखने (SAFE)’ की पहल:
    • REDD+ क्षमता निर्माण के लिये मंच:
      • REDD+ वन क्षेत्र में गतिविधियों का मार्गदर्शन करने के लिये ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ (UNFCCC) पार्टीज़ (COP) द्वारा बनाया गया एक फ्रेमवर्क है, जो वनों की कटाई और वन क्षरण के कारण होने वाले उत्सर्जन को कम करता है, साथ ही वनों का स्थायी प्रबंधन एवं विकासशील देशों में वन कार्बन स्टॉक का संरक्षण और उसमें वृद्धि करता है। 

वनों के लिये प्रमुख सरकारी पहल:

  • हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन: 
    • यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत आठ मिशनों में से एक है।
    • इसे फरवरी 2014 में देश के जैविक संसाधनों और संबंधित आजीविका को प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने तथा पारिस्थितिक स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण व भोजन-पानी एवं आजीविका पर वानिकी के महत्त्वपूर्ण प्रभाव को पहचानने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। 
  • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम (NAP):
    • इसे निम्नीकृत वन भूमि के वनीकरण के लिये वर्ष 2000 से लागू किया गया है।
    • इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA Funds):
    • इसे वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया था, इसके फंड का 90% हिस्सा राज्यों को दिया जाता है, जबकि 10% केंद्र द्वारा बनाए रखा जाता है।
    • इस धन का उपयोग जलग्रहण क्षेत्रों के उपचार, प्राकृतिक उत्पादन, वन प्रबंधन, वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन, संरक्षित क्षेत्रों में गाँवों के पुनर्वास, मानव-वन्यजीव संघर्षों के प्रबंधन, प्रशिक्षण व जागरूकता पैदा करने, लकड़ी बचाने वाले उपकरणों की आपूर्ति तथा संबद्ध गतिविधियों के लिये किया जा सकता है। 
  • नेशनल एक्शन प्रोग्राम टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन: 
    • इसे वर्ष 2001 में मरुस्थलीकरण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिये तैयार किया गया था।
    • इसका कार्यान्वयन MoEFCC द्वारा किया जाता है। 
  • वन अग्नि रोकथाम और प्रबंधन (FFPM): 
    • यह केंद्र द्वारा वित्तपोषित एकमात्र कार्यक्रम है जो विशेष रूप से जंगल की आग से निपटने में राज्यों की सहायता के लिये समर्पित है। 

विगत वर्ष के प्रश्न:  

प्रश्न. 'वनों पर न्यूयॉर्क घोषणा' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं?

  1. इसे पहली बार वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में समर्थन दिया गया था। 
  2. यह वनों के नुकसान को समाप्त करने के लिये एक वैश्विक समयरेखा का समर्थन करता है। 
  3. यह कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय घोषणा है। 
  4. यह सरकारों, बड़ी कंपनियों और स्वदेशी समुदायों द्वारा समर्थित है।
  5. भारत इसकी स्थापना के समय से ही इसके हस्ताक्षरकर्त्ताओं में से एक था।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 1, 3 और 5
(c) केवल 3 और 4
(d) केवल 2 और 5

उत्तर: (A)

व्याख्या: 

  • वनों पर न्यूयॉर्क घोषणा एक स्वैच्छिक और गैर-कानूनी रूप से बाध्यकारी राजनीतिक घोषणा है जो वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के महासचिव द्वारा प्रेरित सरकारों, कंपनियों और नागरिक समाज के बीच संवाद से विकसित हुई है। अतः कथन 1 सही है तथा कथन 3 सही नहीं है।
  • घोषणापत्र में वर्ष 2020 तक वनों की कटाई की दर को आधा करने, वर्ष 2030 तक इसे समाप्त करने और करोड़ों एकड़ भूमि को बहाल करने का वादा किया गया है। अत: कथन 2 सही है।
  • वर्तमान में इस घोषणा के 200 से अधिक समर्थनकर्त्ता हैं, जिनमें राष्ट्रीय सरकारें, उप-राष्ट्रीय सरकारें, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, स्वदेशी लोग और स्थानीय समुदाय, संगठन, गैर-सरकारी संगठन तथा वित्तीय संस्थान शामिल हैं। अत: कथन 4 सही है।
  • वनों की स्थापना पर न्यूयॉर्क घोषणा के समय भारत इसका हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं था। अत: कथन 5 सही नहीं है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2